Hanumaan Ji Ka Mangalvar Vrat Ki Vidhi Puja Vidhi

Hanumaan Ji Ka  Mangalvar Vrat : हनुमान जी का व्रत कैसे करें?

Hanumaan की उपासना हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। हनुमान जी भक्ति, शक्ति और समर्पण का प्रतीक माने जाते हैं। Hanumaan एक प्राचीन हिंदू देवता हैं। 

महाभारत और रामायण के अतिरिक्त अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी हनुमान जी का उल्लेख है। वे भगवान राम के भक्त हैं और उनकी सेवा में लगे रहते हैं।

Hanumaan को अक्षय कुमार और पवनपुत्र भी कहा जाता है। उनकी पूजा भारत में बहुत लोकप्रिय है और उन्हें भक्तों के लिए एक प्रेरणा स्रोत माना जाता है।

Hanumaan जी के बल की तुलना कुछ ग्रंथो में की गयी है।  

10 हज़ार हाथियों का बल एक ऐरावत हाथी में होता है।
10 हज़ार ऐरावत हाथियों का बल भगवान इंद्र में होता है।
10 हज़ार इन्द्र का बल हनुमान जी के कनिष्ठा हाथ की सबसे छोटी ऊँगली में प्रतिष्ठित है।
 
 

भगवान शिव के रुद्र अवतार

Hanumaan को स्वयं भगवान शिव ने अपने एक अवतार के रूप में अवतरित किया था। जिसको रुद्र अवतार के रूप में जाना जाता है। वे अस्त्र-शस्त्र विद्या में विशेषज्ञ हैं और अपनी बलशाली और दिव्य शक्तियों के कारण प्रख्यात हैं।
 
अपनी भक्ति और सेवा के कारण हनुमान को अमर बताया जाता है और उन्हें भारतीय संस्कृति में एक आदर्श भक्त का प्रतीक और एक महान देवता का दर्जा दिया जाता है।
 
उन्हें वानर सेना का सबसे बुद्धिमान और शक्तिशाली सैनिक माना जाता था। उन्हें भगवान राम के भक्त और सेवक के रूप में भी जाना जाता है।
 
Hanumaan जी को बल, बुद्धि और त्याग का प्रतीक माना जाता है। उनकी उपासना से लोग उनसे शक्ति, भक्ति, समर्पण, संकट से मुक्ति और सुख-शांति की कामना करते हैं।
 

हनुमान जी का जन्म | Hanuman Jee Ka Janm

Hanumaan जी के जन्म को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। हनुमान के जन्म के बारे में सुन्दर काण्ड में विस्तार पूर्वक बताया गया है।

वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण मे किष्किंधाकांड में सबसे पहले हनुमान जी के जन्म और उनके जन्म स्थान का वर्णन मिलता है। हनुमान जी की माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसर था। वे पवनपुत्र यानी वायु के पुत्र भी कहलाते हैं।

हनुमान जी की उपासना में कौन से वस्त्र धारण करें ?

Hanumaan Ji Ka  Mangalvar Vrat Ki Vidhi

हनुमान जी की उपासना के दौरान, आप ध्यान रख सकते हैं कि आप साफ और शुद्ध वस्त्र पहनें। यदि आप अपनी उपासना के दौरान कुछ विशेष वस्त्र पहनना चाहते हैं, तो आप निम्नलिखित वस्त्र पहन सकते हैं:
  • भगवान हनुमान जी को केसरिया (गुलाबी) रंग बहुत पसंद होता है, इसलिए आप इस रंग के कपड़े या चुनरी पहन सकते हैं।
  • हनुमान जी के लिए सफेद रंग भी बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए आप सफेद रंग के कपड़े भी पहन सकते हैं।
  • आप हनुमान चालीसा के पाठ के दौरान लाल रंग के वस्त्र पहन सकते हैं।
याद रखें कि अंतिम रूप में, वस्त्र का रंग और प्रकार आपके विचारों और पसंद के आधार पर निर्धारित होता है।
 
 

हनुमान जी की उपासना कैसे करें ? | Hanuman Jee Kee Upaasana Kaise Karen ?

हनुमान जी की उपासना निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है:
सुबह स्नान कर हनुमान जी की प्रतिमा के स्थान और प्रतिमा को स्वच्छ करें। श्रद्धा पूर्वक उपासना या पूजा करे।

हनुमान जी की उपासना में हनुमान चालीसा का पाठ करना, हनुमान जी की उपासना के लिए सबसे लोकप्रिय है  है। सुबह एकांत में ध्यान लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।

Hanumaan चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। हनुमान जी के मंत्रो का जाप करें हनुमान जी के कई मंत्र हैं  जो उनकी उपासना में उपयोगी होते हैं। हनुमान जी के संकटमोचन हनुमानाष्टक, बजरंग बाण और हनुमान जयंती के दिन राम नाम जप करने से भी उनकी कृपा मिलती है।

हनुमान जी के उपासक पंचमुखी या दशमुख हनुमान यन्त्र का उपयोग करके भी उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। यन्त्र को अपने मंदिर या पूजा स्थल में स्थापित करें और रोज उसके सामने दीप जलाएं और प्रार्थना करें।

Hanumaan जी को लगये जाने वाले भोगहनुमान जी की पूजा और उपासना में भोग लगाना एक महत्वपूर्ण अंग है। हनुमान जी को भोग के रूप में सबसे ज्यादा खीर, लड्डू, मिठाई, बूंदी, पंचामृत (दही, घी, शहद, दूध और गंगाजल का मिश्रण), फल, और नारियल पानी का भोग लगया जा सकता है।

हनुमान जी का व्रत कैसे करें? | Hanumaan Ji Ka Vrat Kayse kare?

Hanumaan जयंती एवं मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखा जाता है। मंगलवार व्रत हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा मंगलवार के दिन रखा जाने वाला एक धार्मिक व्रत है। मंगलवार भगवान हनुमान जी का दिन माना जाता है और इस व्रत का आचरण करने से हनुमान जी की कृपा मिलती है।

हनुमान जी के व्रत को रखने वाले व्यक्ति को शाकाहार का पालन करना आवश्यक है। पूजा में फल-फूल को भी अर्पित करें। व्रत वाले दिन सुबह भगवान हनुमान के मंदिर में जाकर उन्हें दीप जलाना चाहिए। व्रत के दौरान भक्त को श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, Hanumaan अष्टक, हनुमान अमृतवाणी आदि का पाठ करना चाहिए ।
 
  • भक्त व्रत के दौरान निरंतर हनुमान जी की भक्ति में रहते हुए मंदिर या उनकी मूर्ति के आसपास ध्यान लगाते हुए जप या ध्यान कर सकते हैं।
  • इस व्रत में भक्त सामूहिक रूप से संगीत और भजन की सभाएं आयोजित भी कर सकते हैं।
  • मंगलवार व्रत के दौरान मन्त्र जाप भी किया जाता है। मंगलवार व्रत करने से हमारा मन शांत होता है

व्रत के अंत में, भक्त अपने व्रत का पूजन करते हुए हनुमान जी को मीठा भोग लगाकर उनकी आरती करें। इस व्रत का उद्देश्य हनुमान जी की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।

व्रत करने से होने वाले लाभ

  • हनुमान जी की कथाएं सुनना: हनुमान जी के जीवन से जुड़ी कथाओं को सुनने से शुभ फल प्राप्त होता है।
  • हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, बजरंग बाण जैसे मंत्रों का जाप करने से व्रत करने वाले के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • संकट से मुक्ति – Hanumaan जी की उपासना से व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी संकटमोचन होते हैं और उनकी कृपा से व्यक्ति के सभी संकटों से निजात मिलती है।
  • समर्पण – हनुमान जी की उपासना से व्यक्ति में समर्पण की भावना विकसित होती है। वे अपने जीवन को भगवान सेवा में समर्पित करते हैं।

भगवान् Hanumaan जी की उपासना और व्रत में किये जाने वाले कुछ पाठ जो निम्नलिखित हैं

संकटमोचन हनुमानाष्टक मंत्र | Sankatamochan Hanumaanaashtak Mantra

बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
 
देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 1 ॥
 
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महा मुनि शाप दिया तब,चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥
 
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥2॥
 
अंगद के संग लेन गये सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥
हेरि थके तट सिंधु सबै तब,लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥3॥
 
रावन त्रास दई सिय को सब,राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,जाय महा रजनीचर मारो ॥
चाहत सीय अशोक सों आगि सु,दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥4॥
 
बाण लग्यो उर लछिमन के तब,प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥
आनि सजीवन हाथ दई तब,लछिमन के तुम प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥5॥
 
रावण युद्ध अजान कियो तब,नाग कि फांस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,मोह भयोयह संकट भारो ॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु,बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥6॥
 
बंधु समेत जबै अहिरावन,लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि,देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥
जाय सहाय भयो तब ही,अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥7॥
 
काज किये बड़ देवन के तुम,वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥8॥
 
दोहा :  ॥लाल देह लाली लसे,अरू धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर ॥
॥ इति संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ॥
 

बजरंग बाण | Bajarang Baan

दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
 
चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
 
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
 
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
 
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
 
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
 
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
 
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
 
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
 
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
 
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
 
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
 
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
 
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
 
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
 
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
 
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
 
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
 

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