श्री कृष्ण Lord Krishna ने महाभारत में कहा बेटे भाग्य से पैदा होते हैं तो बेटियां सौभाग्य से
महाभारत में Lord Krishna के अनुशार वर्णित है बेटियां सौभाग्य से जन्म लेती हैं
महाभारत में Lord Krishna के अनुशार वर्णित है की एक दिन अर्जुन श्री कृष्ण से पूछते हैं किन कर्मो के कारण किसी के घर पुत्री धन की प्राप्ति होती है। अर्थात कैसे घरो में बेटियों (Daughters) का जन्म होता है? तब भगवान कृष्ण (Lord Krishna) अर्जुन से कहते हैं की हे पार्थ किसी के घर बेटे भाग्य से पैदा होते हैं तो बेटियां सौभाग्य से जन्म लेती हैं।
Lord Krishna के अनुशार पूर्व जन्म में जो स्त्री पुरुष पुण्य के कार्य किये होते हैं उन्ही को किसी बेटी का पिता या माता बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। ईश्वर उन्ही घरो को बेटियों (Daughters) के जन्म के लिए चुनता है
Lord Krishna के अनुशार जो बेटिओ का भार सहन कर सके। कृष्ण जी बताते हैं की तीनो लोको में एक बेटी ही होती है जिसका भार हर कोई सहन नहीं कर सकता। वो बेटियां ही होती हैं
जो दूसरो के लिए अपना सब कुछ निछावर कर देती हैं। भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं की जिस दिन बेटियों (Daughters) का जन्म लेना रुक जायेगा उस दिन ये सृष्टि भी ठहर जाएगी और सृष्टि का अंत हो जायेगा।
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भगवान् श्री कृष्ण Lord Krishna के अनुशार इन बातो का अर्थ बिलकुल सही है क्न्योकि इस सृष्टि में बेटियाँ (Daughters) नहीं होंगी तो इस सृष्टि का बढ़ना रुक जायेगा। सिद्ध पुरुषो के साथ आम मनुष्य भी कहते हैं की जिस घर में बेटी का जन्म होता है वह घर स्वर्ग सामान होता है।
Lord Krishna के अनुशार बेटा सिर्फ एक कुल को रोशन करता है बल्कि बेटियाँ दो कुल को रोशन करती हैं। माता पिता के घर वह एक बेटी के रूप में अपना उत्तरदाईत्व निभाती हैं वंही शसुराल में वे एक बहु की तरह सारा कार्य भार संभालती हैं।
आज हमारे समाज में आपने देखा और सुना होगा की बेटियां पिंड दान नहीं कर सकती पर यह बिलकुल गलत है। रामायण में बताया गया है की जब श्री राम के पिता राजा दशरथ की मृत्यु हो गयी थी तो उनकी बहु सीता ने ही उनका पिंड दान किया था जिससे उन्हें इस जन्म मरण से मुक्ति मिल गयी थी।
ईश्वर ने बेटियों (Daughters)को माता लक्ष्मी का दर्जा दिया है।
Lord Krishna के अनुशार हिन्दू धर्म शास्त्र में बताया गया है की बेटियाँ भी माता पिता का पिंड दान कर सकती हैं। अगर शासुराल पक्ष में कोई पुत्र ना हो तो बेटियां पिंडदान कर सकती हैं। इसलिए वे लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं जिनके घर एक बेटी का जन्म होता है और वे अत्यधिक भाग्यशाली होते हैं।
Lord Krishna के अनुशार जिनके यहाँ एक से अधिक बेटिओं का जन्म होता है। यही कारण है की ईश्वर ने बेटियों को माता लक्ष्मी का दर्जा दिया है।
समाज में ये रीत है की बेटी है तो जल्द से जल्द उसको अधिक पढ़ाये बिना उसकी शादी कर दो। यह छोटी सोच बेटियों के भविष्य को बर्बाद कर देती है बेटिंयों के कुछ सपने होते हैं वे जीवन कुछ पाना चाहती हैं।
लेकिन छोटी सोच के कारण ये सपने सपने बन कर रह जाते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को
बेटी कभी भी बाप पर बोझ नहीं होती
Lord Krishna के अनुशार आपने कहते सुना होगा की हमारी बेटी किसी बेटे से कम हैं यह सच है।
प्राचीन समय में ऋषि वसिष्ठ की पत्नी अरुंधति ने भगवान् इन्द्र और अरुण को धर्म का ज्ञान दिया था। सभी धनुर्धरो की तरह द्रोपदी भी धनुर विद्या को जानती थीं। महाभारत में बताया गया है की द्रोपदी एक ज्ञानी अर्थशास्त्री थीं और युधिष्ठिर के राज काज को सम्हालती थी।
यह गलत है की हिन्दू धर्म में स्त्रियों की इज्जत नहीं की जाती थी। आप जानते होंगे द्रोपदी के वस्त्रो के अपमान से कौरवो का नाश हो गया था और माता सीता के अपमान में पूरी लंका जला दी गयी।
आपने रामायण में पढ़ा या सुना होगा की जब भगवान् राम ने धनुष को तोडा था तो राजा जनक अपनी पुत्री के विवाह के लिए राजा दशरथ को बुलाते हैं। और दोनों आपस में प्रशन्नता से एक दूसरे को गले लगते हैं और राजा दशरथ राजा जनक को प्रणाम करते हैं। दूल्हे के पिता को लड़की के पिता को प्रणाम नहीं करना चाहिए।
इस कारण राजा जनक राजा दशरथ के प्रणाम करने को माना करते हैं। इस बात पर राजा दशरथ जनक से कहते हैं की बड़े तो आप हैं क्न्योकि आप एक दाता हैं और मैं याचक। इसलिए लड़की के पिता को गर्व करना चाहिए क्न्योकि वह एक दाता हैं।
शास्त्रों में बताया गया है की पुत्र को ही पिंड दान करना चाहिए लेकिन जब एक व्यक्ति अपनी बेटी को ब्याह देता है। तो वह अपनी 21 पीढ़ियों को मुक्ति दिला देता है। इसलिए आपको उस बेटी को प्यार देना चाहिये जिसने आपके घर पैदा होकर आपको पुण्य का भागी बना दिया है।
माँ लक्ष्मी का रूप
एक बार स्वामी विवेकानन्द वैष्णो देवी की सीढिया चढ़ रहे थे। उनके बगल में एक वृद्ध व्यक्ति अपनी बेटी को कंधे पर उठा कर सीढियाँ चढ़ रहा था। स्वामी विवेकानन्द ने यह देख उस वृद्ध से कहा की आप बेटी के बोझ से थक रहे होंगे।
आप अपनी बेटी मुझे दे दीजिये मैं इसको गोद में लेकर आपके साथ आगे बढूंगा। तब उस व्यक्ति ने कहा की बेटी कभी अपने बाप पर बोझ नहीं होती जब बेटी बाप के कंधो पर होती है तो वह पिता के अन्य बोझों को कम कर देती है। बेटियां कभी भी धन की भूखी नहीं होती वे सिर्फ मान और सम्मान की भूखी होती हैं।
अब आपके दिमाग में यह ख्याल आ रहा होगा कैसे कर्म करने से बेटी प्राप्त होती है ?
गरुण पुराण में बताया गया है जो व्यक्ति पुण्य करता है या दान धर्म करता है उसको ही अगले जन्म में पुत्री रत्न के समान प्राप्त होती है।
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