कुदरत का रौद्र रूप भूकंप (Earthquake)
बार बार भूकंप (Earthquake) आने की क्या वजह है क्या कुदरत दे रही बड़े सर्वनाश के संकेत। । भूकंप के तेज झटकों से पूरा दिल्ली एनसीआर हिल गया। बीते तीन दिनों में ये तीसरी बार था जो भूकंप के झटकों ने लोगों में दहशत पैदा कर दी। दिल्ली एनसीआर ही नहीं उत्तर भारत में और भी कई जगह भूकंप (Earthquake) का तेज झटका महसूस किया गया हैं।
भूकंप (Earthquake) का केंद्र एक बार फिर नेपाल में था। स्केल पर इसकी तीव्रता 5.6 बताई जा रही है। इससे पहले शुक्रवार देर रात आए भूकंप का केंद्र भी नेपाल में ही था जब 6.4 तीव्रता के झटके ने नेपाल में बड़ी तबाही लाई थी।
आधिकारिक तौर पर 157 लोगों की मौत हुई जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। इस तबाही को 48 घंटे भी नहीं बीते और एक बार फिर नेपाल में धरती डोल गई। पिछले महीने ही अफगानिस्तान में 6.2 तीव्रता के भूकंप (Earthquake) ने 3000 से ज्यादा लोगों की जान ली थी। ऐसे में एक सवाल जो मन में उठता है वह है कि आखिर बार बार कुदरत अपना रौद्र रूप क्यों दिखा रहा है? बार बार धरती क्यों हिल रही है? कहीं ये किसी बड़ी तबाही का संकेत तो नहीं है।
भूकंप (Earthquake) क्यों आते हैं ?
जानकारों के मुताबिक दुनियाभर में हर साल छोटे बड़े 20,000 से ज्यादा भूकंप (Earthquake) आते हैं। कुछ की तीव्रता इतनी कम होती है की वो जो ग्राफ पर भी दर्ज नहीं हो पाते हैं और कुछ इतने शक्तिशाली होते हैं कि तबाही मचा देते हैं। ऊपर से शांत दिखने वाली धरती के अंदर हमेशा उथल पुथल होती रहती है। दरअसल धरती मुख्य तौर पर चार परतों से मिलकर बनी हुई है।
इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिसे टेक्टॉनिक प्लेट्स कहा जाता है।
ये प्लेट्स धरती के नीचे लगातार घूमते रहते है। ये प्लेट्स हर साल अपनी जगह से चार से पांच मिली मीटर तक खिसक जाती है। ऐसे में कोई प्लेट किसी से दूर हो जाती है तो कोई किसी के नीचे खिसक जाती है। इसी प्रक्रिया के दौरान प्लेट आपस में टकराते हैं। जब इनके टकराने की गति बहुत तेज होती है तो धरती हिलने लगती है और हमें भूकंप (Earthquake) का एहसास होता है।
भूकंप (Earthquake) की तीव्रता
भूकंप (Earthquake) आने पर अक्सर दो सवाल सबसे पहले दिमाग में आते हैं। पहला यह कि भूकंप की तीव्रता कितनी है और दूसरा यह कि भूकंप का केंद्र कंहाँ है?
चलिए पहले भूकंप (Earthquake) की तीव्रता को समझते हैं। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है और इसी से भूकंप की भयावहता का पता चलता है। अगर भूकंप की तीव्रता शून्य से 1.9 तक होती है इसके झटके महसूस नहीं होते।
दो से 2.9 होने पर हल्का सा कंपन महसूस होता है। अगर स्केल पर तीव्रता तीन से 3.9 दर्ज होती है तो थोड़ा ज़ोर का झटका लगता है। चार से 4.9 की तीव्रता पर खिड़कियों की कांचे टूट सकती है। पांच से 5.9 तीव्रता का झटका लगने पर पंखे और घर के दूसरे सामान हिलते हुए दिखते हैं।
छह से 6.9 तीव्रता का भूकंप (Earthquake) आ जाए तो इमारतों की ऊपरी मंजिल को नुकसान हो सकता है। सात से 7.9 तीव्रता का भूकंप आने पर पूरी की पूरी इमारत धाराशाही हो सकती है। अगर भूकंप की तीव्रता आठ से 8.9 के बीच हो तो सुनामी का खतरा हो सकता है। नौ या उससे ऊपर की तीव्रता वाले भूकंप (Earthquake) में पूरी धरती डोलती हुई नज़र आएगी।
भूकंप (Earthquake) का केंद्र
भूकंप (Earthquake) का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से ऊर्जा निकलती है। इस जगह पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है।कंपन की फ्रिक्वेन्सी जैसे जैसे कम होती जाती है, इसका प्रभाव कम होता जाता है। यही वजह है कि अगर नेपाल में भूकंप का केंद्र है तो जितना असर वहाँ होगा उतना असर दिल्ली में नहीं होगा।
सिस्मिक ज़ोन क्या है?
सिस्मिक ज़ोन मतलब वो क्षेत्र जहाँ भूकंप आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। भारत में भूकंप (Earthquake) की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे दो से लेकर पांच तक के ज़ोन में बांटा गया है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक ज़ोन पांच है जहाँ आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की आशंका रहती है।
भारत का करीब 11 फीसदी हिस्सा पांचवें ज़ोन में आता है। 38 फीसदी हिस्से सेस्मिक जोन में आते हैं जहाँ 7 से 5 तीव्रता के भूकंप (Earthquake)आने की सम्भावना बानी रहती है। 40 फीसदी भाग में 4 से 2 तीव्रता के भूकंप आने की सम्भावना बानी रहती है। बाकि भाग भूकंम्प के खतरे से बहार हैं जंहा 2 से 1 तीव्रता के भूकंप आते हैं जो महसूस नहीं होते।
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