इसरो (ISRO)के चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) की चाँद पर सफल लैंडिंग
इसरो के चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) की चाँद पर सफल लैंडिंग के साथ, हमारे देश को चाँद पर सफल लैडिंग करने वाले देशो में चौथा स्थान प्राप्त हुआ।चंद्रयान 3 चाँद के South भाग पर लैंड होने वाला पहला देश बन चुका है।
चंद्रयान – 3 (Chandrayaan-3) भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) की एक महत्वपूर्ण मिशन है। जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर अध्ययन करना और वैज्ञानिक तथा अंतरिक्ष अनुसंधान को बढ़ावा देना है। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का मुख्य उद्देश्य चंद्रयान 2 के सफर को आगे बढ़ाना है। जिसमें कुछ तकनीकी समस्याएँ आई थीं और मिशन सफलतापूर्ण नहीं हो सका था। चंद्रयान 2 के बाद, इसरो ने कठिन परिश्रम से काम किया और चंद्रयान -3 की यात्रा के लिए नई योजनाएं बनाई। इस मिशन का नाम “चंद्रयान-3” रखा गया।
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3)
से पहले दो अन्य चंद्रयान मिसन हो चुके हैं।
पहला चंद्रयान मिशन चंद्रयान 1 को 2018 में चाँद पर भेजा गया था। इसके बाद 2019 में चंद्रयान 2 को चाँद पर सॉफ्ट लैण्डिंग के लिए भेजा गया पर यह मिशन पूरा नहीं हुआ था। चंद्रयान 2 का लैंडर चाँद पर क्रैश हो गया था और उसका संपर्क वैज्ञानिको से टूट गया था।
चंद्रयान – 1 पर आया खर्चा
चंद्रयान 1 पर कुल मिलाकर 386 करोड़ रुपये का खर्च आया. इस राशि में अंतरिक्ष यान, प्रक्षेपण यान और मिशन के संचालन की लागत शामिल था।
चंद्रयान-2 पर आया खर्चा
चंद्रयान-2 पर कुल मिलाकर 978 करोड़ रुपये का खर्च आया। इस राशि में अंतरिक्ष यान, प्रक्षेपण यान और मिशन के संचालन की लागत शामिल है। चंद्रयान-2 मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही। इस मिशन के माध्यम से भारत चंद्रमा के बारे में अधिक जानने में सक्षम हुआ, जो भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3)पर आया खर्चा और लगने वाला समय
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन पर कुल मिलाकर 615 करोड़ रुपये का खर्च आया। इस राशि में अंतरिक्ष यान, प्रक्षेपण यान और मिशन के संचालन की लागत शामिल है। चंद्रयान 3 मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भारत को चंद्रमा पर लैंड करने वाला चौथा देश बना है। चंद्रयान-3 मिशन को विकसित करने में लगभग 5 साल का समय लगा।
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का लक्ष्य
चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी तल पर अध्ययन करना है। यह मिशन चंद्रमा की सतह की जानकारी, उसकी जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों की जांच करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) मिशन से जुड़े कुछ मुख्य वैज्ञानिक
- के. सिवन – चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक
- वी. रविकुमार – चंद्रयान-3 मिशन के उप-परियोजना निदेशक
- पी.यू.एस. मणिरत्नम – चंद्रयान-3 मिशन के मुख्य अभियंता
- वी.एस. राव – चंद्रयान-3 मिशन के मुख्य वैज्ञानिक
- पी.वी.एस. राव – चंद्रयान-3 मिशन के मुख्य ऑपरेशन्स अधिकारी
- वी.के. सिंह – चंद्रयान-3 मिशन के मुख्य वित्त अधिकारी
- पी.के. सिंह – चंद्रयान-3 मिशन के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी
इनके अलावा, चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन में कई अन्य वैज्ञानिकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये वैज्ञानिक चंद्रमा के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए विभिन्न उपकरणों और प्रणालियों को विकसित करने और संचालित करने के लिए काम कर रहे थे। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन के सफल होने के लिए इन वैज्ञानिकों के समर्पण और कड़ी मेहनत की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मिशन की तैयारी
चंद्रयान 3 की तैयारी में इसरो ने चंद्रयान 2 के गए संदेशों से सीख ली और तकनीकी सुधार किये। इसरो की टीम ने मिशन के लिए एक नई तरह की डिज़ाइन बनाई है, जिसमें बेहतर संवेदनशीलता और सटीकता है।
मिशन की तकनीक
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का निर्माण चंद्रयान 2 की तकनीक का उपयोग करते हुए किया जा रहा है। लेकिन तकनीकी सुधार किए जा रहे हैं। मिशन में एक लैंडर और रोवर शामिल होंगे, जिनका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर जाकर जांच करना है।
मिशन की प्राथमिकताएँ
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी पोल की जांच है, जहां किसी और देश का मिशन अभी तक नहीं पहुंचा है। यहां के तल पर पाए जाने वाले और संभावित जलवायु के साथ जुड़े सूचना का महत्वपूर्ण अध्ययन किया जाएगा।
मिशन का योजना
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का मिशन दो भागों में विभाजित है लैंडर और रोवर, लैंडर जिसका नाम “विक्रम-2” है। लैंडर विक्रम-2 चंद्रमा की सतह पर उतारने का कार्य करेगा। इसके बाद, विक्रम-2 से बाहर निकलने वाला रोवर, जिसका नाम “प्रग्यान-2” है। जो चाँद पर जाकर वैज्ञानिक और अंतरिक्ष अनुसंधान का कार्य करेगा।
मिशन की महत्वपूर्ण विशेषताएँ
स्वदेशी तकनीक – चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) में उपयोग की जाने वाली तकनीक भारतीय है, जो इसरो की तरफ से विकसित की गई है।
वैज्ञानिक अनुसंधान – चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के रोवर का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक और अंतरिक्ष अनुसंधान करना है। इससे हम चंद्रमा के रहस्यों को सुलझा सकते हैं और अंतरिक्ष अनुसंधान में नई जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं।
स्वावलंबी मिशन – इस मिशन को स्वावलंबी बनाने के लिए भारत ने नए तकनीकी और साइंटिफिक प्रयोग किए हैं। जिससे इसकी मिशन सफलता के आसपास के बाधाओं को पार करने की क्षमता में सुधार हुआ है।
मिशन की प्रगति
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की यात्रा की प्रगति अब तक सफल रही है। इसरो ने विक्रम-2 और प्रग्यान-2 के डिज़ाइन को पूरी तरह से पूर्ण किया और चंद्रयान को सफल सॉफ्ट लैडिंग की है और अब आगे का काम जारी है।
मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद लैंडर और रोवर कार्य करेंगे और वैज्ञानिक अनुसंधान पर काम करेंगे।
इसरो ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन के रूप में तैयार किया है, और यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इस मिशन से हम चंद्रमा के रहस्यों को सुलझा सकते हैं और अंतरिक्ष अनुसंधान को और भी महत्वपूर्ण बना सकते हैं।
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