अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) की सेना ने जुर्म
इतिहास का वो पन्ना, जो मानवता के चेहरे पर किसी बदनुमा दाग की तरह है। पोलैंड के यातना शिविर में अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) की सेना ने जुर्म की अनगिनत कहानियां लिखी। उसमें से ज्यादातर अनसुनी रह गयीं लेकिन जो बाहर आईं वो दशकों बाद भी दुनिया को परेशान कर देती।
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) की यातना मुक्ति की 75 वीं वर्षगाँठ
आज से लगभग 75 साल पहले सोवियत सेना पोलैंड में औश्वित्ज़ यातना शिविर तक पहुंची थी। और अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के नाजी ऐना के जुल्म से बचे कैदियों को आजाद कराया था। यातना मुक्ति की 75 वीं वर्षगाँठ को याद करने के लिए दुनिया भर के नेता जुटे ।
कैंप से जिंदा बाहर आए करीब 200 लोग इस मौके पर पोलैंड और इसराइल के राष्ट्रपतियों ने मिलकर मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। इस ऐतिहासिक मौके पर नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री ने भी माफी मांगी है। ये माफी इस बात की है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनका देश हॉलैंड यहूदियों को बचाने में नाकाम रहा।
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) का औश्वित्ज़ यातना शिविर
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के जितने भी यातना शिविर थे उन सब में औश्वित्ज़ यातना शिविर सबसे बड़ा था। यहाँ 11,00,000 लोगों की जान ली गई। इनमें से तीन चौथाई कैंप में पहुंचने के 24 घंटे के अंदर ही मार दिए गए और यातना शिविर ही उनके लिए शमशान बन गया।
साल 1943 तक औश्वित्ज़ यातना शिविर कैंप के कमांडेंट रहे रुडोल्फ होस को साल 1946 में गिरफ्तार किया गया। उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया और कैंप में फांसी दी गई।
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के यातना शिविर
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के नाजियों ने साल 1939 में पोलैंड पर कब्जा किया था। उन्होंने देश के दक्षिणी हिस्से में बसे औश्वित्ज़ नगर की पहचान को हमेशा के लिए बदल दिया।
नाजियों ने यहाँ एक दो नहीं कई यातना शिविर बनाए। इन कैंपों में कैदियों को लगातार यातना दी गई। मरने वालों में ज्यादातर यहूदी थे।
जुल्म की सबसे भयावह तस्वीर गैस चैंबरों से जुड़ी है जहाँ दाखिल होने वालों का कुछ मिनट तक चीखने चिल्लाने के बाद दम घुट जाता था।
इतिहास का शायद ही कोई और पन्ना इतना भयानक हो। पोलैंड के दक्षिण में बसे औश्वित्ज़ इस दर्दनाक इतिहास को आज भी याद दिलाता है।
करीब 1945 साल के दौरान 11,00,000 लोगों की दर्दनाक मौत की कहानियाँ आज भी सुनने वालों के रोंगटे खड़े कर देती है।
साल 1939 में जर्मनी पर काबिज नाजियों के कब्ज़ा करने के पहले पोलैंड की सेना के जो बैरक थे, उन्हे कैदियों की जेल में बदल दिया।
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के विरुद्ध सोवियत सेना का आगमन
27 जनवरी 1945 को सोवियत सेना के आने के पहले अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के नाज़ियों ने 40 से ज्यादा छोटे बड़े कैंपों को नष्ट करके अपराधों के सबूत मिटाने की कोशिश की, लेकिन यातना झेलकर भी कुछ लोग किस्मत से बच गए।
इन में 1000 कैदियों के जरिए कहानियाँ बाहर आई ये कहानियाँ बयान करने वालों में नोबेल पुरस्कार विजेता लीव्स भी थे। यहूदियों के खिलाफ़ नस्लीय जंग छेड़ने वाले नाजियों ने औश्वित्ज़ को यातना की प्रयोगशाला बना दिया था।
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) ने 10,00,000 यहूदियों की ली जान
वहाँ जान गवाने वाले 11,00,000 लोगों में से करीब 10,00,000 यहूदी थे। अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के नाजियों के जुल्म से मरने वालों में कई ने भूख की वजह से दम तोड़ा।
कई गुलाम की तरह काम करते करते मारे गए। कुछ लोगो की जान मेडिकल एक्सपेरिमेंट के दौरान गई, लेकिन सबसे ज्यादा लोग गैस चेंबर में मारे गए।
यूरोप के जिन देशों में नाजियों का कब्जा था, वहाँ से जानवरों को ले जाने वाले गाड़ियों में कैदियों को लाया जाता था। इन गाड़ियों में सीटें नहीं होती थी, ना खिड़कियां और ना ही टॉयलेट।
आने वाले लोगों को इस आधार पर अलग किया जाता था कि कौन काम कर सकते थे, और किन लोगों की तुरंत जान ली जानी है। जिन लोगों के तुरंत जान ली जानी थी, उन्हें कपड़े उतारने को कहा जाता था और गैस चैंबर में भेज दिया जाता था।
गार्ड सील चेंबर में जहरीली गैस डालते थे और लोगों के मरने का इंतजार करते थे। इसमें करीब 20 मिनट का वक्त लगता था। दम घुटते वक्त लोगों की चीखने की आवाजें चेंबर की दीवारों को भेद कर बाहर निकल आती थी।
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) ने मिटाये यातना शिविर के सबूत
1944 के आखिर में जब सोवियत सेनाएं करीब आ गई तब जर्मनी के अधिकारियों ने गैस चेंबर और श्मशान को नष्ट कर दिया। अपने अपराध छुपाने के लिए नाजियों ने बचे हुए 56,000 कैदियों को पश्चिम के कैंपों की तरफ जाने का हुक्म दिया।
जो पीछे छूट गए उन्हें मार दिया गया। सेना को कुछ 1000 लोग जिंदा मिले, साथ ही हजारों लोगों के कपड़े औश्वित्ज़ यातना शिविर पर मिले इसके साथ कई टन बाल भी मिले।
सोबित सैनिकों को बचे हुए पीड़ितों को यह समझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी की नाजी चले गए हैं। कुछ के दिल में वो दर्द अब भी बाकी है।
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के यातना शिविर की कहानियां
और औश्वित्ज़ यातना शिविर से निकली कहानियों को कई लोग मिथक मानते हैं और यह बात सबसे ज्यादा तकलीफ उन लोगों को देती हैं जिन्होंने उन कैंपों में नाजियों के जुल्म को सहा था।
इनमें से एक महिला ने अपनी कहानी बीबीसी को सुनाई। उसने बताया वो 1944 का साल था जब मुझे औश्वित्ज़ यातना शिविर भेजा गया, मैं सिर्फ 12 बरस की थी।
उन्होंने मेरे हाथ पर टैटू बना दिया। मुझे एक नंबर दिया गया 26877 वो नंबर आज भी मेरे साथ मेरे हाथ पर है। मैंने कभी इसे हटाने के बारे में सोचा तक नहीं। ये एक तरह से मेरा हिस्सा है। उसके बाद जो हुआ वो शायद तब मेरे लिए सबसे बुरा लम्हा था।
उनके हाथ में कैची थी एक औरत मेरे पास आईं और जब तक मैं कुछ समझ पाती उसने मेरी चोटी काट दी और फिर मेरा सिर मूड दिया। तमाम दूसरे लोगों के बालों के बीच में अपनी प्यारी सी चोटी को देखती रही।
अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के जुर्मो से मुक्ति
उस वक्त तक रेड आर्मी करीब आ चुकी थी। अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) की नाजी सेना वहाँ से तुरंत जाने को थे और जो कोई उनके साथ चल सकता था उसे साथ ले जाने को कहा गया।
नाजी सैनिको को आदेश मिला था कि जो पीछे छूट जाएं उन सभी को मार दिया जाए ताकि उन्होंने जो खौफनाक जुल्म ढाए थे उसका कोई गवाह ना रहें।
उस वक्त मैं मांस के एक लोथड़े जैसी दिख रही थी। मुझे देख उन्हें लगा कि मैं बचूंगी नहीं मैं अपने होश खो रही थी लेकिन जब मुझे होश आया मैंने एक रूसी सैनिक को देखा। उसने खूबसूरत हैट पहनी हुई थी।
वो मुझे देखकर मुस्कुराया। मैंने उसकी आँखों में जो गर्माहट और सहानुभूति देखी, उसने मुझे बहुत रहत दी। अगर रुसी सेना वंहा नहीं आती तो मैं कुछ घंटों में तड़प कर मर जाती।
इस तरह न जाने कितने यहूदियों की जान अडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) ने ली इसका अकड़ा भी दिल दहला देता है।
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