Air Pollution- (AQI) चर्चा में क्यों है?
हाल में इस सीज़न में पहली बार दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गिरकर गंभीर श्रेणी में पहुँच गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई (AQI) 400 के स्तर को पार कर गया। इसी के साथ दिल्ली एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लैन यानी (GRPA ) का चौथा चरण भी लागू हो गया।
ऐसी बहुत सी स्टडीज़ हैं जिन्होंने यह दिखाया है की पोल्लुशन (Air Pollution) से हार्ट, ब्रेन और शरीर के दूसरे अंग प्रभावित होते हैं। खाली फेफड़े ही प्रभावित होते हैं और बच्चों में इसका इफेक्ट इसलिए ज्यादा होता है क्योंकि उनके फेफड़े अभी पूरी तरह से विकसित नहीं है।
(Air Pollution) छोटे बच्चे इससे लड़ने में सक्छम नहीं । वो बलगम बना के नहीं निकाल सकते, उसको एडजेस्ट नहीं कर सकते। वायु प्रदूषण बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर है और इससे रिलेटेड कई बीमारियां हम से जुड़ चुकी है।
क्या है ये एक्यूआइ (AQI) क्या है?
(AQI) का पूरा नाम एयर क्वालिटी इंडेक्स या वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Pollution) को मापने का यूनिट है। हवा की गुणवत्ता के लिए एक नंबर, एक रंग, एक विवरण की तरह इसे 2014 में शुरू किया गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी (CPCB) ने इसे आईआईटी कानपुर के सहयोग से विकसित किया है। वायु गुणवत्ता की माप आठ प्रदूषक को पर आधारित है। ये है पार्टिक्युलेट मैटर PM10, पर्टिक्युलेट मैटर PM2.5 नाइट्रोजन डाइऑक्साइड यानी (NO2 ) सल्फर डाइऑक्साइड यानी SO2 कार्बन मोनोऑक्साइड यानी CO ओजोन (O3 ) अमोनिया NH3 और लेड यानी (PB)
एक्यूआई (AQI) में वायु गुणवत्ता की 6 श्रेणियाँ होती है।
- अच्छी गुणवत्ता यानी हरा एक्यूआई (AQI) 0 से 50 यानी हवा की गुणवत्ता साफ है।
- सामान्य हल्का हरा एक्यूआई (AQI) 51 से 100 इससे सांस की बीमारियों वाले लोगों को सांस लेने में कुछ परेशानी हो सकती है।
- मध्यम वायु गुणवत्ता गुलाबी एक्यूआई (AQI) 101 से 200 मध्यम वायु प्रदूषण में लंबे समय तक संपर्क में रहने पर श्वसन संबंधी रोग हो सकते हैं।
- खराब पीला एक्यूआइ (AQI) 210 से 300 स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में तकलीफ होती है।
- बहुत खराब, लाल एक्यूआइ 301 से 400 यानी स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव
- गंभीर रोग चेहरा लाल एक्यूआई 401 से 500 यानी स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष प्रभाव जैसे एलर्जी, चकत्ते, त्वचा की समस्याएं और अधिक गंभीर श्वसन रोग।
जी आर ए पी यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लैन (GRAP) क्या है ?
ये आपातकालीन उपायों का एक समूह है जो दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में एक निश्चित सीमा तक पहुंचने के बाद (Air Pollution) को मापने का यूनिट है।वायु की गुणवत्ता में होने वाली गिरावट को रोकने के लिए लागू होता है। इसे एमसी मे
हता बनाम भारत संघ 2016 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तैयार किया गया है। किसी स्थान के वायु गुणवत्ता सूचकांक के आधार पर जीआरएपी को चार प्रमुख वर्गों में वर्गीकृत या ग्रेड किया जाता है।
गंभीर प्लस या आपात काल
ये श्रेणी तब लागू होती है जब यह PM2.5 और PM10 मान क्रमशः 300 micrometres और 500 micrometres के बराबर या उससे अधिक हो। ये हवा में अड़तालीस घंटे से अधिक समय तक बना रहता है। इसके पैमाने ही उपाय की बात करें तो इसमें शामिल हैं।
दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर ट्रक यातायात के प्रवेश पर रोक लगाना, सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाना, दिल्ली में निजी वाहनों के पार्किंग की सम विषम योजना लागू करनाऔर स्कूलों को बंद करने जैसे आपातकालीन निर्णय लेने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन करना
गंभीर
ये श्रेणी तब लागू होती है जब PM2.5 और PM10 सांद्रता फर्म शेय, 250 पीपीएम और 430 पीपीएम हो जाए। इसके पैमाने हो पाए की बात करें तो इसमें शामिल हैं स्टोन क्रेशर उद्योग, ईंट भट्ठे, हॉट मिक्स प्लांट आदि बंद करना।
कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट का उपयोग कम से कम करना प्राकृतिक गैस बिजली संयंत्रों को हवा में कणों के उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रोत्साहित करना। पीक ट्रैफिक को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के वाहनों के लिए
अलग अलग समय निर्धारित करना।और ज्यादा धूल वाली सड़कों पर धूल को कम करने के लिए अक्सर पानी का छिड़काव करना।
बहुत खरा
जब PM2.5 सांध्रता 121 से 250 पीपीएम (PPM) की सीमा के बीच होती है और पीएम PM10 सांध्रता 351 से 430 पीपीएम (PPM) के बीच होती है। इसके पैमाने उपाय की बात करें तो इसमें शामिल हैं डीजल से चलने वाले जेनरेटरों को बंद करना, निजी वाहन पार्किंग शुल्क में वृद्धि और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करना। कोयला और जलाऊ लकड़ी का उपयोग करने की अनुमति नहीं। सास और देह संबंधी समस्याओं वाले नागरिक को कोई यात्रा से बचने की सलाह।
माध्यम से खराब
ये श्रेणी तब लागू होती है जब PM2.5 का स्तर 61 से 120 पीपीएम और PM10 का स्तर 101 से 350 पीपीएम (PPM) के बीच होता है। इसके पैमाने उपाय में शामिल है।
खुले में कचरा जलाना, प्रतिबंधित करना, ईंट भट्टे और पत्थर उद्योग बंद करना, उद्योगों को बंद करके धूल उत्पादन, फ्लाई ऐश रैलीस करना और पटाखों पर प्रतिबंध लगाना, सड़कों की बार बार सफाई और उन पर पानी का छिड़काव करना आदि।
बढ़ते AQI और Air Pollution घोल रहा धीमा जहर
अगर देश के मुख्य शहरो की हवा की AQI लेवल Air Pollution इस तरह बढ़ता रहा तो ये शहर हमको छोड़ने पड़ेंगे। इंसान का ध्यान इस तरफ नहीं गया तो हवा में घुला धीमा जहर (Air Pollution) सबकी जान लेने लगेगा।
Air Pollution ये कोई सामान बात नहीं बस इसका ज्ञान आम आदमी को नहीं, और वो आसानी से ये जहर अपने फेफड़े तक पंहुचा रहा है। सरकार का ध्यान भी Air Pollution की तरफ ठीक तरह से नहीं जा रहा। ये प्रदूषित हवा (Air Pollution) 24 घंटों में 5 सिगरेट सिगरेट से लेके 25 सिगरेट पीने जैसा बुरा प्रभाव हम पर डाल रही है।
- AQI लेवल 100 से 200 – 24 घंटे में 5 सिगरेट पीना
- AQI लेवल 200 से 300 – 24 घंटे में 10 से 15 सिगरेट पीना
- AQI लेवल 300 से 400 – 24 घंटे में 15 से 20 सिगरेट पीना
- AQI लेवल 400 से 500 + – 24 घंटे में 20…… + सिगरेट पीना
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