हिन्दू मन्दिरों लगाए जाने वाले घंटे का प्रभाव
हम सभी हिन्दू मन्दिरों के द्वार या गर्भ गृह में बहार घंटे को लटकता देखते है। जब हम मंदिर जाते हैं तो उस घंटे को बजाते हैं पर कभी आपने सोचा की मन्दिरों में ये घंटा क्यों लगाया जाता है, और हम क्यों इसको बजाते हैं। क्या इसको बजाने से देवता प्रसन्न होते हैं ,देवताओ को पता चल जाता है की आप मंदिर में आ गए हो या इसकी आवाज से भगवान को जगाया जाता है।
मुझे पता है सनातन धर्म में 10 % लोग ही इसका मतलब जानते होंगे। इसी वजह से सनातन संस्कृति के विरोधी मंदिर(Mandir) में लगे घंटो (Ghante) को मजाक बनाते दिख जाते हैं और इनको गंदे शब्दों से जोड़ते हैं। आज आपको इंटरनेट पर ऐसे बहुत से वीडियो मिल जायेंगे जिसमे मंदिर में लगे घंटो को का गलत मतलब बता कर लोगो को भ्रमित किया जाता है। कुछ शब्द बोलने लायक भी नहीं क्या आपको पता है की वो ऐसा क्यों करते हैं। क्योकि हम मन्दिरों में लगे घंटो का अर्थ और उनको लगाने की वजह जानते ही नहीं। जबकि हजारो वर्षो से ये घंटे मंदिर में लगाए जाते रहे हैं। हम सभी धीरे धीरे अपनी संस्कृति और धर्म को भूलते जा रहे हैं जो बहुत ही विनाशकारी है।
आज के इस आर्टिकल में हम तथ्य और प्रमाण के द्वारा वह वजह जानेगे जिसके कारण मन्दिरों के द्वार पर इन घंटो (Ghante) को लगाया जाता है। जिससे लोग बेहूदा वीडियो देख कर भ्रमित ना हो और इसका सही कारण जाने। मेरा आपसे आग्रह है की आपके जो मित्र इसके बारे में नहीं जानते हैं उनको ये आर्टिकल जरूर शेयर करें और सनातन धर्म को सुरक्षित रखने में भागीदार बने।
मंदिर में लगे घंटो की ध्वनि
मंदिर में लगे घंटो की ध्वनि के बारे में जानने से पहले आपको कुछ बातो का जानना जरुरी है। यदि अपने थोड़ी भी विज्ञान पढ़ी है तो आपको पता होगा की ध्वनि तरंगो के रूप में चलती है।और सभी जीवित प्राणियों पर प्रभाव डालती हैं। कौन सी ध्वनि जीव के लिए अच्छा प्रभाव डालती है और कौन सी ध्वनि का प्रभाव जीव को विचलित कर देता है ये अध्यात्म के साथ साथ विज्ञान भी जान चुका है। अलग अलग आवृत्ति की ध्वनियाँ अलग अलग प्रभाव डालती हैं। आपने भी महसूस किया होगा जब आप कोई ध्वनि सुनते हैं तो वह सीधे आपके ऊपर या आपके काम करने की छमता पर असर डालती हैं। यदि ये ध्वनि आपके मस्तिष्क पर बुरा असर डालती है तो आप अपना काम एकाग्रता से नहीं कर पाते।
संगीत या ध्वनि का प्रभाव
प्राचीन काल में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जिसमे लोग संगीत की ताकत से बड़े बड़े काम कर देते थे। इसमें पहला नाम आता है भगवान् श्री कृष्ण का जो अपनी मुरली के संगीत की ध्वनि से गोप और गोपियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे। इसके साथ साथ गाय भी श्री कृष्ण की मुरली की ध्वनि से उनके पास खिची चली आती थी। अब कुछ लोग कहंगे की वे तो भगवान् थे तो वे ऐसा कर सकते हैं। तो इसके अलावा कुछ सामान्य लोगो ने अपनी संगीत की ध्वनि से आश्चर्य जनक कार्य किये हैं।
इसमें पहला नाम आता है संगीत सम्राट तानसेन जिनका वास्तविक नाम राम तनु पांडेय था जो दीपराग गा कर दीपको को जला देते थे।
इसी प्रकार गुजरात की दो बहने ताना और वीरी अपने सगीत के बल पर राग मल्हार गा कर बदलो को बरसने पर मजबूर कर देती थी।
आपने दुआ और श्राप के बारे में भी सुना होगा इनका सम्बन्ध भी ध्वनि से जुड़ा है। जब कोई व्यक्ति दुआ देता है तब उसकी वाणी मधुर होती है और उसका अच्छा असर भी महसूस होता है। इसी प्रकार जब कोई किसी को श्राप देता है तो उसकी वाणी में क्रोध होता है जो एक अलग नकारात्मक ध्वनि आवृत्ति का होता है और उसका प्रभाव भी नकारात्मक होता है।
अब आप समझ गए होंगे की अलग अलग ध्वनियाँ जीव पर अलग अलग प्रभाव डालती हैं।
यदि हम वर्तमान की बात करें तो आज के संगीत भी सीधे मनुष्य के मस्तिष्क पर प्रभाव डालते हैं। अब कौन सी ध्वनि किस पर कैसा प्रभाव डालती है उसको महसूस हो जाता है। कुछ संगीत सुन कर लोग रोने लगते हैं तो कुछ संगीत हमको प्रशन्न कर देते हैं।
- एक हंगेरियन एल्बम का संगीत ऐसा है की जो इसको सुनता है तो वह आत्महत्या कर लेता है। वह आपको सुनने को को नहीं मिलेगा पर उसके प्रमाण जरूर मिल जायेंगे इस गाने को Sad Sunday के नाम से जाना जाता है।
- वर्तमान में कुछ गाय ऐसी हैं जो संगीत सुन कर अपने आप दूध देने लगती हैं।
- वर्तमान में वैज्ञानिको ने कई प्रयोग कर यह निष्कर्ष निकला है की मधुर ध्वनि या संगीत वाले वातावरण में पेड़ पौधे तेजी से बढ़ते हैं।
अब वैज्ञानिक भी संगीत की ध्वनि का प्रभाव और इसकी ताकत को सच मान चुके हैं। वर्तमान में कई बिमारियों का इलाज़ संगीत से (Music Therapy) किया जा रहा हैं और मरीज स्वस्थ भी हो रहे हैं। हमारा सनातन धर्म संगीत या ध्वनि की ताकत को हजारो साल पहले ही खोज चुके थे।
अब हम अपने विषय पर आते हैं मंदिरो में घंटे क्यों लगाए जाते हैं?
मंदिर में घंटे भगवान् के लिए नहीं लगाए जाते ये घंटे हमारे और आपके लिए लगाए जाते हैं। और प्राचीन काल से ये घंटे मंदिरो में लगाए जाते रहे हैं। जब मनुष्य मंदिर में अपनी इच्छाएं लेकर जाता है तो सभी व्यक्तिओ की अपनी अलग अलग इच्छाएं होती हैं। और सभी भगवान् से जुड़ कर अपनी इच्छाएं और परेशानियां बताना चाहते हैं। जिसके लिए व्यक्ति का ध्यान सांसारिक उलझनों से मुक्त हो मन शांत हो इस स्तिथि में ही एक व्यक्ति भगवान् से आसानी से जुड़ सकता है।
यही वजह है की प्राचीन वास्तुकारो ने मंदिरो में घंटे लगवाए थे और यही प्रथा आज तक चली आ रही है। जब हम मंदिर के घंटो को बजाते हैं तो एक विशेष आवृत्ति की ध्वनि निकलती है। यह ध्वनि सीधे हमारे मस्तिष्क को बहुत कम समय में शांत और एकाग्र कर देती है। ओर सांसारिक उलझनों को हम भुला देते हैं। जब हम घंटे को बजा कर मंदिर में प्रवेश करते हैं तो हमारा मन शांत और मष्तिष्क एकाग्र हो जाता है। इस इस्तिथि हम आसानी से उस परम शक्ति से जुड़ कर अपनी इच्छाएं और परेशानियां उनके सामने रख पाते हैं और उनका निवारण भी हो जाता है।
यह अहसास कभी ना कभी हर व्यक्ति को होता है जो मंदिरो में जाते हैं। व्यक्ति को अहसास होता है की उसका मन सांसारिक उलझनों को भूल गया है और उसका मन शांति से भर गया है। सही ज्ञान ना होने के कारण व्यक्ति इस पर ध्यान नहीं दे पता।
इसका प्रमाण हमें एक संस्कृत श्लोक में मिलता है
इसका अर्थ यह है की मंदिर में लगे घंटे को बजाए जाने पर मेरे दुर्विचार मन से निकल जाएँ और देवता रूपी मन का आगमन हो। इस स्तिथि में मैं उस देवता या परमशक्ति से जुड़ सकूँ।
अब हम घंटे की आवाज को विज्ञान के नजरिये से देखते हैं। वैज्ञानिक बताते हैं की किसी भी घंटे से निकलने वली ध्वनि की एक विशेष आवृत्ति होती है। घंटे से निकलने वाली ध्वनि हमारे मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
घंटे का निर्माण किस प्रकार होता है ?
मंदिर में लगने वाले घंटे कुछ विशेष धातुओं से बनाये जाते हैं जैसे सोना ,चांदी , तांबा ,पीतल ,और लोहा इत्यादि। इन घंटो के निर्माण ही उस से निकलने वाली ध्वनि की आवृत्ति तय होती है यही आवृत्ति मनुष्य के मन मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव डालती हैं।
मंदिर के घंटो से निकलने वाली आवृत्ति और उनका प्रभाव
- 960 Hz आवृत्ति की घंटे की ध्वनि का प्रभाव
960 Hz आवृत्ति की घंटे की ध्वनि हमारे मष्तिष्क के पीनियल ग्लैड पर सीधा प्रभाव डालती है। पीनियल ग्लैड हमारे मष्तिष्क में उपस्थित अध्यात्म के स्तर को बढ़ती है। 960 Hz आवृत्ति की ध्वनि को चमत्कार स्वर या देवताओ के स्वर की आवृत्ति माना जाता है। यह 960 Hz अव्रती की ध्वनि हमारे सबसे ऊपरी सहस्रार चक्र को सक्रिय करती है।
- 852 Hz आवृत्ति के घंटे की ध्वनि का प्रभाव
यह एक ऐसी ध्वनि होती है जो हमारे मष्तिष्क में अत्यधिक सोचने या नकारात्मक विचारो को रोकने का कार्य करती है। यह ध्वनि अवसाद और चिंता से सीधे जुडी हुयी है। इस आवृत्ति की ध्वनि के संपर्क में आने से हमारे मनोवैज्ञानिक नकारात्मक विचार मस्तिष्क में आने से रुक जाते हैं। इस आवृत्ति का बना घंटा चमत्कारी प्रभाव डालता है
- 639 Hz आवृत्ति के घंटे की ध्वनि का प्रभाव
इस आवृत्ति की घंटे की ध्वनि हमारे हृदय चक्र पर प्रभाव डालती है। यह ध्वनि सकारात्मक भाव पैदा करती है
- 285 Hz आवृत्ति के घंटे की ध्वनि का प्रभाव
यह ध्वनि हमारे घावों और जलने के साथ पूरे शरीर की भौतिक समस्या को हल करती है। यह ध्वनि हमारे शैल की संख्या को तेजी से बढ़ाने का कार्य करती है। यदि हमें चोट या घाव होता है तो यह जल्द ठीक हो जाता है।
- 396 Hz आवृत्ति की घंटे की ध्वनि का प्रभाव
यह ध्वनि हमारे मूलाधार चक्र को प्रभावित करती है यह ध्वनि दुःख या नकारात्मक भाव को प्रसन्नता में परवर्तित करती है।
- 440 Hz आवृत्ति की घंटे की ध्वनि का प्रभाव
यह ध्वनि हमारे तीसरे नेत्र या आज्ञा चक्र को सक्रीय करने का कार्य करती है, जिससे हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- 528 Hz आवृत्ति की घंटे की ध्वनि का प्रभाव
इस आवृत्ति की ध्वनि को प्रेम और आदर के भाव को बढ़ाने की आवृत्ति के रूप में जाना जाता है। यह व्यक्ति के सौम्य विचार को बढ़ावा देती है इसको आशीर्वाद की ध्वनि से जुड़ा हुआ माना जाता है।
- 417 Hz आवृत्ति की घंटे की ध्वनि का प्रभाव
इस आवृत्ति की ध्वनि नकारात्मक विचारो को हटाने के साथ व्यर्थ भावनाओ को कम करने का कार्य करती है और विशुद्ध चक्र को सक्रीय करती है।
अब आप समझ गए होंगे की घंटे से निकलने वाली ध्वनियाँ कितने सकारात्मक प्रभाव डालती हैं यह वज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है।
कुछ नकारात्मक अव्रती की ध्वनियाँ भी होती हैं
वैज्ञानिको ने प्रयोग द्वारा माना है की कम आवृत्ति की ध्वनियाँ हमारे ऊपर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं
7 Hz आवृत्ति की ध्वनि सबसे खतरनाक मानी जाती है यह हमारे विचारो और शारीरिक स्वास्थ को बिगाड़ देती है। इसके कुछ लक्षण भी हमें महसूस होते हैं।
- जिससे हमें नीद में कमी
- चिड़चिड़ा पन
- थकान
- जी मचलाना
- एकाग्रता में कमी
जैसे दोष देखने को मिलते हैं
इसी को आधार मान कर हतियार भी बनाये गए हैं जो 7 Hz की ध्वनि निकलते हैं जिससे विरोधी सेना को थकान, जी मचलाना और चक्कर आने लगते हैं।
अब आप मंदिर के घंटो में से निकलने वाली आवाजों के प्रभाव को अच्छी तरह समझ चुके होंगे। यह ज्ञान आप अपने मित्रो तक पहुचाये जिससे मित्रो को भी इस के बारे में पता चल सके।
यदि इस आर्टिकल की जानकारियां आपको अच्छी लगी हो तो एक सन्देश भेजने का कष्ट करे।
धन्यवाद !