भारत का पहला सफल परमाणु परीक्षण
1998 जब हमारे देश भारत ने कई देशो के दवाव के बावजूद पोखरण (Pokhran) में किया सफल परमाणु परीक्षण (Nuclear test)। ये समय इसलिए ख़ास था की उस समय कुछ देशो ने परमाणु बम बना लिए थे और दूसरे देशो को परमाणु बम के परीक्षण पर रोक लगा दी। ये देश नहीं चाहते थे की उनके आलावा कोई अन्य देश परमाणु शक्ति सम्पन्न बन पाए।
इसी बीच भारत सरकार ने CIA और अमेरिका को चकमा देकर परमाणु बम का सफल परीक्षण किया। 11 मई 1998 का यह वह दिन था जब भारत देश ने लगातार तीन परमाणु बमो का परीक्षण किये थे। इन धमाकों की गूँज पूरे विश्व में सुनाई दी।
अमेरिका की अप्रसार संधि (Non Proliferation Treaty)
सन 1968 में कुछ देशो ने परमाणु बम बनाने के बाद एक अप्रसार संधि Non Proliferation Treaty (NPT) बनायीं। इस अप्रसार संधि Non Proliferation Treaty पर दुनिया के करीब 80 देशो ने हस्ताक्षर किये। इस Treaty के मुख्य तीन बिंदु इस प्रकार थे।
1 – विश्व के सभी देशो को परमाणु परीक्षण (Nuclear test) पर पूरी तरह रोक।
2 – सभी परमाणु बम बनाने वाले देश धीरे धीरे अपने परमाणु बम नष्ट करेंगे।
3 – परमाणु शक्ति का ऊर्चा उत्पन्न करने में शांति पूर्वक इस्तेमाल।
भारत ने 1968 में Non Proliferation Treaty संधि हस्ताक्षर नहीं किये
भारत ने 1968 में अप्रसार संधि Non Proliferation Treaty पर हस्ताक्षर करने से साफ़ मना कर दिया था। जिससे भारत देश ने विश्व में यह तो बता दिया की वह किसी भी देश के दबाव में नहीं रहेगा। Non Proliferation Treaty के अनुसार 1 जनवरी 1967 से पहले जिन देशो ने परमाणु बम बना लिए थे उन्ही देशो को परमाणु शक्ति सम्पन देश माना जायेगा। उस समय America (अमेरिका),Britain (ब्रिटेन), China (चीन), France (फ़्रांस),और Russia (रूस) ही परमाणु सम्पन देश थे। ये देश नहीं चाहते थे की इनके आलावा कोई अन्य देश परमाणु सम्पन्न देश बने। भारत देश का 1968 से आज तक यही मत है की ये देश अपने परमाणु बम को नष्ट कर दे। अगर ये देश अपने परमाणु बम नष्ट नहीं करते तो दुनिया के सभी देशो को अधिकार है की वे अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हतियार बनायें।
भारत का पहला परमाणु परीक्षण
भारत देश के आलावा पकिस्तान (Pakistan), नार्थ कोरिआ (North Korea) और इसराइल (Israel) ही ऐसे देश हैं जिन्होंने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण (Nuclear test) किया। इस परीक्षण को Operation Smiling Buddha कोड नेम दिया गया।
अमेरिका ने भारत पर लगायीं कई रोक
1978 में अमेरिका दुवारा बनायीं गयी संधि Non Proliferation Treaty के अनुसारअमेरिका उन देशो से व्यापर बंद कर देगा जिसने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। हमारा देश भारत भी उन देशो में शामिल था जिन्होंने Non Proliferation Treaty पर हस्ताक्षर नहीं किये थे।
अमेरिका ने भारत के सामने एक शर्त राखी की वह भारत को नुक्लियर fule देता रहेगा। उसके बदले भारत International Atomic Energy Agency (IAEA) जो की अमेरिका की है से अपने सभी नुक्लियर रिएक्टर की नियमित जाँच कराये। हमारे देश भारत ने इस शर्त को मैंने से इंकार कर दिया। जिसके कारण अमेरिका ने भारत को नुक्लियर fule देना बंद कर दिया।
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भारत का दूसरा सफल परमाणु परीक्षण (Nuclear test) “Operation Shakti”
इसके बाद भारत को दूसरे सफल परमाणु परीक्षण (Nuclear test) करने में 20 साल लगे। जून 1998 में भारत ने गोपनीयता से अमेरिका के CIA की जासूस सैटेलाइट को चकमा देकर पोखरण (Pokhran) में दूसरा सफल परमाणु परीक्षण (Nuclear test) किया। और 1998 में किये गए परीक्षण को “Operation Shakti” कोड नेम दिया गया।
गोपनीय तरीके से की गयी “Operation Shakti” की तैयारी
1998 में जब अटल बिहारी बाजपेयी प्रधान मंत्री थे। उनको पूर्व प्रधान मंत्री पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव ने मिल कर बताया की तैयारी हो चुकी है इसको आप अंजाम दे सकते हैं। संसद में विश्वाश मत प्राप्त करने के बाद पोखरण (Pokhran) में परमाणु परीक्षण (Nuclear test) की गुप्त तयारी शुरू कर दी गयी।
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अटल बिहारी बाजपेयी ने डॉ.अब्दुल कलाम और डॉ. चिदंबरम को बुला कर परमाणु परीक्षण (Nuclear test) की तयारी शुरू करने को कहा। और एक समय निश्चित हुआ डॉ. कलाम ने बताया की परमाणु परीक्षण (Nuclear test) बुद्ध पूर्णिमा के दिन पूर्णमाशी को किया जायेगा। इस दिन को जो तारीख पड़ रही थी वह थी 11 मई 1998 त्यारियां शुरू हो चुकी थीं। परमाणु केंद्र के वैज्ञानिको जब यह गुप्त आदेश दिया गया तो वे गुप्त रूप से पोखरण (Pokhran) परमाणु केंद्र पहुँचने लगे।
यह परीक्षण इतना गुप्त रखा गया की वैज्ञानिको ने अपने घर के किसी भी सदस्य को इसके बारे में कुछ भी नहीं बताया। वैज्ञानिको से कहा गया था की वे अपने घर पर यह बता के निकले की वे किसी सम्मलेन में जा रहे है। और कुछ दिनों तक उनसे कोई संपर्क नहीं हो पायेगा। ये वैज्ञानिक अलग अलग रास्तो से पोखरण (Pokhran) जा रहे थे, इस मिसन को गुप्त रखने के लिए वैज्ञानिक नाम बदल कर यात्रा कर रहे थे। पोखरण (Pokhran) परमाणु परीक्षण (Nuclear test) में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC), और Defense Research and Development Organization (DRDO) की टीम में लगभग 100 वैज्ञानिक थे।
ये सभी वैज्ञानिक जब पोखरण (Pokhran) पहुंचे तब इनको सेना की वर्दी पहनने को दी गयी। इन सभी वज्ञानिकों को तेज गर्मी में कम उचाई वाले लकड़ी के बने कमरों में ठहराया गया। इन कमरों बहुत ही काम जगह थी साथ ही वैज्ञानिको को सेना की वर्दी पहनने में दिक्कत हो रही थी।
मुंबई से सड़क और वायु मार्ग से लायी गयी प्लूटोनियम
इन परमाणु बमो के परीक्षण की सूचना मिलने के बाद, सबसे बड़ी दिक्कत थी की इन बमो को पोखरण (Pokhran) तक कैसे लाया जाये। ये परमाणु बम मुंबई के एक Research Centre के (vault) तिजोरी में रखे गए थे। इन (vault) तिजोरी को 1980 में बनाया गया था। इनको साल में एक बार विश्कर्मा पूजा वाले दिन ही खोला जाता था। कुछ वैज्ञानिक गुप्त तरीके से इनकी जांच करके दुबारा इनको बंद कर दिया करते थे। ये प्लूटोनियम से बनाये गए थे और इनका आकर एक सेब जितना था इनकी संख्या मात्रा 6 थी। इनका वजन लगभग 8kg से कम ही था इनको सुरक्षापूर्वक काले रंग के बक्से में रखा गया था।
इन बमो को मुंबई से पोखरण (Pokhran) तक ले जाना भी एक बहुत बड़ी चुनौती थी। (BARC) के वैज्ञानिको को अपने ही सुरक्षाकर्मियों को बिना बताये इनको पोखरण (Pokhran) पहुंचना था। (BARC) के सुरक्षाकर्मियों को भी इसकी सूचना नहीं थी। (BARC) के वैज्ञानिको ने सुरक्षा कर्मियों को बताया की कुछ उपकरणों को वंहा से किसी दूसरे Research Centre ले जाना है। और इन बमो को ले जाने का समय रात के दो बजे से चार बजे के बीच रखा गया।
राज चेंगप्पा ने अपनी किताब में लिखा पोखरण के बारे में
राज चेंगप्पा जो की एक अनुभवी पत्रकार थे उन्होंने अपनी किताब Weapons of Peace:The Secret Story of India’s Quest to be a Nuclear Power में लिखा। उन्होंने लिखा 1 मई को रात 2 से 4 बजे तक चार ट्रक (BARC) Research Centre पहुंचे। हर ट्रक पर पांच सेना के जवान तैनात थे कुछ अन्य उपकरणों के साथ इन बमो को इनमे से एक ट्रक पर लाद दिया गया।
DRDO के एक वरिष्ट सदस्य उमंग कपूर के मुँह से निकला History now in the move. ये चारो ट्रक एक एअरपोर्ट की तरफ बढे जो वंहा से 30 मिनट की दूरी पर था। इस हवाई अड्डे पर पहले से ही गुप्त रूप से एक AN ट्रांसपोर्ट विमान तैयार कर लिया गया था। ट्रको को सीधे इस विमान के पास ले जाकर सामान को प्लूटोनियम बमो के साथ विमान पर चढ़ा दिया गया। ये कार्य कुछ इस तरह किया जा रहा था की ये सेना का कोई सामान्य ड्रिल है। किसी को नहीं पता था की विमान में रखे गए बम कुछ ही सेकेंडो में पूरे मुंबई शहर को मिटा सकते थे।
पोखरण (Pokhran) के प्रेयर हाल में पहुचायी गयी ये प्लूटोनियम
कुछ समय बाद यह विमान उन बमो के साथ मुंबई से जैसलमेर हवाई अड्डे को रवाना कर दिया गया। दो घंटे बाद यह AN ट्रांसपोर्ट विमान जैसलमेर पहुँच गया जहाँ पहले से ही एक ट्रको का काफिला इसका इंतजार कर रहा था। हर ट्रक पर हतियारो के साथ सैनिक तैनात थे। जब जैसलमेर से ये ट्रक पोखरण (Pokhran) के लिए निकले तो सुबह हो चुकी थी
। राज चेंगप्पा लिखते हैं की ये ट्रक सीधे पोखरण (Pokhran) के प्रेयर हाल में पहंचे जहाँ इन बमो को तैयार किया जाना था। प्लूटोनियम गेंदे जिनका कोड Store था, वंहा पहुँच गयी तो भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ. चिदंबरम की जान में जान आयी। डॉ. चिदंबरम इन प्लूटोनियम गेदो का बहुत बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे।
पोखरण की भयानक गर्मी में वैज्ञानिको ने किया काम
उस समय पोखरण (Pokhran) का मौसम विज्ञानिको के सामने बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर रहा था। जंहा पर ये बम Assemble किये जा रहे थे वंहा कोई दुर्घटना ना हो इसलिए कोई AC एयर कंडीशनर नहीं चलाया गया था। और इस भीषण गर्मी में वैज्ञानिक सेना की वर्दी में काम करा करते थे और पसीने से तरबतर रहते थे। सहायक कर्मचारियों को न के बराबर रखा गया था क्न्योकि इसको गोपनिय बनाये रखना था। ऐसे में बड़े से बड़े वैज्ञानिक खुद ही पेंचकस से पेच कश रहे थे और खुद ही तारो को उनकी गजह रख रहे थे। चीज भरी हो या हलकी कोई भी काम खुद ही करना था।
अमेरिका की सैटेलाइट से छुप कर किया गया सारा काम
पोखरण (Pokhran) का यह मिशन रात में ही अंजाम दिया जाता था जिससे आकाश से गुजरने वाले सैटेलाइट उनको देख न सके। एक रात एक वैज्ञानिक ने लगातार चार सैटेलाइट को ऊपर से गुजरते देखा। इसकी जानकारी DRDO की टीम को दी, और कहा की लगता है हमको ऊपर से सैटेलाइट से देख लिया गया है। क्न्योकि लगातार एक रात में ही इतने सारे सैटेलाइट का हमारे ऊपर से गुजरने का क्या कारण हो सकता है? यह सुन कर DRDO के सदस्य कर्नल बी बी शर्मा ने कहा हमें और अधिक सावधानी बरतनी होगी। और हो रहे काम को अधिक से अधिक गोपनीय बनाने की कोशिश की गयी।
Operation Shakti को गुप्त रखने की वजह
इस को इतना गुप्त इसलिए बनाया जा रहा था, क्न्योकि 1995 में नरशिमभा राव की सरकार ऐसा करने में विफल रही थी। क्न्योकि अमेरिका सैटेलाइटों की मदद से हमारे परमाणु ठिकानो पर नजर बनाये रखता था। 1995 में परीक्षण के समय बिखरे तारो और अधिक संख्या में ट्रको की अचानक बढ़ी संख्या से यह जान लिया था की भारत कोई परमाणु परीक्षण (Nuclear test) करने वाला है। इस कारण भारत को अपना परमाणु परीक्षण (Nuclear test) रोकना पड़ा था। अमेरिका ने कभी नहीं चाहा की हम कभी कोई भी परमाणु परीक्षण (Nuclear test) कर सकें। इसके लिए अमेरिका ने बहुत सारा पैसा लगा कर सैटेलाइटों को भारत की निगरानी में लगा रखा था।
अमेरिकी सैटेलाइट नाकाम रहे
1998 में हो रहे परमाणु परीक्षण (Nuclear test) के समय अमेरिका का सिर्फ एक सैटेलाइट पोखरण (Pokhran) के ऊपर से गुजरता था। यह सैटेलाइट सुबह 8 बजे से लेकर 11 बजे के बीच पोखरण (Pokhran) के ऊपर से गुजरता था। इस सैटेलाइट से मिली जानकारी के लिए एक विशेज्ञ को अमेरिका ने लगा रखा था। परमाणु परीक्षण (Nuclear test) वाले दिन की तस्वीरें भी इस सैटेलाइट ने ली थी जिनको यह विशेषज्ञ बड़े अधिकारियो को दिखने की कोशिस में था। पर जब तक इन तस्वीरों पर कोई निर्णय लिया जाता तब तक देर हज हो चुकी थी।
परमाणु परीक्षण (Nuclear test) वाले दिन क्या क्या हुआ ?
परमाणु परीक्षण (Nuclear test) वाले दीन डॉ. कलाम ने प्रधानमंत्री आवाश पर फोन किया। डॉ. कलाम ने ब्रजेश मिश्रा से कहा हवा की रफ्तार और मौसम परीक्षण के अनुकूल है, अगले 1 घंटे के भीतर परीक्षण किया जा सकता है। और कुछ समय बाद ठीक दिन के 3:45pm पर वैज्ञानिको को अपने कम्प्यूटर स्क्रीन पर तेज रौशनी दिखाई दी और वह तस्वीर कुछ पालो तक रही और मॉनिटर पर कुछ दिखाई नहीं दिया। वैज्ञानिको को इससे पता चल गया था, की ताजमहल नमक सॉफ्ट में किया जाने वाला परमाणु परीक्षण (Nuclear test) सफल रहा है।
इस परमाणु परीक्षण (Nuclear test) में एक हॉकी के मैदान के बराबर छेत्र का रेत आकाश में बहुत उचाई तक उछाल दिया था। धरती का तापमान लाखो डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया था। इस परमाणु विस्फोट को हेलीकॉप्टर से भी देखा जा रहा था। DRDO के कर्नल उमंग कपूर ने हेलीकाप्टर से धूल के शैलाब को उठते हुए देखा। जमीन पर खड़े वैज्ञानिको के पैर के नीचे की जमीन बुरी तरह हिली और, दूर दूर तक झटको को भूकंप की तरह महसूस किया गया।
इधर वैज्ञानिक अपने बंकरो से निकल कर बाहर आ गए वे सभी इस पल को देखना चाहते थे। एक सुरक्छित दूरी से लगभग सैकड़ो सैनिको ने इस गुबार उठते देख गगन भेदी नारा “माता की जय ” का नैरा लगाया। वंहा मैजूद वैज्ञानिको ने बतया की उस मंजर को देख कर उनके रोंगटे खड़े हो गए थे। डॉ. अब्दुल कलम ने कहा हमने दुनिया की परमाणु शक्तियों का प्रभुत्व समाप्त कर दिया है। अब हमारे 1 अरब की जनसख्या वाले देश को कोई भी नहीं बताएगा की उसे क्या करना है। अब भारत खुद तय करेगा की उसे क्या करना है। उधर प्रधान मंत्री के आवास पर कलाम ने फ़ोन पर कहा sir, we have to do it, इधर प्रधान मंत्री अटलबिहारी बाजपेयी ने बताया था की उस समय जो महसूस हुआ उसको बता पाना मुमकिन नहीं था। उस समय अटलबिहारी बाजपेयी ने बताया की उन्हें बहुत ख़ुशी और पूर्णता का अहसास हुआ। इस तरह हमारा देश भारत कई दवाबो के बाद भी एक परमाणु संपन्न देश बना।
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