हिन्दू धर्म में होली (Holi) और होली की भष्म (Rakh) की महत्त्वता
लब्ध्वा शुभं होलिकापर्वेऽस्मिन कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्।।
जिस तरह सूर्य सदैव प्रकाश देता है पुष्प हमेशा सुगंध देता संवेदनाये हमेशा दया की भाव उत्पन्न करती हैं उसी प्रकार होली (Holi Pujan) का पर्व सदैव आपके जीवन को मंगलमय बनाये रखे।
होली का पर्व फागुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली (Holi) के इस पर्व से सभी देश वासी परचित होंगे। होली मानाने की वजह वजह क्या है होली की पूजा कैसे करें होली की राख का महत्व क्या है। यदि आप नहीं जानते थो आपको ये पूरा पोस्ट पढ़ना होगा। होली (Holi) की राख किस तरह गरीबी ख़तम करती है। होली की राख से किस प्रकार हम असाद्य रोगो का इलाज कर सकते हैं?
होली (Holi) में रंगो का इस्तेमाल कब और कैसे प्रारम्भ हुआ ?
सर्व प्रथम होली (Holi) के त्यौहार में होली के दहन से उत्पन्न हुयी राख या भस्म को तिलक रूप में लगाया जाता था। इसके पश्चात कुछ लोग इसको अपने घरो में छिड़कने लगे जिससे नकारात्मक शक्तियां घर से दूर रहे।
रंगो और फूलो का इस्तेमाल भगवान् श्री कृष्ण के बाल्य अवस्था से प्रारम्भ हुआ। भगवान् श्री कृष्ण अपने मित्रो और ग्वाल-बाल के साथ फूलो से होली खेलते थे। जब भगवान् श्री कृष्ण के जीवन में राधा जी का आगमन हुआ तब फूलो के साथ साथ रंगो का इस्तेमाल होली खेलने में किया जाने लगा। भगवान् कृष्ण ने सर्व प्रथम होली खेलने में रंगो का इस्तेमाल किया था।
अब फूलो से होली (Holi) खेलने की प्रथा लगभग समाप्त हो चुकी है। लेकिन जंहा भवान कृष्ण का जन्म हुआ था और जंहा वे बड़े हुए थे मथुरा और वृंदावन में आज भी फूलो से होली (Holi) खेलने की प्रथा आज भी चल रही है।
होली मानाने की मुख्य वजह क्या है ?
प्राचीन काल में अत्त्याचारी राक्षस राज हिरण्यकश्यप ने तपस्या की और ब्रहम्मा जी को अपनी तपस्या
से प्रसन्न कर वरदान माँगा। की कोई भी जानवर, इंसान या देवि देवता उसे ना मार सके। उसको किसी भी सस्त्र या अस्त्र से भी ना मारा जा सके वह ना घर के अंदर मरे ना ही घर के बहार। इसके साथ ना वह रात में मरे ना दिन में ना सुबह ना ही साम को ना ही वह धरती पर मरे ना ही आकाश और पाताल में। उसने वरदान मांगने में अपनी पूरी राक्षसी बुद्धि का इस्तेमाल किया।
अब भगवान ब्रहम्मा को हिरण्यकश्यप को वरदान देना पड़ा वरदान पा कर हिरण्यकश्यप अत्यधिक अत्याचारी बन गया था। उसने सभी को खुद की उपाषना करने का आदेश दे दिया की उसके राज का हर मनुष्य हिरण्यकश्यप की ही उपसना करेगा। जो मनुष्य ईश्वर की उपसना या पूजा करता वह उसको प्रताड़ित करता और उसका कहा ना मानने पर उसकी हत्या तक कर देता था।
कुछ समय बाद हिरण्यकश्यप के घर में परमात्मा में विशवास करने वाला पुत्र प्रह्लाद पैदा हुआ। प्रह्लाद बचपन से ही भगवान् विष्णु का परम भक्त था और भगवान् विष्णु की कृपा उस पर सदा बनी रहती थी। जब हिरण्यकश्यप को पता चला की उसका खुद का ही पुत्र भगवान् विष्णु का उपाशक है तो वह बहुत क्रोधित हुआ। उसने अपने पुत्र प्रह्लाद को खुद की उपासना करने को कहा पर प्रह्लाद पर हिरण्यकश्यप की किसी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह निरंतर भगवान विष्णु की उपासना में डूबा रहता था। प्रह्लाद के ना मानने पर हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को ही मार डालने के कई प्रयत्न्न किये पर प्रह्लाद को मार पाने में वह सफल नहीं हो पाया।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका
हिरण्यकश्यप की एक बहन थी होलिका जिसके पास एक एसी दिव्य चादर थी जो अग्नि में जल नहीं सकती थी। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की सहायता मांगी तब होलिका ने हिरण्यकश्यप से कहा मैं प्रह्लाद की ह्त्या कर सकती हूँ। होलिका ने हिरण्यकश्यप को बताया की वह उस चादर को ओढ़ कर और प्रह्लाद को गोद में ले कर अग्नि में बैठ जाएगी। जिससे उस जादार की वजह से वह जलने से बच जाएगी और प्रह्लाद मारा जायेगा।
होलिका के कहे अनुसार होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लिया और अपनी चादर ओढ़ पहले से जल रही विशाल अग्नि में जा बैठी। प्रह्लाद भगवान् विष्णु का सच्चा भक्त था इस कारण हिरण्यकश्यप और होलिका के प्रयोजन पर पानी फिर गया।
जब होलिका प्रह्लाद को गोद में उठा कर जलती हुयी अग्नि पर बैठी तब वायु की तीव्रता की वजह से वह चादर होलिका के शरीर उड़ गयी और भक्त प्रह्लाद के ऊपर जा जीरी। तब होलिका का ना जलने का प्रयोजन काम नहीं आया इस आग में हिरण्यकश्यप की बहन होलिका तो अग्नि में जल गयी और विष्णु भक्त प्रह्लाद चेहरे पर तेज और मुश्कान के साथ अग्नि से बहार निकल आये।
इसी दिन को हिंदू धर्म में होली के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
इसके बाद भगवान् नरसिंघ अवतार ले कर द्वार के एक खंम्बे को तोड़ कर प्रकट हुए। यह समय ना ही दिन था ना ही रात यह वह समय था जब दिन का अंत होता है और सांय काल का आरम्भ। वे ना तो मनुष्य थे ना ही जानवर उनका आधा शरीर मनुष्य का और आधा शरीर शिंघ का प्रतीत हो रहा था।
जिनके बड़े बड़े नाखून थे भगवान् नरसिंघ अवतार में भगवान् विष्णु ने एक पैर द्वार के बहार रखा और एक पैर द्वार के भीतर। वे ना घर में थे ना घर के बहार इस अवस्था में भगवान् नरसिंघ ने हिरण्यकश्यप को दोनों भुजाओ से उठा कर।अपनी जंघा पर रख कर अपने नाखूनों से अत्त्याचारी राक्षस राज हिरण्यकश्यप का वध किया।
होली का पूजन (Pujan) किस प्रकार करें ?
हमारे हिन्दू धर्म में हर पूजन (Pujan) की एक विधि है और उसके अनुसार पूजन करने पर उसका प्रभाव आपको प्राप्त होगा। आज लोगो को इसकी सही विधि ज्ञात नहीं तो होली (Holi) का पूजन करना आप जरूर जाने। होलिका के दहन से पूर्व होली (Holi) का पूजन किया जाता है।
इस पूजन में प्रयोग की जाने वाली वस्तुए आपको पता होना जरुरी है। पूजन के लिए एक पीतल के लोटे में जल ,फूलो की माला ,रोली ,चावल ,सूती धागा ,साबुत हल्दी ,मूंग ,मीठा और नारियल अदि ले। इसके साथ नयी फसलों के कच्चे अन्न जैसे जौ की बालियाँ ,चने की बालियां भी ले सकते हैं।
होलिका पर गाय के गोबर से बने उपले की चार मालाएं लें इन मालाओं में पहली माला पितरो के नाम से दूसरी माला हनुमान जी के नाम से तीसरी माला शीतला माता और चौथी माला आपके परिवार के नाम से होनी चाहिए। पूजन करने वाले व्यक्ति को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुँह करके बैठना चाहिए।
पूजा के समय इन सभी वस्तुओ का उपयोग करते हुए पूजन करना चाहिए ये साऱी वस्तुएं आप होली पर चढ़ा दें। इसके बाद सूती धागे को होली के चारो ओर 3 ,5 ,7 की संख्या में परिक्रमा करके बांधना चाहिए। इसके बाद होली को आप जल से अर्क दे।
सुबह ब्रह्मम काल में होली को अग्नि दी जाती है अग्नि देने के बाद आप सुबह भी परिक्रमा करे साथ ही कच्चे अन्न को होली पर चढ़ाएं। इसके बाद पुरुषो को इस होली (Holi) की राख का टिका अवश्य लगाना चाहिए।
अब आप होली की थोड़ी सी आग को अपने घर लाये ओर घर पर बनी होली को जलाएं। घर की महिलाएं को घर पर होली का पूजन करना चाहिए। और इसके बाद अपने से बड़ो का आशीर्वाद लेना चाहिए।
होली की राख की चमत्कारिक शक्तियां एवं महत्त्वपूर्ण उपयोग
- यदि कोई बच्चा अधिकांश बीमार रहता है या मानसिक रोगी है। तो होली की यह राख उस बालक के मष्तक पर कुछ दिन लगाए जिसके प्रभाव आपको कुछ दिन बाद दिखना शुरू हो जायेगा। आप चाहे तो इस राख को किसी कपडे में रख कर बालक के गले या हाथ पर बांध सकते हैं।
- यदि आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा है या घर में झगडे होते हैं। तो आप होलिका की राख को अपने घर के सभी कोनो में थोड़ी मात्रा में डाल दे तो आपके घर की सभी नकारात्मक ऊर्जाएं आपके घर से दूर हो जाएँगी।
- यदि आपके पास दहन इकठ्ठा नहीं हो पाता हो तो धन रखने वाले स्थान पर इस राख को बांध कर रख दे। साथ ही घर के हवन कुंड और पूजा स्थल पर इसको रखने से आपके घर की आर्थिक इस्तिथि सुधरने लगेगी।
- होली की इस राख में विषैले पदार्थ और हानिकारक जीवाणुओं को सोख लेने की चमत्कारिक शक्ति होती है। यदि किसी को असाद्य चार्म रोग हो तो इस राख को उस पर लगाने से वह असाद्य बीमारी जल्द ही समाप्त हो जाती है।
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