Hindu Dharm में मंत्रो (Mantra) का महत्व
हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) में मंत्रो (Mantras) का महत्व क्यों है? ये किस लिए बनाये किसने बनाये और क्यो ? मंत्रो को उनके सही उच्चारण के साथ बोलने पर उसका सही प्रभाव पड़ता है।
हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) में गायत्री महामंत्र सृष्टि का सबसे पवित्र मंत्र है। उसमें परमात्मा से सभी के लिए सदबुद्धि एवं सन्मार्ग की प्रार्थना की गई है। लेकिन मन्त्र को किसी विचार की संकरी सीमाओं में नही बांधा जा सकता है। कई बार मन्त्र के अक्षरों का संयोजन इस परकार होता है की उनका कोई अर्थ निकलता है।
कई बार संयोगं इतना अटपटा होता है की इसका कोई अर्थ नही खोजा जा सकता है। इस पोस्ट में हम आपको ये नहीं बता रहे हैं की कौन सा मंत्र आप पर क्या प्रभाव डालता है। दोस्तों आज हम बात करेंगे सनातन धर्म हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) में मंत्रो का इतना महत्व क्यों है। इससे पहले हमें जनना होगा मंत्रो (Mantras) का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
Read this–How Lord Brahma Create All Universe With The Help Of Parmatma
हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) मंत्रो का शाब्दिक अर्थ
ऐस ध्वनि जो आपको मेन्टल पीस दे, आपके मन को शांति दे हमारे शास्त्रों में कहा गया है, “मनः तारयति इति मंत्रः” अर्थात वे शब्द जो मन को तारते हैं उनको मंत्र (Mantra) कहा जाता है।
दोस्तों हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) में मंत्र जपना हजारो सालो से चला आ रहा है। चाहे वो गायत्री मंत्र हो जो ऐसी vibration पैदा करता है। जो मनुष्यो के साथ साथ सभी पेड़ पोधो और जानवरो पर भी अच्छा प्रभाव डालता है।
ऋगवेद वेद का महा मृतुन्जय मंत्र (Mantra) जिसको मृत्यु को जीतने वाला मंत्र भी कहा जाता है। ऐसे कई और वैदिक मंत्र हैं जिनको बोलने पर फिज़िकल एंड मेन्टल अर्थात हमारे सरीर और दिमाग पर Positive Impact पड़ता है। पर कैसे आखिर ये होता कैसे है ?
मंत्रो (Mantra) की ध्वनि तरंगो का प्रभाव
दोस्तों मंत्रो की ध्वनि ही इनकी वजह है वो साउंड जो इन मंत्रो के उच्चारण से निकलता है। मंत्रो (Mantra) को यदि अलग रख दे तो विज्ञानिको का मानना की सिर्फ ध्वनि में ही अपार शक्ति होती है। कुछ साउंड शुद्ध और कुछ अशुद्ध और ये डिपेंड करता है उनकी vibration पर।.
Albert Einstein ने भी कहा है “Everything live is vibration” मॉर्डन साइंस ने लाइट और साउंड को वाइब्रेशन ही मना है। अगर आपको साउंड को लाइट में बदलना है तो इसकी फ्रेक्वेंसी को 40 Octave तक बढ़ाना होगा।
और तब जो आपको वाइब्रेशन मिलेगी वो ट्रिलयन cycles/second होगी और वो एक light के रूप में आपके सामने होगी। महान योगियों ने साउंड को लाइट में बदलने का काम हमेशा से किया है। दोस्तों और वो मंत्रो के माध्यम से ही हुआ।
हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) में मंत्रो (Mantra) के शारीरिक फायदे
हम पहले भी बता चुके है की कौन सा मंत्र (Mantra) आप पर क्या प्रभाव डालेगा। इसकी बात नहीं बल्कि हम मंत्रो की शक्ति की बात कर रहे हैं। इसको हमें धर्म के चस्मो से नहीं साइंटिफिक approach (तथ्य) से देखना होगा।
मंत्रो के उच्चारण आपके लिए नए डायमेंशन (आयाम ) खोलते हैं। ये एक ऐसी क्रिया है जिसमे आप साउंड की मदद से अपने आस पास और आपने अंदर एक ख़ास वातावरण बनाते हैं। जिससे आपका मंद दिमाग एक्टिवेट होता है और लगातार मंत्रो के उच्चारण से फोकस एकाग्रता ) के साथ साथ आपकी मेमोरी,अटेंशन भी बढ़ती है।
क्न्योकि मंत्रो के उच्चारण से आपके ब्रेन सेल्स एक्टिव होते हैं। अगर मंत्रो को सही उच्चारण और फ्रीक्वेंसी (आवृत्ति ) के साथ बोला जाता है। तो न केवल ब्रेन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है बल्कि ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल होता है। और ये भी साबित हुआ है की लगातार मंर्तों के उच्चारण से हमारे दिमाग का लेफ्ट एंड राइट हिस्सा सिंक्रोनाइज़ होता है।
? अघोरी कैसे होते हैं और अपना जीवन कैसे बिताते हैं
हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) में ॐ (OM ) का मंत्रो में महत्व
हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) में ॐ की बात करे तो इसे “ओरिजनल साउंड ऑफ़ क्रिएशन”भी कहा जाता है। ये कहा जाता है की हजारो वर्ष पूर्व जब तपश्वियों ने घहरे ध्यान में जो साउंड सुनी थी वो साउंड ॐ ही थी। तबसे ॐ सनातन धर्म का प्रतीक ही बन गया। सनातन धर्म में मनुस्य हमेसा से मनुष्य की उत्पत्ति ,जन्म और मरण की खोज में जीता आया है। दोस्तों आपने कई योगियों और कई तपश्वियों को हमिंग साउंड पर ध्यान लगा कर देखा होगा। ये वही साउंड है जो ॐ उच्चारण के अंत में आता है साइंटिस्टों ने कहा है।
ॐ की हमिंग वर्ड से ध्यान लगाने पर हमारे सरीर में नाइट्रिक ऑक्सीड का प्रोडक्शन बढ़ जाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड एक ख़ास कम्पाउंड है जो नर्वस ,इम्यून,और कार्डिओ वस्कुलर सिस्टम में होने वाली कई प्रोसेस में मदद करता है। ये बात सनातनधर्म में 15 हजार साल पहले से चली आ रही है।
ये कहना गलत नहीं होगा की प्राचीन काल के तपश्वी उस समय के साइंटिस्ट थे जो सरीर को अपग्रेड करनके तरीके ढून्ढ रहे थे। और मंत्रो को साइंटिफिक टूल मानते थे।
अगर लोगो को इसकी इम्पोर्टेंस समझ आ जाये तो उनका शरीर और मस्तिष्क दोनों ही उसके वस में आ जाएँ। और बच्चो को सुरु से अगर मंत्रो के जाप करना सिखाया जाए तो इन बच्चो का मस्तिष्क एक अलग लेवल का होगा।
मन्त्र (Mantra) सिद्धि
मन्त्र साधना का एक विशिष्ट क्रम पूरा होने पर साधक की चेतना का संपर्क, ब्रह्माण्ड की विशिष्ट धारा या देव शक्ति से हो जाता है। साधक के कई अतीन्द्रिय केंद्र जागृत हो जाते है।
वह मन्त्र के देवशक्तियों के सूक्ष्म विशिष्ट धारा को ग्रहण करने धारण करने और उनका नियोजन करने में पूर्णतः समर्थ होता है। देवशक्ति के ऊर्जा शक्ति को अपने व्यक्तित्व और अस्तित्व में धारण करना ही मन्त्र सिद्धि कहलाता है।
शिवलिंग (Shiv Ling) क्या है?
intresting