8 Paradoxes That Will blow your Mind Completely

पैराडॉक्स (Paradoxes), विरोधाभास

सवालों को सुनना और उनके जवाब देना हम सबको अच्छा लगता है क्योंकि हमारे दिमाग को इस तरह की कसरत करना पसंद है लेकिन अगर बात पैराडॉक्स (Paradoxes) यानी विरोधाभास की हो तो हमारा दिमाग कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन विरोधाभास के लॉजिक को तोड़ ही नहीं पता मैं आप सभी इंटेलिजेंट लोगों के लिए कुछ पैराडॉक्स लेकर आया हूं जो पक्का आपके दिमाग को हिला देंगे

लॉयर्स पैराडॉक्स (Lawyer’s Paradox)

यह पैराडॉक्स (Paradoxes) कुछ इस तरह से है की यदि आपने किसी से कहा कि मैं हमेशा झूठ बोलता हूं, अगर आप सच में हमेशा झूठ बोलते हो तो आपके द्वारा कहा गया कथन सच है। क्योंकि आप हमेशा झूठ ही तो बोलते हो।

लेकिन यह बोलकर कि आप हमेशा झूठ बोलते हो तो आपने यह अपने बारे में सच बोल दिया। लेकिन आप तो हमेशा झूठ बोलते हो तो आपने अपने बारे में सच कैसे बोल सकते हो। इस हिसाब से आप हमेशा झूठ नहीं बोलते। क्योंकि मैं हमेशा झूठ बोलता हूं यह कहकर अपने एक सच बोल दिया और यह बोलकर अपने एक विरोधाभास पैदा कर दिया जिसे लॉयर्स पैराडॉक्स (Lawyer’s Paradox) बोला जाता है।

पैराडॉक्स ऑफ द कोर्ट (Paradox of the Court)

यह पैराडॉक्स (Paradox) सच में इंटरेस्टिंग है मान लो आपको वकालत सीखने का मन है। लेकिन वकालत सीखने के लिए आपके पास पैसे नहीं है। ऐसे में आप एक टीचर के पास गए जो आपको वकालत सीखा सके पर वकालत सीखने के लिए टीचर ने एक शर्त रखी।

तुम मेरी फीस तभी दोगे जब तुम अपना पहला केस जीत जाओगे इस पर दोनों पक्छो में सहमति बन जाती है। और टीचर आपको वकालत सीखाने लगता है। कड़ी मेहनत करके आप वकालत सीख लेते हो। लेकिन आप कोई भी केस नहीं लड़ते एक-दो साल गुजर जाते हैं।  

लेकिन अभी भी आपने कोई केस नहीं लड़ा आपका टीचर आपसे वकालत सिखाने की फीस मांगता है। लेकिन आप अपने टीचर से बोलते हो कि आपने अभी तक अपना पहला केस जीता ही नहीं। शर्त के मुताबिक आप अपना पहला केस जीतने के बाद ही फीस देंगे। आपके टीचर ने कोर्ट में आपके खिलाफ केस दर्ज कर दिया कि आप उनके पैसे नहीं दे रहे। कोर्ट में सुनवाई के दौरान आपके टीचर ने अपनी शर्त सामने रखी। 

अगर आपका टीचर केस जीत गया तो अदालत के नियम के अनुसार आपको उनके रुपए लौटआने पड़ेंगे। और अगर आपका टीचर केस हार गया तो आप अपना पहला केस जीत जाओगे। और शर्त के हिसाब से आप अपना पहला केस जीतने पर आपको अपने टीचर की फीस देनी पड़ेगी। 

अब आप सोच रहे होंगे कि चाहे आपका टीचर केस जीते या हारे दोनों ही सिचुएशन में आपको तो पैसे देने ही होंगे लेकिन रुकिए पिक्चर अभी बाकी है।  आपने जज के सामने अपनी शर्त पेश की अगर आप इस केस को जीत गए तो अदालत के नियम के अनुसार आपको अपने टीचर के रुपए लौटाने की जरूरत नहीं।

क्योंकि आप केस जीत चुके हो। लेकिन अगर आप इस केस को हार गए तो भी आपको अपने टीचर के रुपए लौटाने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि शर्त  के हिसाब से आप अपना पहला केस जीतने के बाद ही उनकी फीस दोगे लेकिन कैसे। इस तरह से आप दोनों के स्टेटमेंट एक विरोधाभास पैदा करते हैं।

ओमनिपोटेंस पैराडॉक्स (Omnipotence paradox)

इस पैराडॉक्स (Paradox) को एक्सप्लेन करने से पहले मैं आपको डिस्क्लेमर देना चाहूंगा कि मैं खुद भगवान को मानता हूं। इस लेख का मकसद किसी भी धर्म या संप्रदाय को ठेस पहुंचाना नहीं है आप अपने विवेक से काम लें।

जैसा कि हम जानते हैं कि भगवान सर्वशक्तिमान है इस पैराडॉक्स के अनुसार आपने भगवान की आराधना की, और एक दिन प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए और आपको वरदान देने को कहा। भगवान तो सर्व शक्तिमान है इसलिए वह आपकी हर एक मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं। आपने भगवान से कहा कि भगवान मुझे एक ऐसा पत्थर बना कर दो जिसको कोई भी ना उठा सके खुद भगवान भी। अब इस केस में भगवान फस गए अब मान लो कि भगवान ने ऐसा पत्थर बना भी दिया जिसे कोई भी नहीं उठा सकता स्वयं भगवान भी तो ऐसे में भगवान सर्वशक्तिमान नहीं है।

क्योंकि वह अपने ही द्वारा बनाए गए पत्थर को नहीं उठा पाएंगे और अगर भगवान ने अपने द्वारा बनाए गए पत्थर को उठा लिया तो भी भगवान सर्वशक्तिमान नहीं है। क्योंकि भगवान ऐसा पत्थर नहीं बना पाए जिसे कोई नहीं उठा सके स्वयं भगवान भी ऐसे में इस पैराडॉक्स में भगवान उलझ गए।  इस तरह एक विरोधाभास दिखाई देता है जिसका हल नहीं निकलता।  

सुमिलियंस पैराडॉक्स (Smullyan Paradox)

यह पैराडॉक्स (Paradox) भी मजेदार है मान लो तीन दोस्त हैं A ,B और C तीनों दोस्त जंगल में घूमने जाते हैं। लेकिन A  और B  दोनों को C  पसंद नहीं है इसलिए A  और B  दोनों C  नाम के व्यक्ति को मारने की साजिश रचते हैं। C  को मारने के लिए C  की पानी की बोतल में जहर मिला दिया ताकि जहर पीकर C खत्म हो जाए।

लेकिन B  को जहर वाली बात पता नहीं थी इसलिए B ने C को मारने के लिए C की पानी की बोतल की पेदी में छेद कर दिया। ताकि C डीहाइड्रेशन से मर जाए और हुआ भी यही छेद में से सारा पानी लीक होने की वजह से C डीहाइड्रेशन की वजह से मर गया।

बाद में पुलिस आई और पुलिस ने तहकीकात की तो पता चला की बोतल में जहर था। लेकिन C की मौत तो डिहाइड्रेशन से हुई थी। अब सवाल यह है कि C की मौत का गुनहगार कौन है?  A सफाई देते हुए यह कहता है की C ने मेरा जहर तो पिया ही नहीं तो मैं तो उसका गुनहगार नहीं हूं।

वहीं B  यह कहता है कि पानी की बोतल में छेद करके मैने C को जहर की वजह से मरने से बचा लिया। खैर A  और B  दोनों हत्या की साजिश के लिए तो गुनहगार हैं। लेकिन सच में आरोपी कौन है ? यह गुथी इसे पैराडॉक्स (Paradox) बनती है।

टाइलिट्रान्सपोर्टेशन पैराडॉक्स (Teletransportation paradox)

यह पैराडॉक्स (Paradox) आपके दिमाग को घुमा देगा टेलिपोर्टेशन के बारे में तो आप सभी जानते होंगे। कि किसी व्यक्ति को टेलिपोर्ट करके एक जगह से दूसरी जगह पर तुरंत भेजा जा सकता है। दर असल टेलिपोर्टेशन पार्टिकल के क्वांटम एंटेंगलमेंट पर काम करता है।

फिलहाल हमारे पास ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं है जिससे हम किसी भी व्यक्ति को टेलिपोर्ट कर पाएं। पर मान लेते हैं कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बना ली है जो इंसानों को टेलिपोर्ट कर सकती है। तो चलिए जानते हैं कि यह मशीन काम कैसे करेगी।

दरअसल होगा यह की आपको टेलिपोर्टेशन मशीन में जाना होगा। वह मशीन आपके शरीर में मौजूद क्वांटम पार्टिकल्स यानी सब एटॉमिक पार्टिकल्स की इनफार्मेशन को रीड करेगी, और आपकी बॉडी में मौजूद सभी क्वांटम पार्टिकल्स की इनफार्मेशन वहां पहुंच जाएगी जहां पर आपको टेलिपोर्ट कराया जाना है। ध्यान दें कि आपकी बॉडी में मौजूद पार्टिकल्स की सिर्फ इनफॉरमेशन वहां जाएगी ना की कोई भी पार्टिकल।

जहां पर आपको टेलिपोर्ट कराया जाना होगा। वहां पर भी एक ऐसी ही मशीन लगी होगी जो कि इस इनफार्मेशन को रिसीव करेगी। और उस मशीन के अंदर मौजूद करोड़ो कार्बन पार्टिकल्स उसे इनफॉरमेशन के अनुसार जुड़कर वहां पर आपके ही जैसा इंसान बना देंगे।

उसे इंसान में आपकी ही सारी यादें होंगी या यूं कहें कि वह इंसान आप खुद ही होंगे। अब आप टेलिपोर्ट हो चुके हो लेकिन अब सवाल यह है कि जो इंसान वहां रिफॉर्म हुआ है क्या वास्तव में वह आप ही हो क्योंकि आपका तो कोई भी ओरिजिनल पार्टिकल वहां गया ही नहीं।  

बस आपके पार्टिकल्स की इनफार्मेशन आपकी यादें अनुभव आपकी कॉन्शसनेस ही उसे रिफॉम्ड इंसान के पास हैं तो क्या वह इंसान आप खुद ही हो इसी को कहते हैं टेलिपोर्टेशन पैराडॉक्स।

द शीप ऑफ थीसियस पैराडॉक्स (the ship of theseus paradox)

इस पैराडॉक्स (Paradox) के हिसाब से मान लो आपके पास एक बड़ी शिप है जो की थोड़ी पुरानी हो गई है। आप उस शिप में हर साल कुछ पुराने पार्ट्स को निकाल कर नए पार्ट्स जोड़ देते हो। और ऐसा करते-करते आपने एक दिन शिप के सारे पुराने पार्ट्स को नए पार्ट्स से बदल दिया। 

अब आपकी शिप पूरी तरह नई जैसी हो गई। आपने अपनी शिप में से निकले सारे पुराने पार्ट्स को संभालकर इकट्ठा करके रखा था। और अपने सभी पुराने पार्ट्स से एक शिप बना दी अब एक सवाल सामने आता है। इन दोनों शिप में से पुराना वाला शिप कौन सा है। जो पुराने पार्ट्स से बना है वह पुराना शिप है या जिसमें हर साल नए पार्ट्स डाले गए हैं वह पुराना शिप है। इसी को कहते हैं द शीप ऑफ थीसियस पैराडॉक्स।

अनस्टॉपेबल फोर्स पैराडॉक्स (Unstoppable Force Paradox)

एक ऐसा फोर्स है जो किसी भी दीवार को हिला सकता है, और एक ऐसी दीवार है जिसे कोई भी फोर्स नहीं हिला सकता। जब यह अनस्टॉपेबल फोर्स इस अनमूवेबल दीवार से टकराएगा तब क्या होगा? अगर दीवार ने फोर्स को रोक लिया तो वह फोर्स अनस्टॉपेबल नहीं है।

अगर फोर्स ने दीवार को हिला दिया तो वह दीवार हिल जाती है।  इसी को कहते हैं अनस्टॉपेबल फोर्स पैराडॉक्स (Unstoppable Force Paradox) वैसे इस पैराडॉक्स का रियल लाइफ में होना संभव नहीं है। क्योंकि नेचर में ना तो कोई अनस्टॉपेबल फोर्स है और ना ही कोई अनमूवेबल ऑब्जेक्ट। 

द क्रोकोडाइल डिलेमा पैराडॉक्स (the Crocodile dilemma Paradox)

इस पैराडॉक्स के अनुसार एक व्यक्ति अपने बच्चों के साथ तालाब के किनारे जा रहा है। गलती से उसका बच्चा तालाब में गिर जाता है जिसको तालाब में मौजूद मगरमच्छ पकड़ लेता है। वह व्यक्ति मगरमच्छ से अपने बच्चों को छोड़ने के लिए कहता है लेकिन मगरमच्छ उस व्यक्ति से कहता है।

मैं इस बच्चे को छोड़ दूंगा लेकिन मेरी एक शर्त है वह यह कि मेरे मन में इस बच्चे के बारे में क्या चल रहा है? क्या मैं इसे खा जाऊंगा या इसे छोड़ दूंगा मगरमच्छ ने आगे कहा कि अगर तुमने सही जवाब दिया तो मैं इस बच्चे को छोड़ दूंगा। अगर तुमने गलत जवाब दिया तो मैं इसे खा जाऊंगा उस बच्चे के पिता को लग रहा था कि वह उसके बच्चे को खा जाएगा इसलिए उसने मगरमच्छ से यही बोला।

कि तुम मेरे बच्चे को खा जाओगे लेकिन सच में मगरमच्छ उस बच्चे को खाने ही वाला था लेकिन उसके पिता ने सच बोला इस वजह से मगरमच्छ को वह बच्चा छोड़ना ही पड़ेगा। लेकिन अगर मगरमच्छ ने उस बच्चे को छोड़ दिया तो इसका मतलब उसके पिता का जवाब गलत हो जाएगा।

क्योंकि उसने बोला था कि वह उसे खा जाएगा इस स्थिति में मगरमच्छ को उस बच्चे को खा लेना चाहिए। लेकिन अगर मगरमच्छ उसके बच्चे को खो गया तो इसका मतलब उसके पिता का जवाब सही था। वह उसके बच्चे को खा जाएगा लेकिन मगरमच्छ की शर्त यह थी कि अगर वह व्यक्ति सही जवाब देगा तो वह उसके बच्चे को छोड़ देगा। इसी को कहा जाता है द क्रोकोडाइल डिलेमा पैराडॉक्स।

Must Read
शिव लिंग (Shiv Ling) का वास्तविक अर्थ क्या है?
3, 6, 9 चमत्कारिक शक्तियां रखते हैं

Leave a Comment