How Lord Brahma Create All Universe With The Help Of Parmatma
हम को किसने बनाया? हम कंहाँ से आये? ब्रह्माण्ड क्या है? कैसे बना किसने बनाया? इस प्रश्न का उत्तर जानने की इच्छा हर किसी के मन में उठती है। पर लोगो को इसका पूर्ण उत्तर नहीं मिलता विज्ञान के अनुसार ब्रह्माण्ड Big Bang के बाद बना। ब्रह्माण्ड को समझने और समझाने के अलग अलग तर्क हैं पर इसका पूर्ण विवरण आपको सनातन धर्म में मिलेगा। सनातन धर्म के वेदो और पुराणों में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से बताया गया है।
The Big Bang Theory
बिग बैंग थ्योरी (The Big Bang Theory) ब्रह्माण्ड की रचना की वैज्ञानिक समझ है जिसमे ब्रह्माण्ड कैसे बना ये बताया गया है। प्रख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग (Stephen Hawking) जिनका निधन कुछ वर्ष पहले हुआ है उन्होंने इसको अच्छे से समझाने की कोशिस की। स्टीफन हाकिंग ने विज्ञान को आधार मान कर बिग बैंग और ब्लैक होल (Black Hole) को अच्छे से समझाने की कोशिस की। स्टीफन हाकिंग के अनुसार 15 अरब साल पहले ब्रह्माण्ड की सारी भौतिक वस्तुए एवं पिंड और इसके साथ सारी ऊर्जा एक छोटे से बिंदु में सिमटी हुयी थी। एक दिन अचानक ये बिंदु बम की तरह फट जाता जिसमे ढेर सारी ऊर्जा और भौतिक तत्व जिसको हम माप नहीं सकते सरे ब्रह्माण्ड में फैल जाते है और एक दूसरे दूर चले जाते है। इस थ्योरी का श्रेय श्रेय ऐडविन हबल नमक वैज्ञानिक को जाता है जिन्होने बहुत समय पहले कहा था की ब्रह्माण्ड के निरंतर फैलता जा रहा है।
ब्रह्माण्ड के जन्म से पहले क्या था ?
इस सृष्टि या ब्रह्माण्ड के आकर लेने से पहले एक शक्ति एक ऊर्जा एक तेज था जिसको सनातन धर्म में परब्रह्म परमात्मा या शिव कहा गया है। ब्रह्माण्ड के जन्म से पहले एकमात्र परब्रह्म परमात्मा या शिव जी ही थे इसके आलावा किसी दूसरी वस्तु का अस्तित्व नही था।
कैसे अस्तित्व में आये त्रिदेव ?
परब्रह्म परमात्मा ने विस्तार के बारे में सोचा। परब्रह्म परमात्मा या दिव्य शक्ति ने अपनी इच्छा पूर्ण करने के लिए अपनी ही ऊर्जा से भगवान शिव,विष्णु और ब्रह्मा जी को अवतरित किया। सबसे पहले शिव जी अस्तित्व में आए। शिव जी की इच्छा से भगवान विष्णु उत्पन्न हुए एक समय भगवान विष्णु घोर तप कर रहे थे। विष्णु भगवान् के तप करते समय उनके शरीर से बहुत सी जल धाराएं निकलने लगी उसी समय उनकी नाभी से एक कमल का फूल उत्पन्न हुआ। कमल के फूल में ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। ब्रह्मा और विष्णु के अस्तित्व में आने के पश्चात शिव जी स्वम ब्रह्मा और विष्णु के समक्ष प्रकट हुए। शिव जी ने ब्रह्मा और विष्णु जी को बताया की आप दोनों मेरे ही अंश हैं। साथ ही शिव जी ने बताया आप दोनों की उत्तपति सृष्टि की रचना के लिए की गयी है। शिव जी ने ब्रह्मा जी से सृष्टि की रचना करने को कहा और विष्णु जी को इस सृष्टि का संचालन करने को कहा। सृष्टि की रचना से पूर्व ब्रह्मा, विष्णुः और महेश ये शिव जी के ही तीन रूप थे। विष्णु जी को सतो गुण, ब्रह्मा जी रजो गुण और शिव जी तपो गुण का प्रतीक माना गया है। सतो गुण आनंद,सजग और बोध का प्रतीक है राजो गुण चंचलता, इच्छा,वासना का प्रतीक है इसी प्रकार तपो गुण क्रोध एवं आलस्य का प्रतीक है।
भगवान ब्रह्मा को क्यों पूजा नहीं जाता
एक बार भगवान विष्णुः और ब्रह्मा में इस विषय पर बहस हो गयी की दोनों में से कौन उत्तम है। भगवान् विष्णुः और ब्रह्मा के बीच यह बहस एक झगडे में बदल गयी तब भगवान् शिव प्रकट हुए। भगवान शिव जी ने ब्रह्मा और विष्णुः के बीच एक विशाल शिवलिंग को प्रकट कर दिया। शिव जी ने ब्रह्मा और विष्णुः जी से कहा आप दोनों इस शिवलिंग के अंत तक जाएँ और जो अंत तक जा कर जल्दी वापस आएगा वह श्रेष्ठ होगा। तब भगवान विष्णुः शिवलिंग के निचे की ओर गए औऱ ब्रह्मा जी शिवलिंग के ऊपर इसका अंत खोजने निकल पड़े। परन्तु इस शिवलिंग का कोई अंत ना ही विष्णुः जी को मिला औऱ ना ही ब्रह्मा जी को। विष्णु जी ने लौट कर शिव जी से क्षमा मांगी औऱ कहा इस शिवलिंग के छोर तक जाना उनके वस में नहीं। ब्रह्मा जी को भी शिवलिंग का अंत नहीं मिला पर जब ब्रह्मा जी लौटे तब उन्होने शिव जी को झूंट बोला की उनको शिवलिंग का अंत मिल गया है। शिव सब कुछ जानते थे इसलिए उनको क्रोध आया औऱ उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया की उनको पूजा नहीं जायेगा। शिव जी का ये श्राप आज भी अटल है औऱ ब्रह्मा जी को अन्य देवताओं के सामान पूजा नहीं जाता।
ब्रह्माण्ड का रचयिता कौन ?
हमारे पुराण अलग अलग देवताओं पर रचित हैं शिवपुराण में सृष्टि का निर्माण शिव जी द्वारा किया गया बताया जाता है। नारद पुराण और विष्णु पुराण में सृष्टि का निर्माण विष्णु जी ने किया है ब्रह्म पुराण के अनुसार सृष्टि का निर्माण ब्रह्मा जी ने किया है। ऐसा इसलिए कहा गया कन्यो की प्रतेक पुराण एक ही देवता के ऊपर रचित है और सिर्फ उन्ही का वर्णन किया गया है इस कारण एक भ्रम पैदा होता है। वेदों के अनुसार ब्रह्मांड को रचने वाले ब्रह्मा जी हैं जो विष्णु जी के नाभी से निकले कमल से पैदा हुए थे। ब्रह्मा जी ने ही सारी सृष्टि में जीवो का निर्माण किया हैं। ब्रह्मा जी को पितामह भी कहा जाता क्योंकि सभी देवताओं के पिता ब्रह्मा जी हैं देवताओं की उत्पत्ति भी ब्रह्मा जी ने की थी।पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख व चार हांथ हैं। ब्रह्मा जी के हांतो में वरमुद्रा,अक्षरसूत्र, वेद और एक हाथ में दिव्य जल से भरा कमंडल है और ब्रह्मा जी स्वेत वस्त्र धारण करते हैं।
किसी मूर्ति और चित्रों को ईश्वर,देवी,देवताओं का प्रतीक समझ कर पूजा जाता है। ये मूर्ति और चित्र देवी देवताओं के प्रतीक मात्र हैं। वेद पुराण अनुसार जिस तरह विवरण है उनके उसी रूप को मूर्ति और चित्रों में ढाला गया है।
इस तरह ब्रह्मा जी ने किया सृष्टि का निर्माण।
परब्रह्म परमात्मा से त्रिदेव भगवान शिव,भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। ब्रह्मा जी को सृष्टि में जीवो की रचना करनी थी ब्रह्मा जी को जीवो की संरचना के साथ साथ वंशवृद्धि भी करनी थी। सर्वप्रथम ब्रह्मा जी ने मानस पुत्रों को जन्म दिया अर्थात वे पुत्र जिनका जन्म स्त्री और पुरुष के मिलन से ना होकर मन की इच्छा से हुआ हो। हमारे वेद और पुराणों में ब्रह्मा जी के अनेक मानस पुत्रों का वर्णन मिलता है। इनमे प्रमुख 10 मानस पुत्र थे
- सनकादिक ऋषि
- नारद
- धर्म
- अधर्म
- प्रजापति
- रुचि,
- प्रजापति
- दक्ष
- कदम
- सप्त ऋषि
- इन मानस पुत्रो का सबसे अधिक वर्णन मिलता है। ब्रह्मा जी ने सबसे पहले चार मानस पुत्र को जन्म दिया इनके नाम थे
- सनक
- सदानंद
- सनातन
- सनदकुमार
इनको सनकादिक ऋषि भी कहा जाता है। ब्रह्मा जी ने इन चारो पुत्रों को सृष्टि की रचना का कार्य दिया पर इन चारो पुत्रों में से किसी ने भी सृष्टि की रचना में रुचि नहीं ली। इस कारण ब्रह्मा जी निराश हो गए कुछ समय बीत जाने के बाद एक बार फिर ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण की योजना बनाई। ब्रह्मा जी ने इस बार अन्य दस मानस पुत्रों को प्रकट किया जिसमे
- मन से मरीचि
- नेत्रों से अत्री
- मुख से अंदिरा
- कान से पुलस्य
- नाभी से पुला
- हाथ से कृतु
- त्वचा से भृगु
- प्राण से वसिष्ठ
- अंगूठे से दक्ष
- गोद से नारद
का जन्म हुआ। इन दस मानस पुत्रों में से नारद ने भी सृष्टि रचना में रुचि नहीं दिखाई बाकी नौ मानस पुत्रों ने सृष्टि रचना में रुचि दिखाई। ये मानस पुत्र अकेले सृष्टि रचना नही कर सकते थे इसलिए ब्रह्मा जी ने शिव जी से मदद मांगी तब शिव जी ने अपने अर्ध नरेश्वर रूप से स्त्री और पुरुष को अलग कर दिया। इस तरह स्त्री और पुरुष दो विपरीत लिंग अस्तित्व में आए। पुरुष का नाम था स्वम भू मनु और स्त्री थी सतरूपा। ब्रह्मा जी इन दोनो का विवाह करा कर मैथुनी सृष्टि की रचना करना चाहते थे।
ब्रम्हा जी द्वारा काम देव की उत्पत्ति
ब्रह्मा जी ने काम देव की उत्पत्ति की पर जब ब्रह्मा जी सृष्टि रचना का ज्ञान कामदेव को दे रहें थे तब काम देव पूरी बात सुने बिना चले गए। जिससे ब्रह्मा जी कामदेव पर क्रोधित हो गए ब्रह्मा जी ने काम देव को श्राप दे दिया जब कामदेव को श्राप के बारे में पता चला तब कामदेव ने ब्रह्मा जी से क्षमा मांगी। कामदेव की क्षमा से ब्रह्मा जी शांत हुए और ब्रह्मा जी ने कामदेव को रहने के लिए बारह स्थान दिए। ये बारह स्थान थे
स्त्री के कटाक्ष, केश,राशि,जंघा, वछ,नाभी,जंघमूल, चित्त,अधर,कोयल की कूक,चांदनी,वर्षाकाल और बैसाख माह।
ब्रह्मा जी के कहे अनुसार कामदेव तीनो लोक में भ्रमण करने लगे और प्रेम और काम का प्रसार करने लगे। अब मनु और सतरूपा का विवाह होता है यह सृष्टि का पहला विवाह था। हिंदू धर्म अनुसार हम सभी मनु और सतरूपा की संताने हैं। सृष्टि के प्रथम पुरुष मनु ओर स्त्री थीं सतरूपा। इनके दो पुत्र और तीन पुत्री हुई और यन्ही से सृष्टि का विस्तार होना प्रारम्भ हुआ जो आज तक चला आ रहा है। इस तरह ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का निर्माण हुआ।
ब्रह्मा जी की आयु कितनी है ?
ब्रह्मा जी की आयु 100 वर्ष बताई गयी है ये 100 वर्ष मनुष्य के 100 वर्षो के बराबर नहीं है। इसको समझने के लिए सबसे पहले हमें चतुर्युग के बारे में जाना होगा चारो युग मिल कर एक चतुर्युग बनाते है।
- सतयुग का समय – 1728000 (17 लाख 28 हजार) मानव वर्ष
- द्वापर युग – 1296000 अर्थात (12 लाख 16 हजार ) मानव वर्ष
- त्रेता युग – 864000 ( 8 लाख 64 हजार ) मानव वर्ष
- कलयुग – 432000 (4 लाख 32 हजार ) मानव वर्ष
यदि सतयुग ,द्वापर युग ,त्रेता युग और कलयुग के समय को मिला दिया जाये तो एक चतुर्युग बनता है। एक चतुर्युग 43 लाख 20 हजार मानव वर्ष के बराबर होता है। इसे महायुग भी कहते हैं। श्री मद्भागवत गीता में ब्रह्मा जी का एक दिन 1000 महायुगों के बराबर बताया गया है। इस प्रकार से ब्रह्मा जी का एक दिन 4 खरब 32 अरब मानव दिवस के बराबर हैं जिसको एक कल्प कहते हैं। इसी प्रकार ब्रह्मा जी की रात्रि भी इतने ही समय की है इस प्रकार ब्रह्मा जी का एक दिन (दिन + रात) =8 ,640 ,000,000 8 खराब 64 अरब मानव वर्ष (2 कल्प ) है।
जब ब्रह्मा जी अपने 100 वर्ष पूरे करते हैं तो ब्रह्मा जी की उम्र पूरी होने के साथ सृष्टि की आयु भी पूरी होती है। इसके पश्चात दुबारा यही काल चक्र सृष्टि को दुबारा रचता है और ये सिलसिला अनंत तक चलता है। अगर आपने ये लेख पूरा पढ़ा होगा तो आपको सृष्टि की रचना से जुड़े सवालों के उत्तर मिल गए होंगे। यदि आपके मन में कोई अन्य जिज्ञासा है तो कमेंट करे धन्यवाद!
Rochak jaankari
Superior
Wah bahot satik gan mila
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