Israel – Palestine Conflict Explained 2023

Israel – Palestine के Conflict  (विवाद) का कारण

Israel – Palestine में हो रहे युध्द की वजह है जमीन और कितनी जमीन, सिर्फ 35 एकड़ का एक प्लॉट जो इतनी बड़ी दुनिया का बहुत छोटा ना के बराबर से भी कम हिस्सा है। लेकिन यह छोटा सा हिस्सा दुनिया की सबसे विवादित जगहों में से एक है।

Israel – Palestine में इस जगह पर मिलीजुली दावेदारी के चलते कई वर्षो से युद्ध हुए और लगातार तनाव रहा। ये मामला जेरूसलम का है वहाँ शहर के पुराने हिस्से में एक पहाड़ी के ऊपर फैला एक आयता कार छेत्र है इसका क्षेत्रफल करीब 35 एकड़ है।

इस 35 एकड़ जगह को यहूदी हरहवाईयत पुकारते हैं ये हिब्रू भाषा का शब्द है। इस जगह को अंग्रेजी भाषा में टेंपल माउंट पुकारा जाता है। और इसी जगह को मुस्लिम हरम अल शरीफ पुकारते हैं।

Israel में एक ही जगह के अलग अलग नाम क्यों

इसकी वजह है दोनों धर्मों की मान्यता यँहा Israel के यहूदी मानते हैं कि इसी जगह पर उनके ईश्वर ने वो मिट्टी सजाई थी जिससे  एडम का सृजन हुआ। वो पहला पुरुष जिससे इंसानों की भावी पीढ़ियां अस्तित्व में आई। टेंपल माउंट से Israel के यहूदियों की एक और मान्यता इससे जुड़ी है

Israel में यहूदियों की मान्यता

उनके एक पैगंबगंर थे अब्राहम, अब्राहम के दो बेटे थे इस्माइल और इजाक। एक दफा ईश्वर ने अब्राहम से उनके बेटे इजाक की बलि मांगी। ये बलि देने के लिए अब्राहम ईश्वर की बताई जगह पर पहुंचे। यहाँ अब्राहम इजाक को बलि चढ़ाने ही वाले थे कि ईश्वर ने एक फरिश्ता भेजा।

अब्राहम ने देखा फरिश्ते के पास एक भेड़ खड़ी है। ईश्वर ने अब्राहम की भक्ति उनकी श्रद्धा के कारण इजाक को बख्श दिया और उनकी जगह बलि देने के लिए भेड़ को भेजा । 

Israel- Palestine में विवादित Temple Mount

यहूदियों के मुतामुताबिक बलिदान की वो घटना इसी टेंपल माउंट पर हुई थी । इसीलिए इजरायल के राजा किंग सोलोमन ने करीब 1000 ईसा पूर्व में यहाँ एक भव्य मंदिर बनवाया यहूदी इसे कहते है फर्स्ट टेम्पल।

Israel- Palestine में विवादित सेकंड टेम्पल (Second Temple)

आगे चलकर बेबीलोन सभ्यता के लोगों ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया। पांच सदी बाद 516 ईसा पूर्व में Israel के यहूदियों ने दोबारा इसी जगह पर एक और मंदिर बनाया।

वो मंदिर कहलाया सेकंड टेम्पल इस मंदिर के अंदरूनी हिस्से को यहूदी कहते हैं होली ऑफ होलीस यानी पवित्र से भी पवित्र ऐसी जगह जहाँ आम यहूदि यों को भी पांव रखने की इजा जत नहीं थी, केवल बड़े पुजारी ही इसमें प्रवेश पाते थे।

ये सेकंड टेम्पल करी ब 600 साल तक वजूदजू में रहा। सन् 70 में रोमैंस ने इसे भी तोड़ दिया। लेकिन इस मंदिर की एक दीवार आज भी मौजूद हैं इसे कहते है वैस्टर्न वॉल। यह दीवार उस प्राचीन सेकंड टेम्पल के बाहरी अहाते का हिस्सा मानी जाती है।

यहूदी अपनी ये मान्यताएँ जानते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि मंदिर का भीतरी हिस्सा यानी वो होली ऑफ होली इस टेंपल माउंट के किस हिस्से में स्थित था ?

क्यों कि प्राचीन समय में आम यहूदियों को वहाँ जाने की छूट नहीं थी, और कई धार्मिक यहूदी आज भी ऊपरी अहाते में पांव नहीं रखते। वो वेस्टर्न वॉल के पास ही प्रार्थना करते हैं। 

Israel – Palestine में मुलमानों की मान्यता

अब बात करते हैं इस मामले के दूसरे पक्ष यानी मुलमानों की उनका क्या दावा है? मुस्लिमों के मुतामुताबिक इस्लाम की सबसे पवित्र जगहों में पहले नंबर पर है मक्का

दूसरे नंबर पर है मदीना और तीसरे नंबर पर है हरम अल शरीफ (Haram al-Sharif) यानी जरूसलम का वो 35 एकड़ का भाग। इस इस्लामिक मान्यता का संबंध है कुरान से कुरान के मुतामुताबिक सन् 621 की एक रात की बात है।

पैगम्बर मोहम्मद एक उड़ने वाले घोड़े पर बैठकर मक्का से जेरूसलम आए और यहीं से वो ऊपर जन्नत में चढ़ गए। फिर जन्नत में जाने के बाद उन्हें अल्लाह के दिए कुछ आदेश मिले। क्या था इस आदेश में? इसमें बताया गया था कि इस्लाम के मुख्य सिद्धांत क्या है? जिसमे दिन में पांच बार नमाज़ पढ़ना शामिल था। 

मुस्लिमों का जेरूसलम पर हमला

सन 632 में पैगम्बर मोहम्मद की मृत्यु हुई इसके 4 साल बाद मुस्लिमों ने जेरूसलम पर हमला कर दिया । तब यहाँ वेजेन्टाइन साम्राम् का शासन था। मुस्लिमों ने जेरूसलम को जीता और आगे चलकर खलीफा ने जरूसलम में एक भव्य मस्जिद बनवाई इसका नाम रखा अल अक्सा। 

अरबी भाषा में अल अक्सा का मतलब होता है सबसे ज्यादा दूर इसी अल अक्सा मस्जिद के सामने की तरफ है एक सुनसुहरे गुंबगुंद वाली इस्लामिक इमारत है  इसे कहते हैं  डोम ऑफ रॉक मुस्लि मानते हैं कि सदियों पहले उस रात को उड़ने वाले घोड़े पर सवार पैगंबगंर मोहम्मद ने जेरूसलम में पहली बार जहाँ पांव रखा , उसी जगह पर है अल अक्सा मस्जिद और जीस जगह से उठ कर वो उस रात जन्नत चढ़े वहीं पर है डोम ऑफ रॉक।

ये इमारते उसी 35 एकड़ वाले आयताकार छेत्र के भीतर जिसे यहूदी अपने प्राचीन मंदिरों की जगह मानते है। अब आपको इस जगह को लेकर बने झगड़े की वजह समझ आ गई होगी । 

अब सवाल है कि टेंपल माउंट और हरम अल शरीफ पर कंट्रोल किसका है? इसका जवाब देना मुश्किल है।

Israel – Palestine के टेंपल माउंट और हरम अल शरीफ का इतिहास

अब इसको जानने के लिए हमें फिर से इतिहास में जाना पड़ेगा। Israel – Palestine के इतिहास में एक दौर आया क्रूसेड्स का क्रूसेड यानी होली वार ऐसे युद्ध जो धर्म के आधार पर लड़े गए, ये क्रूसेड्स हुए थे ईसाइयों और मुस्लिमों के बीच।

जब इस्लाम का विस्तार शुरूहुआ तो इस्लामिक साम्राराज्य ने ईसाइयों द्वारा पवित्र मानी जाने वाली कई जगहों को जीत लिया । जरूसलम भी इनमें से एक था यह बात चर्च को स्वीकार नहीं थी । क्योंकि जेरूसलम उन्हें भी बहुत अजीज था

ईसाई धर्म में जेरूसलम की क्या वैल्यू थी ?

ईसाई मानते हैं कि ईसामसीह ने इसी शहर में अपना उपदेश दिया। यहीं उन्हें सूली पर चढ़ाया गया और यहीं पर वह दोबारा जी उठे। ईसाई यह भी मानते हैं कि एक रोज़ ईसा वापस दुनिया में लौटेंगे जिसमे जरूसलम का अहम किरदार होगा ।

यहूदियों की सबसे प्राचीन मान्यता है क्रिस्चैनिटी और इस्लाम दोनों यहूदी धर्म के बाद आये। और यहूदियों पर हमला किया रोमन्स ने जेरूसलम पर कंट्रोल किया । फिर आए मुसमुलमान। उन्होंने जेरूसलम को अपने कंट्रोल में लेकर यहाँ धार्मिक इमारतें बनवाई।

Israel – Palestine में ईसाइयों और मुस्लिमों में धर्मयुद्धयु की शुरुआत

आगे चलकर ईसाइयों और मुस्लिमों में धर्म युद्ध शुरू हुआ। इसमें पहला ही युद्ध जेरूसलम के लिए लड़ा गया । इस फर्स्ट क्रूसेड (धार्मिक युद्ध) के तहत जुलाई 1099 में ईसाइयों ने जरूसलम को जीत लिया ।

लेकिन यह जीत ज्यादा समय तक बरकरार नहीं रही। 1187 में मुस्लिमों ने जेरूसलम को वापस हासिल कर लिया और उन्होंने हरम अल शरीफ़ का प्रबंधन देखने के लिए वक्फ यानी इस्लामिक ट्रस्ट का गठन किया । पूरे कंपाउंड का कंट्रोल इसी ट्रस्ट के हाथ में था और यहाँ गैर मुस्लिमुस्लिमों को प्रवेश की अनुमनुति नहीं थी।

इजराइल (Israel) का गठन हुआ

सदियों तक ऐसी ही व्यवस्था बनी रही फिर आया 1948 का साल। इस साल गठन हुआ इजराइल (Israel) का उसी जमी न पर जहाँ फिलिस्तीनियों का देश था । फिलिस्तीनी (Palestine) और (Israel) दोनों के अपने अपने दावे हैं फ़िलिस्तीन (Palestine) का कहना था, हमारे देश में दूसरा देश कैसे बनेगा ?

उनकी मांग थी कि कहीं और बनाया जाए यहूदी देश। लेकिन यहूदी इसके लिए राजी नहीं थे। उनका कहना था कि वो कहीं और क्यों जाएंगे? ये जमीन तो उनके पुरपुखों की है। उन्हें सदियों तक इस जमीन से बेदखल रखा गया। अब उन्हें जमीन वापस चाहिए।

इस दावे का सबूत है एक धर्म ग्रन्थ जिसका नाम है हिब्रू बाइबल यह बाइबल का पहला हिस्सा कहलाता है। बुक ऑफ जेनेसिस इसके अन्य भाग का नाम है कावोन्मेन्ट बिटवीन गॉड एंड अब्राहम मतलब ईश्वर और अब्राहम के बीच हुआ करार।

यहूदियों के अनुशार उनके पूर्वज अब्राहम पहले मेसोपोटामिया में रहा करते थे। ईश्वर के आदेश पर वे अपना घर बार छोड़ के नयी जगह पहुंचे ये जगह पश्चिमी एशिया में थी। उस समय इसे कहते थे लैंड ऑफ़ कैनन। यहूदियों के अनुसार ईश्वर ने खुद अब्राहम को अपनी जबान दी थी ईश्वर ने कहा था की अब्राहम की संतान यही एक नया देश बसाएंगी।

अब्राहम के बटे इजाक के बेटे का नाम था जैकब और इनका दूसरा नाम था इजराइल। इजराइल के बारह बेटे थे यही आगे चल कर कहलाये 12 ट्राइब ऑफ़ इसराइल। इन्ही बेटो ने आगे चल कर बनाया यहूदी देश जिसका प्राचीन नाम था लैंड ऑफ़ इजराइल मतलब इजराइल और उनके वन्सजो की भूमि।

इजराइल (Israel) की दावेदारी

आज के इजराइल की दावेदारी इसी मान्यता के आधार पर है इस प्रकार इजराइल देश का गठन हुआ। इसके बाद इजराइल जेरुसलम को अपनी राजधानी बनाना बनाना चाहता था। इजराइल की पवित्र जगह टेम्पल माउन्ट जेरुसलम में ही थी। लकिन यहूदियों को जेरुसलम और टेम्पल ऑफ़ माउंट पर अधिकार प्राप्त करना इतना आसान नहीं था।

यहूदियों की तरह विश्व के सभी मुसलमानो की आस्था इसी जगह से जुडी थी। मुसलमान पहले ही इसराइल देश के गठन का विरोध कर रहे थे। ऐसे में यदि इसका अधिकार इजराइल को मिल जाता तो बड़ा खून खराबा हो जाता साथ ही यह मुस्लिमो के साथ पछपात भी होता। अब सवाल था की किस की आस्था को एक दूसरे की आस्था से ऊपर रखा जाये।

Israel – Palestine के टेंपल माउंट और हरम अल शरीफ का हल

इस समस्या को हल करने के लिए दनिया के बड़े देशो ने एक हल निकला जिसको पार्टीशन रेसोलुशन कहा गया। इस प्रताव में कहा गया की फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांट दिया जाये। जिसमे एक हिस्सा इसराइल का और दूसरा फिलिस्तीन का होगा।

अब जेरुसलम पर क्या निर्णय लिया गया ? इसमें जेरुसलम पर इंटरनेशनल कंट्रोल की बात कही गयी और इसका मुखिया UN ने खुद को बनाया।

इजराइल निर्णय पर राजी था पर अरब देशो ने इसे ख़ारिज कर दिया। दोनों में संघर्ष शुरू हो गया इसकी वजह से 1961 में 6 दिनों तक युध्द हुआ। इस युद्ध में इसराइल की जीत हुयी और टेम्पल ऑफ़ माउंट का कंट्रोल भी इसराइल के हाथ में आ गया जो पहले फिलिस्तीन के हातो में था।

पर इसराइल ने बड़े मुस्लिम नेताओ से बात की और इसका अधिकार जॉर्डन के हाथो में दे दिया। अब यहूदियों को भी इस परिसर में प्रवेश की अनुमति मिल गयी लेकिन केवल पर्यटक के तौर पर।

यहूदी इस जगह आ तो सकते थे पर उन्हें पूजा पाठ की अनुमति नहीं थी। इस एकतरफा समझौते को सभी ने स्वीकार नहीं किया दोनों तरफ के लोग इससे नाखुश थे। कट्टरपंथी मुस्लिम यहूदियों के इस परिसर में घुसने से नाराज थे दूसरी तरफ कट्टर यहूदी चाहते थे की उन्हें टेम्पल माउंट में प्राथना करने का अधिकार मिले।

इसका परिणाम 1982 मेँ देखने को मिला इस वर्ष अलिंन गोड़मैन नाम के इजराइली सैनिक पवित्र जगह डोम ऑफ़ रॉक में घुस कर फायरिंग शुरू कर दी। इसमें दो लोग मारे गए इस घटना के बाद यहूदियों और मुस्लिमो के बीच तनाव बढ़ गया। जब यहूदी वेस्टन वाल के पास प्राथना करते तब मुस्लिम उन पर अंदर से पत्थर फेकते थे।

यही लड़ाई की मुख्य वजह बना और आज तक इस इलाके को लेकर विवाद है। और इसी कारण 7 अक्टूबर 2023 में इस ने फिर एक युद्ध का रूप ले लिया।

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