Disputed Book Manusmriti in Hindu Dharm

मनुस्मृति हिन्दू धर्म का पहला संविधान : Disputed Book Manusmriti

Disputed Book मनुस्मृति (Manusmriti) एक ऐसी किताब जिसको भारत वर्ष में सार्वजानिक रूप से जलाया जाता है। भारत का संविधान लिखने वाले डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 25 दिसंबर, 1927 को मुंबई के रायगढ़ में मनुस्मृति को जलाया। तब से हर वर्ष  25 दिसंबर को इस किताब को जलाने की प्रथा चल पड़ी है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने इस किताब को जलाते समय बताया था। यदि भारतीय समाज Disputed Book मनुस्मृति के कानून का अनुसरण करेगा तो वह विकशित नहीं हो पायेगा। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने बताया यह किताब स्त्री और शूद्र जाती को पशु के सामान मानती है। ब्राह्मणो ने खुद को समाज में सदैव सबसे उच्च स्तर पर रखने के लिए इसको चलन में बनाये रखा है। उनके अनुशार मनुस्मृति (Manusmriti) ही मनुष्य को जाती और वर्णो बांटती है।

Disputed Book मनुस्मृति क्या है?

Disputed Book मनुस्मृति को मानव समाज का प्रथम सविधान कहा जाता है। मनुवादि समाज के अनुशार मनुस्मृति (Manusmriti) हिंदू समाज का एक प्राचीन धर्म ग्रंथ है। इसे मानव धर्म शास्त्र, मनुशास्त्र और मनु सहिंता भी कहा जाता है।

इसे महर्षि मनु द्वारा ऋषियों को दिया गया था, मनु सहिंता उपदेश के रुप मे है। इसका समर्थन करने वाला मनुवादी समाज इसमे दिये गए उपदेशो को संविधान की तरह मानने लगे। मनुवादि समाज के अनुशार मनुस्मृति (Manusmriti) ब्रम्मा की वाणी है।

मनुस्मृति से पहले ही ऋग्वेद में भी मनुष्यों के चार वर्णो का जिक्र किया गया है। पर मनुस्मृति में इन चार वर्णो में भेदभाव और ब्राह्मणो के हित की बात की गयी है। Disputed Book मनुस्मृति (Manusmriti) के अनुशार कुछ वर्णो को एक सीमा में बंधा गया है। और महिलाओ का घोर अपमान किया गया है।

  • ब्राह्मण – एक ब्रह्मण का कार्य ज्ञान और शिक्षा देना है। ब्राह्मण का वचन ही सविधान माना जायेगा।   
  • क्षत्रिय – एक क्षत्रिय का कार्य यद्ध करना और सभी की रक्षा करना है।   
  • वैश्य – एक वैश्य का कार्य व्यापर करना और दान देना है। 
  • शूद्र – एक शूद्र का कार्य सदैव बाकि तीनो वर्णो की सेवा करना है। 

मनुवादी समाज

मनुस्मृति (Manusmriti) का विवाद हर वर्ष उठता है और तब हमें पता चलता है की समाज में दो तरह के लोग हैं। एक वे जो मनुस्मृति का समर्थन करते हैं उन्हें मनुवादी कहा जाता है। उनके अनुसार Disputed Book मनुस्मृति भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण शास्त्र है। यह धर्म, नैतिकता, संस्कृति और समाज के नियमों को संचालित करने के लिए उपयोगी है। मनुवादी समाज आज भी मनुस्मृति (Manusmriti) को एक प्राचीन ग्रन्थ के रूप में देखते हैं जिसे ऋषि मनु द्वारा लिखा है।

मनुस्मृति के लेखक

Disputed Book मनुस्मृति के लेखक के बारे में विवाद है। कुछ मानते हैं कि यह ऋषि मनु द्वारा लिखा गया है। एक विशेष समाज मनुस्मृति को अन्य लोगो द्वारा अलग अलग समय पर लेखकों द्वारा संपादित किया गया मानते हैं। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखी गयी किताब, Revolution And Counter-Revolution in Ancient India, के chapter 7 The Triumph of Brahminism में मनुस्मृति के लेखक के बारे में लिखा है। 

मनुस्मृति (Manusmriti) की तरह ही एक अन्य स्मृति नारद स्मृति को 4 शताब्दी ईशा पूर्व  लिखा गया था। नारद स्मृति में मनुस्मृति के लेखक और इसके कुछ गुप्त साक्ष्यों के बारे में बताया है। नारद स्मृति के लेखक के अनुसार वह मनुस्मृति की मूल प्रतियो में फेरबदल करने वाले लेखक से परिचित थे। और विवादित मनुस्मृति के लेखक का नाम सुमति भार्गव था।

सुमति भार्गव ने मनुस्मृति नाम की पुस्तक को लिखा और उस पर अपना नाम ना लिख कर ऋषि मनु का नाम लिखा था। वह एक ब्राह्मण था और उसने प्राचीन मनुस्मृति में छेड़छाड़ की और उसको ब्राह्मणो के अनुकूल बनाया। वह कोई ज्ञानी व्यक्ति नहीं था

 

उसकी इस फेर बदल से ही आज ऋषि मनु का अपमान किया जाता है। और जाती वर्णो में विवाद रहता है। इससे यह स्पष्ट होता है की वर्तमान में जो Disputed Book मनुस्मृति है उसके लेख के साथ छेड़छाड़ की गयी थी।

 

क्या लिखा है Disputed Book मनुस्मृति में जो विवाद का कारण बनता है?

  • अछूत वर्ण का व्यक्ति जब अपने से ऊँचे वर्ण के व्यक्ति का कार्य करेगा, या जीविका चलाएगा तो उसकी सम्पति को छीन कर राज्य से बहार कर देना चाहिए। 
  • शूद्र को सिर्फ ब्राह्मणों की सेवा करनी चाहिए यही उसका कर्म है। इसके आलावा शूद्र कोई कार्य नहीं कर सकता। 
  • शूद्र कभी भी धन को एकत्रित नहीं कर सकता यदि शूद्र धन एकत्रित करेगा तो वह ब्राह्मण को परेशान करेगा। इसलिए शूद्र का धन छीन लेना चाहिए। 
  • यदि किसी राज्य का राजा शूद्र है तो वहाँ ब्राह्मण को नहीं रहना चाहिए।क्न्योकि शूद्र को राजा नहीं बनाया जा सकता। 
  • किसी भी राज्य का राजा जब वेदो को पढ़े और जो भी कार्य करे वह ब्राह्मण के कहे अनुशार करें।
  • किसी भी राजा के यहां शूद्र उच्च पद पर होता है। तो वह राज्य कभी खुश नहीं रह सकता और राजा अपना सब कुछ गवा देगा। 
  • किसी भी ब्राह्मण की सम्पत्ति राजा कभी नहीं ले सकता।  
  • यदि शूद्र तेज आवाज में ब्राह्मण  से बात  करता है। तो उसके मुँह में लोहे की छड़ डाल देनी चाहिए। 
  • यदि शूद्र ब्राह्मण पर थूक दे तो उसके ऊपर पेशाब कर दें। उसके होठों को  लिंग से मिला दें और उसके गुदा को जानवर से कटवा देना चाहिए। 
  • शूद्र यदि किसी ब्राह्मण पर हतियार उठाये तो उसके हाँथ काट देना चाहिए। यदि कोई शूद्र ब्राह्मण पर पैर मार दे तो उसके पैर कटवा देना चाहिए। 
  • यदि कोई शूद्र ब्राह्मण का वध वध कर दे तो इस पृथ्वी पर इससे  बड़ा पाप कोई नहीं है। 
  • यदि शूद्र ब्राह्मणों को धर्म का उपदेश दे या उनको सुने तो ऐसे शूद्र के मुँह और कान में  गर्म तेल डलवा दें।
  • कोई शूद्र किसी ब्रह्मण को गली दे तो उसकी जीभ काट देना चाहिए। 
  • शूद्र कभी ब्राह्मण पर प्रहार नहीं कर सकता ऐसा करने पर उसका कोई अंग काट देना चाहिए।   
  • शूद्र को हमेशा झूठा भोजन दें और शूद्र नए कपडे नहीं पहन सकता उसको फाटे पुराने वस्त्र पहनना चाहिए। 
  • शूद्र को एक जानवर की नजर से देंखे। 
  • शूद्र को हमेशा ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य की सेवा करनी चाहिए। 
  • शूद्र यदि ब्राह्मण के स्थान पर बैठे जाये तो उसको प्रताड़ित कर राज्य से बहार  कर देना चाहिए।  
  • मांगे जाने पर शूद्र को ब्राह्नाण के लिए अपनी स्त्री देनी चाहिए। 
  • यदि शूद्र ब्राह्मण को मारता है, तो वह 21 जन्मों तक जानवर की श्रेणी में जन्म लेता है।  
  • ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण उत्पन्न हुआ है इसलिए वह सभी का स्वामी है।
  • शूद्र अपना घर नहीं बना सकते उनको किसी वृछ के नीचे या पहाड़ो पर ही घर बना कर रहना चाहिए। शूद्र ब्राह्मणो के घर के पास नहीं रह सकते। 
  • ब्राह्मण को चाहिए कि वह शूद्र का धन बिना किसी संकोच के छीन लें। क्योंकि शूद्र का अपना कुछ नही है। उसका धन उसके मालिक ब्राह्मण को छीनने योग्य है।
  • कोई भी ब्राह्मण वैश्यों और शूद्रों का धन छीन सकता है।  
  • शूद्रों का धन जानवर हैं शूद्रों को शव से उतरे वस्त्र पहनने चाहिए हैं।
  • शूद्र साबुत बर्तन में भोजन नहीं कर सकता। 
  • शूद्र महिला सोने या चांदी  के गहने नहीं पहन सकती।  ।
  • यदि यज्ञ में धन कम पड़े तो ये धन शुद्रो से छीन लेना चाहिए ।
  • ब्राह्मण के साथ शूद्रों शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते और ना ही उनसे कोई सम्बन्ध रखना चाहिए।
  • शूद्र ब्राह्मणो के घर जमीन पर उनके नौकरो के साथ भोजन कर सकते हैं।
  • शूद्रों को शिक्षा ग्रहण करने का आज्ञा नही देनी चाहिए है। शूद्रों पूजापाठ या व्रत नहीं रख सकते। 
  • ब्राह्मण मूर्ख हो या विद्वान दोनों ही रूपों में वह श्रेष्ठ होता है।
  • यदि शूद्र ब्राह्मण के समीप हो तो वेदो को नहीं पढ़ना चाहिए।
  • ब्राह्मण ही क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र का स्वामी है।
  • शूद्र अपनी आयु से छोटे ब्राह्मण को प्रणाम करे चाहें वह उनके बेटे की उम्र का हो। मनुस्मृति (Manusmriti) के कारण महिलाओ पर अत्याचार

  • 12 साल की लड़की को 25 वर्ष के पुरुष से विवाह करना चाहिए।

  • स्त्री अपने यौवन से पुरुष को अपने जाल में फसा लेती हैं इसलिए स्त्रियों पर निगाह रखनी चाहिए। 
  • स्त्रियों को वेदो का ज्ञान नहीं लेना चाहिए ना ही शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। 
  • स्त्री को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए बचपन में पिता के साथ और विवाह के बाद पति के साथ रहना चाहिए।
  • पुरुष को अपने घर की सभी महिलाओं पर हमेशा नजर रखनी चाहिए।
  • सुन्दर महिला को तो हमेशा नियंत्रण में रखे।  
  • यदि स्त्री के पति की मृत्यु हो जाये तो उसको अपने बच्चो के साथ रहना चाहिए।   
  • पुरुष को अपनी माँ ,बहन ,और बेटी के साथ अकेले नहीं रहना चाहिए क्न्योकि स्त्रियां के इन्द्रियों का आकर्षण बहुत अधिक होता है। 
  • पति द्वारा छोड़ी गयी स्त्री या विधवा को दूसरा विवाह का अधिकार नहीं है। 
  • स्त्री का पिता या भाई किसी भी चरित्रहीन लड़के से विवाह करवा दें तो जीवन भर उसको उसी पति के साथ ही रहना चाहिए।

मनुस्मृति (Manusmriti) का सबसे अधिक विवादित अध्याय (Disputed Chapter)

मनुस्मृति में श्लोक 11 से 15 तक बताया गया है की ब्राह्मण ब्रहमा के मुख से उत्पन्न हुआ है। इसके आलावा इस धरती पर जितने भी लोग हैं वे नाजायज पुत्र या पुत्रियां हैं।

मनुस्मृति में दो प्रकार की सन्तानो के बारे में बताया गया

1 – अनुलोम संतान
2 – प्रतिलोम संतान
अनुलोम संतान जब उच्च जाती का पुरुष निम्न जाती की स्त्री से सम्बन्ध बनता है तो पैदा हुयी संतान को अनुलोम संतान कहा गया है।
प्रतिलोम संतान – जब निम्न जाती का पुरुष उच्च जाती की महिला से सम्बन्ध बनता है तो जो संतान पैदा होती है उसको प्रतिलोम संतान कहा गया है।

निष्कर्ष

ईश्वर ने सभी मानवो को एक सा बनाया था। ये मानव का दुर्भाग्य है जो खुद को जाती या वर्णो में विभाजित करता है। इससे भारत की संस्कृति और मर्यादा भी विभाजित होती है। लोग किताबो में आग लगा रहे हैं और सोशल मीडिया पर तरह तरह के वीडियो देखने को मिलते हैं।

मनुष्य अपने कर्मो से ब्राह्मण ,क्षत्रिय ,वैश्‍य और शूद्र होता है।

Must Read – श्री कृष्ण ने महाभारत में कहा बेटे भाग्य से पैदा होते हैं तो बेटियां सौभाग्य से

2 thoughts on “Disputed Book Manusmriti in Hindu Dharm”

Leave a Comment