नोहाखली में हिन्दुओ का नरसंहार और महात्मा गाँधी 1946

नोआखली में हिन्दुओ का नरसंहार

नोआखली में 10 अक्टुबर 1946 को हुए हिन्दुओ के नरसंहार को आपको और आने वाली पीढ़ियों को  पता होना चाहिए। किस तरह नोआखली में हिंदू पुरषो का कत्लेआम किया गया महिलाओ की इज्जत लूटीं गयी। किस तरह छोटी छोटी बच्चियों की शादी 55 साल के बुढो के कर दी गयी। हिन्दू का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया हिन्दू पुरषो की शादी उनकी चचेरी बहनो से कराई गयी। नोआखली में हिंदुओं को गाय का मीठ खाने पर विवश किया गया।

10  अक्टूबर 1946 को नोआखाली के हिन्दू एक त्यौहार मना रहे थे जिसमे वे धन की देवी लछमी की पूजा करते हैं। यह दिन हिन्दू सम्प्रदाय के लोगो के लिए जीवन का सबसे दुखद दिन होने वाला था। नोहाखली में 80 % हिन्दू आबादी और बाकी 20 % आबादी मुसलमानो की थी। नोहाखली में हिन्दुओ का बहुत प्रभाव था हिन्दू उचे ऊंचे पदों पर थे जितने भी जमींदार ,डॉक्टर, वकील , अद्यापक ,बड़े किसान और अन्य प्रभावी व्यक्ति हिन्दू धर्म से ही थे।  

नोहाखली के जिहादी मुसलमान

नोहाखली के 20% मुसलमानो में अधिकाँश मुल्हा और मौलवी ही थे। महात्मा गाँधी के सेक्रेटरी प्यारेलाल नय्यर जिन्होंने नोहाखली में अपना अधिकांश समय बिताया था। प्यारेलाल नय्यर ने अपनी किताब महात्मा गाँधी पूर्ण आहुति में लिखा था की नोहाखली में जितने भी मुल्ला या मौलवी हैं वे भारत के किसी अन्य जगह पर नहीं हैं।

नोहाखली के इन कट्टर मुसलमानो का सबसे बड़ा नेता था पीरगुलाम शरवर जो नोहाखली में एक बड़ी साजिस रच रहा था। इस साजिस को अंजाम देने के लिए उसने 10  अक्टूबर 1946 का दिन चुना। इस दिन पीरगुलाम शरवर ने एक मस्जिद के पास हजारो की संख्या में एक सभा रखी।

नोहाखली में हिन्दुओ का हत्यारा

इस सभा में पीरगुलाम शरवर ने चीखते हुए कहा भाइयो हम जो चावल उगाते हैं उसको अधिकांश हिन्दू ही खाते हैं। भाइयो हम मुसलमान पतले दुबले इस लिए होते हैं क्न्योकि हमें भरपेट खाना नहीं मिलता।

भाइयो हिन्दू आदमी मोटे और उनकी औरते सुन्दर इस लिए होती हैं क्न्योकि उन्हें अच्छा खाना मिलता है, इस खाने को हम मुसलमान ही उगाते हैं। पीरगुलाम शरवर के इस जहरीले भाषण को सुनकर आल्हा हू अकबर, लड़ कर लेंगे पकिस्तान और हिन्दू रक्त चाही (हिन्दुओ खून चाहिए ) जैसे नारे लगने लगे।

मुसलमानो का आतंकी जुलूस

मुसलमानो की यह सभा अब जुलूस में बदल गयी और इस आतंकी जुलूस का सबसे पहले निशाना बने हिन्दू दुकानदार इनकी दुकानों में आग लगा दी गयी और दुकानदारों की हत्त्या कर दी गयी। आगे इस कातिल भीड़ ने नारायणपुर के जमींदार सुरेंद्र नाथ बोश के घर पर हमला किया गया। इस हमले के बारे में जस्टिस जी डी खोसला ने अपनी “किताब देश विभाजन का खुनी इतिहास” में विस्तार से लिखा है।

नोआखली में हिन्दुओ की हत्याएं

जस्टिस जी डी खोसला ने अपनी किताब के पेज 82 पर लिखा है की मुसलमानो की इस भीड़ ने नारायणपुर के जमींदार सुरेंद्र नाथ बोश के घर में आग लगा दी।

इस आग से बचने के लिए जमींदार सुरेंद्र नाथ बोश छत पर गए और छत से छलांग लगा दी, वे सीधे इस खूनी भीड़ के सामने ही गिरे। मुसलमानो की इस भीड़ ने जमींदार सुरेंद्र नाथ बोश के दुकड़े कर के आग के हवाले कर दिए, और सर को पीरगुलाम शरवर के पास ले गए जो कुछ दूर ही खड़ा था।

मुसलमानो की जिहादी भीड़ ने सके बाद राय शाहब राजेंद्र नाथ चौधरी के घर पंहुची। राजेंद्र नाथ चौधरी एक बड़े वकील थे उनके घर पर पड़ोस के लोग भी  छिपे  हुए थे।

जिहादी भीड़ ने उनके घर पर आग लगा दी आग से बचने के लिए सभी मकान की छत पर चढ़ गए। ये आग इतनी भयानक थी की उनके मकान की छत जल कर निचे गिर गयी जसमे छत के कुछ लोग भी आग में गिरे और जिन्दा जल गए।

इसके बाद जो हुआ वह जी डी घोषला की लिखी किताब में मिलता है। उन्होंने लिखा है की दंगाईयो ने नारियल के पेड़ को काट कर उसकी सीढ़ी बना कर छत पर चढ़ गए। एक एक करके जिन्दा बचे लोगो को नीचे उतारा पुरषो का क़त्ल कर दिया गया और महिलाओ और लड़कियों को गुलाम शरवर के सामने खड़ा कर दिया। 

हिन्दू महिलाओ के साथ सामूहिक बलात्कार

दंगइयो द्वारा इन महिलाओ को आपस में बाँट लिया गया और सभी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। इन मुस्लिम दंगइयो ने नोहाखली में हिन्दु महिलाओ और पुरुषो को अपना निशाना बनाया और साथ वंहा बसे दलित महिलाओँ को भी नहीं बख्सा। नोहाखली में इसी तरह मुसलमानो की जिहादी भीड़ हिदुओ के घर पर हमला करती आदमियों को मार दिया जाता उनके बच्चो और महिलाओ को मौलविओ और मुल्हाहो के सामने पेश किया जाता। 

उस समय बंगाल के गवर्नर सर फेड्रिक बरोज ने 8 नवंबर 1946 को वायसराय को एक पत्र लिखा। इस पत्र में लिखा की हिदुओ को सबसे पहले कलमा पढ़वाया जाता फिर गाय के मांश को खाने पर मजबूर किया जाता।

हिन्दू महिलाओ के शरीर से सभी हिन्दू चिह्न्नों जैसे सिन्दूर, बिंदी, चूडियो को निकलवा दिया जाता। बचे हुए हिंदू पुरषो को लुंगी और जालीदार टोपी पहनाई जाती। इसके बाद इनके हिन्दू नामो को बदल कर मुस्लिम नाम दिए जाते और सारा रिकॉर्ड रजिसटरो में लिखा जाता था।   

इनके ऊपर कई दिनों तक नजर रखी जाती और देखा जाता की ये पांच वक्त की नमाज और गाय का मीठ खा रहे हैं। ऐसा ना करने पर उनकी हत्त्या कर दी जाती थी। नोआखली हिन्दुओ का आत्म सम्मान तोड़ने के लिए उनके हाथो से गाय क कटवाया जाता था। हिन्दू लड़कियों के विवाह मुसलमानो से कराया गया जिसका कोई हिसाब नहीं था।

छोटी लड़कियों का मुसलमानों से विवाह

12 साल की लड़की का विवाह 65 साल के बुड्ढे से करवा दिया जाता था कभी किसी पढ़ी लिखी संम्पन हिन्दू लड़की का विवाह मछलियां पकड़ने वाले मछुआरे या मल्हा के करवाए जा रहे थे।

अत्याचार की सीमा की साडी हदें तोड़ी जा चुकी थीं हिन्दू भाई की शादी उसकी ही बहन से जबरन करवाई जा रही थी। इस सभी बातो उल्लेख नोहाखली दंगों की जांच करने वाली कमेटी ने अपने दस्तावेजों में लिखी हैं। 

बहन की इज्जत बचाने के लिए बहन से शादी

बंगाल के एक रिसर्चर शांतनु सिन्हा ने नोआखली दंगो का जिक्र अपनी किताब “नोआखली नोआखली”  में दर्ज किया है। इस किताब में एक दुखद किस्सा लिखा है जसमे एक युवक को पहले तो मुस्लमान बनाया गया, उसके बाद अपनी चचेरी बहन की इज्जत को बचाने के लिए उसे अपनी बहन शादी करनी पड़ी। उस लड़के ने बताया उसकी बहन के ऊपर कई मुल्हा और मौलवियों की गन्दी नजर थी। 

उस समय एक मुस्लिम लीग का नेता भी उसकी बहन से निकाह करना चाहता था। उसके पास कोई चारा नहीं था इसलिए उसने जिहादियों से कहा मेरा धर्म बदल चुका इस नाते वह अपनी बहन से निकाह कर सकता है। उसकी इस बात को मुसलमानो ने मान लिया। इस तरह वह अपनी बहन की आबरू को बचा सका बाद में सेना ने उन भाई बहन को बचाया। 

नोआखली में हिन्दू हत्याओं पर गाँधी की बेतुकी बाते

धीरे धीरे नोहाखली में हिन्दुओ पर हुए अत्याचार की बात पूरे देश में फ़ैल गयी। और लोग इसका कड़ा विरोध करने लगे उन्होंने अमरण अनसन किया। तब महात्मा गाँधी ने एक सभा का आयोजन किया और उस सभा में गाँधी ने नोआखली में हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचारों  पर विवादित ब्यान दिया। गाँधी ने कहा नोहाखली में हिन्दू महिलाये बलात्कार को खुद ही रोक सकती हैं।

गाँधी ने कहा जब महिलाओ के सामने ऐसी परस्तिथि को तो वे अपनी जीभ को अपने दांतो से दबा कर आत्महत्त्या कर सकती हैं। गाँधी ने एक और बात कही महिलाएं अपनी आबरू बचाने के लिए अपने हाथो से अपना गला दबा कर जान दे सकती हैं। 

गाँधी के इस बेतुकी बातो से लोग बहुत नाराज हुए और पुरे देश में उनकी निंदा हुयी इससे डर कर नोहाखली जाने की बात कही। गाँधी 6 नवम्बर को नोहाखली के टिपरा नमक स्थान पहुंचे। वंहा गाँधी की मुलाकात सुचेता कृपलानी से हुयी  गाँधी ने उनसे भी हिन्दुओ की फ्री की सेवा के लिए मना किया। 

गाँधी ने नोहाखली से सेना हटाने को कहा

गाँधी ने नोहाखली जा कर सेना हटाने को कहा और हिन्दुओ को राहत शिविर छोड़कर अपने घर जाने के लिया कहा।  जिसका भरपूर विरोध हुआ प्रफुल्ल चंद्र ने अपनी किताब “GANDHI AS I SAW HIM” में  लिखा है। प्रफुल्ल चंद्र आजादी के बाद पश्चिम बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री थे। प्रफुल्ल चंद्र अपनी किताब “GANDHI AS I SAW HIM” के पेज 128 में लिखते हैं।  

गाँधी ने एक युवक से मुसलमानो और हिदुओ की जनसंख्या के बारे में पूछा। तब युवक ने बताया नोहाखली में 80 % मुसलमान और 20% हिन्दू हैं गाँधी के पूछे जाने पर वंहा की जमीनों के बारे में बताया की 80% जमीन हिन्दुओ के पास और 20% जमीन है। य सुनकर गाँधी ने कहा की यही इन दंगो की वजह है।

गाँधी की इन बेतुकी बातो का कोई महत्व नहीं था हजारो हिन्दुओ की हत्त्या का गाँधी पर कोई प्रभाव पड़ा। और धीरे धीरे नोहाखली के हिन्दुओ की इस जघन्य हत्याओं को भुला दिया गया।

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