Brahamma Ne Apani Beti Se Kiya Vivah

देवी सरस्वती और ब्रहम्मा (Brahamma) का सम्बन्ध 

हिंदू धर्म के अनुसार, ब्रह्मा (Brahmma) विश्व के सृजनकर्ता हैं। और देवी सरस्वती हिंदू धर्म में ज्ञान, कला, संगीत, विद्या, बुद्धि और वाणी की देवी हैं। देवी सरस्वती को एक बहाव माना जाता है। देवी सरस्वती को एक सफेद साड़ी धारण किये देखा जाता है, और वह हंस के ऊपर बैठी होती हैं। यह बहाव पानी या वायु का नहीं। यह बहाव ज्ञान,कला, संगीत, विद्या और बुद्धि का है जो हमे मनुष्य बनता है। सरस्वती के द्वारा ही ज्ञान, विज्ञान और कला की उत्पत्ति हुयी है।

देवी सरस्वती को हर जगह पूजा जाता है। देवी सरस्वती को दिव्य नदी की संज्ञा भी दी गयी है। इनको पवित्रता और उत्पत्ति की देवी भी माना जाता है। देवी सरस्वती को अन्य नामो से भी पुकारा जाता है। इसके अलावा भगेश्वरी, सतरूपा, ब्रहाम्मी, भगदेवी, ब्रज ,सारदा ये सभी नाम देवी सरस्वती को दिए गए हैं।

हिन्दू धर्म (Hindu Dharm)

हिन्दू धर्म से जुड़े प्राचीन काल पर नजर डाले, तो ऐसी असंख्य कहानी मिलेंगी जिनको आज कोई नहीं जनता। हिन्दू धर्म का इतिहास बहुत विशाल है इसलिए सारी जानकारियां याद रख पाना आसान नहीं। इन असंख्य कहानियों और घटनाओँ में एक घटना है।

ब्रहम्मा (Brahamma) का अपनी बेटी सरस्वती से विवाह करना। हम सभी जानते है की त्रिदेव के हाथो में ही इस सृष्टि की बागडोर है। ब्रहम्मा (Brahamma) के पास सृष्टि की रचना का दाइत्व है। विष्णु के पास इस सृष्टि के संरक्षण का और देवो के देव महादेव के हाथो में इस सृष्टि के विनाश का हक़ दिया गया है।

वेद और पुराण में अंतर

वेद और पुराण दोनों ही हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथ हैं, लेकिन इनमें अंतर होता है।

वेद –

वेद और पुराण दोनों ही हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथ हैं, लेकिन इनमें अंतर होता है।भारतीय धर्म के चार प्रमुख ग्रंथों में से एक है। वेद संस्कृत भाषा में लिखित हैं और उन्हें वैदिक साहित्य के नाम से भी जाना जाता है।

वेद विश्व की सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण धर्मग्रंथों में से एक हैं और उनमें मानव जीवन के सम्पूर्ण क्षेत्रों से संबंधित ज्ञान, धर्म, दर्शन, विज्ञान, सामाजिक और आर्थिक जीवन के सिद्धांत आदि का विस्तृत वर्णन है। वेद अधिकतर हिंदू धर्म के मूल आधार माने जाते हैं।

वेद वैदिक साहित्य का सबसे प्राचीन ग्रंथ है। ये चार वेद हैं
  1. ऋग्वेद,
  2. यजुर्वेद,
  3. सामवेद
  4. अथर्ववेद

ये भी पढ़े – हम को किसने बनाया? हम कंहाँ से आये?

पुराण-

पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक हैं। इनमें धर्म, संस्कृति और इतिहास से संबंधित अनेक ज्ञान होता है। पुराणों में देवी-देवताओं के जीवन के बारे में बताया जाता है। ये एक तरह से धर्म शास्त्र होते हैं जो धर्म, दर्शन और जीवन जीने के नियमों को स्पष्ट करते हैं।

पुराणों की संख्या 18 है और इनमें अनेक कथाओं के माध्यम से ज्ञान दिया जाता है। इनमें से कुछ पुराण जैसे श्रीमद्भागवत पुराण और विष्णु पुराण विष्णु भगवान् के जीवन की कथाएं बताते हैं। कुछ पुराण जैसे शिव पुराण और देवी भागवत पुराण शिव और देवी माता की कथाएं बताते हैं। इन पुराणों में ब्रह्मांड के उत्पत्ति और विस्तार, देवताओं के संग्रह, ऋषियों के जीवन, वेदों का महत्त्व और अनेक धार्मिक क्रियाएं वर्णित हैं।

वेद और पुराण को सरल भाषा में समझे तो वेद में मानव जीवन के सम्पूर्ण क्षेत्रों से संबंधित ज्ञान, धर्म, दर्शन, विज्ञान, सामाजिक और आर्थिक जीवन के सिद्धांत को बताया गया है। और ये सबसे प्राचीन ग्रन्थ या वेद हैं। वंही पुराण एक इतिहास की किताब की तरह हैं जिनको समय समय पर प्राचीन लेखकों द्वारा लिखा और बदला गया। सनातन के विरोधी प्राचीन काल में भी रहे हैं जो इन पुराणों को गलत रूप से प्रस्तुत करते आये। और पुराणों में लिखी कुछ कहानिया मनगढंत भी हैं।

इसी प्रकार ब्रहम्मा (Brahamma) और सरस्वती के संबंधो को बहुत ही आपत्तिजनक रूप से बताया गया जो बिलकुल भी सही नहीं।

ब्रहम्मा (Brahamma) और सरस्वती के सम्बन्ध का सच 

हिंदू धर्म के अनुसार, ब्रह्मा (Brahmma) विश्व के सृजनकर्ता हैं जो सृष्टि के लिए जवाबदेह हैं। उन्होंने संसार को निर्मित किया था और उनके चेतना से सभी जीव उत्पन्न हुए थे। सरस्वती देवी ब्रह्मा की पत्नी हैं और वे विद्या, कला और संगीत की देवी हैं।

हिंदू धर्म में, ब्रह्मा (Brahamma) और सरस्वती को देवताओं का एक महत्वपूर्ण जोड़ा माना जाता है। ब्रह्मा ने संसार का निर्माण किया था जबकि सरस्वती देवी ने मानवता को विद्या, कला और संगीत जैसी उपलब्धियों से समृद्ध किया।

ब्रह्मा और सरस्वती का सम्बन्ध बहुत गहरा है और दोनों को एक दूसरे के बिना पूरा नहीं माना जा सकता। यह सम्बन्ध उनके अभिव्यक्ति की सामंतवादी शक्ति से है जो सृष्टि की उत्पत्ति और उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

कुछ मनगढंत पुराणों में सरस्वती को ब्रह्मा की बेटी बताया गया है। और यह भी कहा गया की ब्रम्मा ने अपनी बेटी से विवाह किया। जो बिलकुल बेबुनियाद और मनगढंत हैं। देवी सरस्वती ब्रहम्मा (Brahmma) की बेटी नहीं थी।

ब्रहम्मा (Brahamma) और सरस्वती को लेकर फैलाया गया भ्रम

मत्स्य पुराण, शिव पुराण के अनुशार निम्नलिखित तरीको से सनातन धर्म को बदनाम करने की कोशिस की गयी।

मत्स्य पुराण के अनुसार  

इसके विपरीत मत्स्य पुराण के अनुसार कहा जाता है, की ब्रहम्मा के 5 सर थे। सर्व प्रथम जब ब्रहम्मा (Brahmma) ने सृष्टि की रचना की, तब वे ही थे उनके शिवा कोई नहीं था। तब ब्रहम्मा ने अपने मुख से सरस्वती को उत्पन्न किया। ब्रहम्मा अपनी रचना सरस्वती की ओर आकर्षित होने लगे। इस वजह से वे हमेशा सरस्वती पर अपनी दृष्टि डाले रखते थे। ब्रहम्मा की इस दृष्टि से बचने के लिए सरस्वती चारो दिशाओ में छिपती रही।

लेकिन उनका यह प्रयत्न असफल रहा। इसके बाद वे आकाश में जा कर छिप गयी, लेकिन ब्रहम्मा के पांचवे मुख ने उन्हें खोज लिया। इसके बाद ब्रहम्मा (Brahmma) ने सरस्वती से सृष्टि की रचना करने में सहयोग मांगा। अंत में देवी सरस्वती ने ब्रहम्मा से विवाह किया और इस विवाह के उपरांत सर्व प्रथम मनु का जन्म हुआ। ब्रहम्मा और सरस्वती के सहयोग से उत्पन मनु को इस सृष्टि की प्रथम संतान कहा जाता है।

शिव पुराण के अनुसार

शिव पुराण में भी इसका जिक्र मिलता है। शिव पुराण के अनुशार ब्रहम्मा (Brahmma) के सर्वप्रथम 5 सर थे। जिस पांचवे सर से ब्रहम्मा ने सरस्वती से विवाह करने की बात कही। और उन पर बुरी दृष्टि डाली और उन से सम्भोग करने की बात की। इस पर देवी सरस्वती ने क्रोधित होकर कहा की तुम्हारा यह मुँह हमेशा अपवित्र बातें ही करता है। और इस मुख के कारण आप हमेशा विपरीत ही सोच ही रखते है।

इस घटना के बाद एक बार शिव अपनी अर्धांग्नी पारवती को ढूंढते हुए ब्रहम्मा के पास पहुंचे। तब ब्रहम्मा के एक मुख को छोड़ बाकि चारो मुखो  ने उन्हें प्रणाम किया। वहीं पांचवे मुख ने अमंगल आवाजे निकलना शुरू कर दी। इस से क्रोधित होकर भगवान् शिव ने ब्रहम्मा (Brahmma) के उस पाँचवे सर को धड़ से उखाड़ दिया।

इन पुराणों का गलत अर्थ निकालने वाले सनातन धर्म के विरोधी या निम्न मानसिकता के रहे होंगे। ब्रहम्मा (Brahmma) जी ने कभी भी अपनी बेटी से विवाह नहीं किया। ये सिर्फ कुछ विरोधी तत्वों के दिमाग की उपज है इन लोगो को वेदो का कोई ज्ञान नहीं रहा होगा। ना ही इन्होने ये वेद पढ़े होंगे।

इस तरह की अनर्गल बातो पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं। एक सनातनी होने के नाते अपने धर्म की सच्चाई जरूर जाने।

2 thoughts on “Brahamma Ne Apani Beti Se Kiya Vivah”

Leave a Comment