गाँधी के19 साल की पोती मनुबेन के साथ ब्रह्मचर्य के प्रयोग

गाँधी ने अपनी भतीजी मनु के साथ 70 वर्ष की उम्र में ब्रह्मचर्य के प्रयोग किये

1947 में जब हमारा देश भारत आजादी के मुहाने पर खड़ा था, तब गाँधी जी की ब्रह्मचर्य के प्रयोग की बातें सुर्खियों में आ गई थी। गाँधी जी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग जुड़ा यह विषय देश के शीर्ष नेताओ के सर झुकाने के लिए काफी था। ये सारी जानकारियाँ प्रसिद्ध इतिहासकार रामचन्द्र गुहा की बायोग्राफी फादर ऑफ ए नेशन में विस्तार से लिखी गयी है। 

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इस पोस्ट में गाँधी जी की ब्रह्मचर्य के प्रयोग की सारी घटनाओं के साक्ष्य लिखित रूप में मौजूद हैं। गाँधी की पोती मनुबेन ने अपनी एक दैनिक डायरी में सारी सच्चाइयाँ लिखी थीं। मनुबेन की इस डायरी के हर पेज पर गाँधी के हस्ताक्षर हैं जिनको नाकारा नहीं जा सकता। मनु बेन की डायरी गाँधीजी द्वारा दी गई सफाइयों का को गलत ठैराती है।

इस पोस्ट में हम गाँधी के अनसुने कृत्यों जानेंगे 

  • गाँधी के ब्रह्मचर्य की शुरआत
  • गाँधी के 19 साल की पोती मनु बेन (मृदुला गांधी)के साथ ब्रह्मचर्य के प्रयोग
  • गाँधी जी की पोती मनुबेन की डायरी के खुलासे।
  • उन्होंने ब्रह्मचर्य के प्रयोग किन महिलाओ के साथ किये।
  • देश के शीर्ष नेताओ और उनके बेटे देवदास गाँधी ने गाँधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग का विरोध क्यों किया?
  • गाँधी का हठ
  • गाँधी की हत्या

गाँधी के ब्रह्मचर्य की शुरआत 

गाँधी और कस्तूरबा

 

1883 में गाँधी का विवाह 13 वर्ष की उम्र में उनसे 1 साल बड़ी कस्तूरबा गाँधी से हुया था। उनके चार पुत्र हुए गाँधी के पुत्रो के नाम हरिलाल गांधी, रामदास गांधी, मणिलाल गाँधी, और देवदास गाँधी थे।

38 वर्ष की उम्र में गाँधी जी ने ब्रह्मचर्य से जीवन जीने का प्रण लिया था। उन्होंने बताया था की उन्होंने अपनी पत्नी कस्तूरबा से ब्रह्मचर्य अपनाने के बारे में बात की थी। गाँधी ने बताया था की कस्तूरबा मेरे निर्णय के समर्थन को तैयार हैं गाँधी जैन गुरु रे चंदुभाई और रूसी लेखक लियो टॉलस्टॉय के जीवन से प्रभावित हुए थे इनलोगो ने भी ब्रह्मचर्य को अपनाया था

गाँधी के 19 साल की पोती मनुबेन के साथ ब्रह्मचर्य के प्रयोग?

Manuben

70 साल का व्यक्ति अपनी ही पोती जो 19 वर्ष की थी उसके साथ निर्वस्त्र हो कर सोता और स्नान करता था ?

गाँधी जी की पोती मनुबेन की डायरी के खुलासे।

मनुबेन की इच्छा थी की यह डायरी मरने के बाद उनकी बहन की बेटी को दी जाये। मनु की डायरी गुजराती में है इस डायरी में 11 अप्रैल 1943 से 21 फरवरी 1948 तक की प्रत्येक दिन की दिनचर्या को मनु द्वारा लिखा गया है।

बिहार, में 28 दिसंबर 1946

मनु ने लिखा सुशीलाबेन ने आज मुझ से कहा कि मैं बापू (गाँधी) के साथ क्यों सो रही थी और मुझे इस के गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसके बाद सुशीला बेन ने अपने भाई प्यारेलाल से मेरे विवाह की बात की जिसको मने साफ़ मन कर दिया।

मैंने सुशीलाबेन से ये भी कहा की वे भविष्य में इस तरह की बात मुझ से ना करें। अपनी डायरी में आगे मनु बेन लिखती हैं की प्यारेलाल मुझ से प्रेम करते थे और विवाह के लिए दबाव बनवा रहे थे। मैंने इसके लिए साफ़ मन कर दिया था।

बिरला हाउस, दिल्ली, में 18 जनवरी 1947

मनु अपनी डायरी में लिखती हैं बापू (गाँधी) बहुत दिनों बाद मेरी डायरी को पढ़ते हैं। और मुझे बताते हैं की वे डायरी पढ़ के संतुष्ट थे। बापू ने कहा  मेरी परीक्षा खत्म हुई और उनके जीवन में मेरी जैसी जहीन लड़की कभी नहीं आई, और यही वजह थी कि वे खुद को सिर्फ मेरी माँ कहते थे। बापू (गाँधी) ने कहा इस ब्रह्मचर्य के महान यज्ञ में तुम ने भरपूर शहयोग दिया है। 

नवग्राम, बिहार में 31 जनवरी 1947

मनु की डायरी अनुसार, ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर विवाद गंभीर रूप अख्तियार करता जा रहा है। मुझे संदेह है कि इस के पीछे (अफवाहें फैलाने के) सुशीलाबेन और कनुभाई (गाँधी के भतीजे) का हाथ था।

मैंने जब बापू से यह बात कही तो वे मुझसे सहमत होते हुए कहने लगे कि पता नहीं, सुशीला को इतनी जलन क्यों हो रही है? बापू ने कहा कि अगर मैं इस ब्रह्मचर्य के प्रयोग में बेदाग निकली तो मेरा चरित्र आसमान चूमने लगेगा। एक बड़ा सबक मिलेगा और मेरे सिर पर मंडराते विवादों के सारे बादल छँट जाएंगे। बापू (गाँधी) का कहना था कि यह उन के ब्रहमचर्य का यज्ञ है और मैं उस का पवित्र हिस्सा हूँ।

2 फरवरी 1947 को अमीषापाड़ा, बिहार

मनु की डायरी अनुसार, आज बापू ने मेरी डायरी देखी और मुझ से कहा कि मैं इसका ध्यान रखूँ ताकि यह अनजान लोगों के हाथ न पड़ जाए क्योंकि इस में लिखी बातों का गलत उपयोग कर सकते हैं, हालाँकि ब्रह्मचर्य के प्रयोगों के बारे में हमें कुछ छिपाना नहीं है।

7 फरवरी 1947, प्रसादपुर, बिहार

मनु की डायरी अनुसार, ब्रह्मचर्य के प्रयोगों को लेकर माहौल लगातार बिगड़ता ही जा रहा है। अमृतलाल ठक्कर (ठक्कर बापा) गाँधी जी के मित्र आज आए और अपने साथ बहुत सारी डाक (पत्र) लाए जो ब्रह्मचर्य के प्रयोगों की खिलाफत कर रहे थे। और इन पत्रों को पढ़ कर मैं हिल गई।

24 फरवरी 1947, हेमचर, बिहार

आज बापू (गाँधी)ने अमुतुस्सलामबेन को एक पत्र लिख कर कहा की, तुम्हारे पत्र को पढ़ कर लगा की ब्रह्मचर्य के प्रयोग तुम्हारे साथ प्रारंभ नहीं हुए है। इसलिए तुम अमुतुस्सलामबेन इस बात से नाराज हैं।

इस पर (ठक्कर) बापा गाँधी के मित्र ने कहा कि ब्रह्मचर्य की गाँधी की परिभाषा एक साधारण आदमी की समझ से बिलकुल मेल नहीं खाती है। बापा ने गाँधी से पूछा कि अगर आपके प्रयोग के बारे में मुस्लिम लीग को पता लगा और उस ने बापू पर अप्पति जनक आरोप लगाए तो क्या होगा?

बापू ने कहा कि किसी के डर से वे अपने धर्म को नहीं छोड़ेंगे। इसका मतलब साफ था की गाँधी अपने इन कर्मो को छुपा रहे थे।

26 फरवरी 1947 को हेमचर, बिहार

मनु की डायरी अनुसार, आज जब अम्तुस्सलामबेन (जिसे गाँधी अपनी बेटी कहते थे) ने मुझ से प्यारेलाल से शादी करने को कहा तो मुझे बहुत गुस्सा आया। और मैंने कह दिया कि अगर उन्हें उन की इतनी चिंता है तो वे स्वयं उन से शादी क्यों नहीं कर लेतीं?

मैंने अम्तुस्सलामबेन को बता दिया कि ब्रह्मचर्य के प्रयोग मुझ पर हो रहे हैं। बापू के साथ खबारों में मेरे फोटो छपते हैं उसको देख वो मुझ से जलती है और मेरी लोकप्रियता उन्हें अच्छी नहीं लगती।

हेमचर, बिहार में 2 मार्च 1947

मनु की डायरी अनुसार आज बापू (गाँधी) को (ठक्कर बापा) गाँधी जी के मित्र को एक गुप्त पत्र मिला। उन्होंने इसे मुझे पढ़ने को दिया। यह पत्र दिल को इतना छू लेने वाला था। तब मैंने बापू से आग्रह किया कि ठक्कर बापा को संतुष्ट करने के लिए आज से मुझे अलग सोने की अनुमति दें।

आखिर गाँधी को भी समझ आ गया था इसलिए ब्रह्मचर्य प्रयोग को बंद कर दिया। तब जा कर गाँधी से जुड़े सहयोगियों ने चैन की साँस ली।

मसौढ़ी, बिहार में 18 मार्च 1947

मनु आगे लिखती हैं की आज बापू ने एक गुप्त बात को मुझे बताया। जब मैंने बापू (गाँधी) से पूछा क्या सुशीलाबेन भी बापू के साथ निर्वस्त्र सोती थीं। क्योंकि जब मैंने सुशीलाबेन से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे प्रयोगों का कभी भी हिस्सा नहीं बनी और वे गाँधी के साथ कभी नहीं सोई।

तब बापू ने बताया की सुशीलाबेन एक डॉक्टर के रूप में बापू से जुड़ी थीं। सुशीलाबेन आगा खाँ पैलेस, पुणे में उन के साथ बिस्तर पर एक साथ सो चुकी थी। बापू ने बताया कि वह उन की मौजूदगी में स्नान भी कर चुकी है।

18 नवंबर 1947 को मनु की डायरी

आज मैं बापू को स्नान करवा रही थी तो वे बहुत नाराज हुए और कहा मैं अब उन के साथ शाम को क्यों नहीं घूमती। उन्होंने बहुत ही कठोर और कड़वे शब्दों में कहा।

वे बोले तुम मेरे जीते हुए मेरी आज्ञा नहीं मानतीं तो मेरे मरने के बाद क्या करोगी?  तुम मेरे मरने का इंतजार कर रही हो? मैं बापू के ये शब्द सुन कर सन्न रह हो गयी थी और जवाब नहीं दे पायी।

गाँधी ने ब्रह्मचर्य के प्रयोग किन महिलाओ के साथ किये।

मनु बेन की डायरी में जो बाते लिखी थी वे उनकी अन्य सेविकाओं की कही बातो से मेल खाती हैं। ये वे पांच साल की बातें थी जो मनु ने अपनी डायरी में लिखी थी।

इससे पहले और बाद गाँधी ने क्या किया उसके लिखित सबूत नहीं हैं, हाँ उनकी सेविकाओं ने समय समय पर ये बाते बताई थी। मनु के आलावा अन्य मामहिलाओँ के साथ भी  गाँधी ने ब्रह्मचर्य के प्रयोग किये थे। जिनमे कुछ नाम प्रमुख हैं जैसे

  • डॉ सुशीला नय्यर (गाँधी की डॉक्टरऔर भारत की पूर्व स्वास्थ मंत्री,प्यारे लाल की छोटी बहन)
  • आभा गांधी (गांधी के परपोते कनु गांधीकी पत्नी)
  • प्रभा वती देवी (मशहूर समाजसेवी नेता जयप्रकाश नारायण)
  • मीराबेन ‘मेडेलीन स्लेड’ (मेडेलीन ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी)
  • सरलादेवी चौधरानी

ये कुछ महिलाओ के नाम हैं जो गाँधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग का हिस्सा रही थी। जिसमे ये सभी गाँधी के साथ निर्वस्त्र हो कर नहाने के आलावा गाँधी के साथ सो चुकी थीं।

इन बातो से पता चलता है की ब्रह्मचर्य गाँधी के लिए एक शब्द मात्रा ही था।

वेद महत्ता भारतीय मूल के अमेरिकी लेखक थे, उन्होंने अपनी किताब (Mahatma Gandhi And His Apostles) में पेज नंम्बर 211 पर ये दवा करते हैं, की गाँधी 24 साल की शुशीला नैयर के साथ नग्न होकर स्नान करते थे।

वेद महत्ता दवा करते हैं की उनके इन कृत्यो की वजह से उनके सेवाग्राम आश्रम में बगावत हो गयी थी। इसके बाद गाँधी ने आश्रम के लोगो को 12 सितम्बर 1938 एक गुप्त सन्देश लिखते हुए कुछ इस तरह सफाई दी।

जब मैं नहा रहा होता हूँ तो शुशीला को भी नहाने देता हूँ। नहाते समय मै अपने शरीर को उसकी साड़ी से ढक लेता हूँ। जब वो नहाती है तो मैं अपनी आंखे जोर से बंद कर लेता हूँ। मुझे नहीं पता वह नग्न नहाती है या अंडर गारमेंट्स पहन कर नहाती है।

मनु की दिल्ली में मृत्यु 

गाँधी की हत्या के बाद मनु पंद्रह वर्ष गुमनाम जीवन जीती रहीं। 40 वर्ष की उम्र में मनु की दिल्ली में मृत्यु हो गयी।

देश के शीर्ष नेताओ और उनके बेटे ने गाँधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग का विरोध

गाँधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग की खबरें दिल्ली तक पहुंचने लगी थी। इसमें कांग्रेस के बड़े बड़े नेताओं से लेकर गांधीवादी भी बेहद परेशान थे। जो बातें गाँधी के खिलाफ़ हो अक्सर उन बातों पर नेहरू चुप रहा करते थे। लेकिन सरदार पटेल ऐसे नहीं थे वो सीधी और स्पष्ट बात कहने में विश्वास रखते थे।

सरदार पटेल ने  गाँधी को 25 जनवरी 1947 को एक पत्र में लिखा कि आपने हमें जंगल की आग में झोंक दिया है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि आपने इस ब्रह्मचर्य के प्रयोग को शुरू करने के बारे में क्यों सोचा?

आप के साथ हुई आखिरी बातचीत के बाद मुझे लगा था कि यह अध्याय समाप्त हो गया है। देवदास की भावनायें गंभीर रूप से आहत हुई हैं। हम सभी को इस वजह से बहुत ही दुःख के साथ शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। सरदार पटेल कहते हैं आपको इस ब्रह्मचर्य के प्रयोग को रोक देना चाहिए।

गाँधी ने पहले भी ब्रह्मचर्य के प्रयोग किए थे लेकिन यह बातें आम जनता तक नहीं पहुंची थी। इस बार भी ये मामला दब जाता। लेकिन 1 फरवरी 1947 को गाँधी ने नोआखली में अपनी प्रार्थना सभा में मानु के साथ अपने ब्रह्मचर्य के प्रयोग पर एक विस्फोटक बयान दे दिया।

गाँधी ने सबके सामने सब कुछ स्वीकार करते हुए कहा कि मैं नहीं चाहता कि मेरे निर्दोष आचरण को लेकर कोई गलतफहमी हो। मेरी पोती मन्नु मेरे साथ है, वो मेरे साथ एक ही बिस्तर पर सोती है।मैं जो ब्रह्मचर्य का यज्ञ कर रहा हूँ मनु उसका पवित्र अंग है। मेरे इस कृत्य से किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

ब्रह्मचर्य का पालन करना कोई अपराध नहीं है बल्कि यह तो एक तपस्या है। फिर गाँधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग को लेकर विवाद क्यों? सात दशक गुजर जाने के बाद भी आज तक गाँधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग को लेकर एक बहस होती है।

उस समय की तरह ही आज का आधुनिक समाज भी गाँधी के इन प्रयोग को नहीं स्वीकार कर पाया है। उस समय की तरह आज के लोग भी यह सवाल उठाते हैं कि 70 साल के गाँधी को अगर यह प्रयोग करना ही था तो उन्होंने इसके लिए अपनी 19 साल की नादान पोती को क्यों चुना। 

गाँधी का हठ

गाँधी एक हठी और देश में महात्मा की उपाधि प्राप्त कर सबको अपनी बात मनवाते प्रतीत होते थे। बुढ़ापे में ब्रह्मचर्य के प्रयोग करने वाले गाँधी का जवान मन बूढ़ा न हुआ हो यही दिखाई देता था।

उनका व्यक्तित्व ऐसा बन गया था या बना दिया गया था की कोई आम व्यक्ति उनके खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता था। 

गाँधी की हत्या

 गाँधी की हत्या

इसी के चलते तारिख 30 जनवरी 1948 समय 5 बजकर 16 मिनट जगह विड़ला भवन गाँधी के साथ एक हादसा हुआ। गाँधी के दांये और बांये कंधो के निचे मनु और आभा का सहारा था। और वह किसी सभा में जा रहे थे अचानक भीड़ से निकल कर नाथूराम गोडसे ने गाँधी के सीने में तीन गोली उतार दी।

गाँधी बेसुध होकर जमीं पर गिरे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उनको गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे ने भागने की कोसिस नहीं की और हाथ उठा कर आत्म समर्पण कर दिया।

गाँधी और गाँधी के ब्रह्मचर्य प्रयोग हमेशा के लिए जमीन पर बिखर गए और उसके बाद कोई ब्रह्मचर्य का प्रयोग गाँधी नहीं कर पाए। 

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