हमारे देश का बजट (Budget) कैसे बनता हैं ?
आपके मेहनत और Tax का पैसा सरकार कंहाँ उड़ाती है? भारत में बहुत से अमीर बिजनेस मैन हैं जो विश्व के अमीर लोगो में गिने जाते हैं उसके बावजूद भारत में इतनी गरीबी क्यों है? ये सवाल आपके दिमाग में जरूर आये होंगे इसका जवाब एक व्यक्ति एक ख़ास दिन पर एक ख़ास Document को पढ़ कर देता है।
और इसको हम कहते भारत का बजट 1 फरवरी को पूरे देश के सामने इस बजट (Budget) को रखा जाता है और यह दिन हमारे देश की Economy के लिए बहुत ही ख़ास होता है। लेकिन एक आम आदमी इसको नहीं समझ पता और ना इस पर ध्यान देता है लेकिन इसका सीधा असर उस पर पड़ता है।
यह समझने में काफी कठिन लगता है पर ये इतना कठिन नहीं जितना लोग इसको समझते हैं। क्न्योकि स्कूल में तो इसके बारे में हमें बताया ही नहीं गया पर यह समझने में बहुत आसान है।
तो चलिए बजट को आसान बनाकर पूरी तरह समझते हैं की किस प्रकार भारत का बजट (Budget) बनता है और इसका क्या प्रभाव हम पर पड़ता है।
बजट बनता कैसे हैं ?
हमारे देश के बजट में मुख्य तीन बाते प्रमुख होती हैं
- भारत कितना रुपया कमाने वाला है
- भारत कितना पैसा खर्च करने वाला है
- भारत आने वाले साल अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक क्या मुख्य कार्य करेगा भारत की अर्थव्यवस्ता को कैसे संतुलित किया जायेगा।
Budget बनाने का तरीका
बजट किस दिन जारी किया जाता हैं ?
अब बनाया गया बजट 1 फरवरी को संसद में पारित किया जाता है इससे पहले इसके बारे में किसी को इस बजट के बारे में पता नहीं होता। अगर ये बात पहले ही बाजार में फैल गयी तो इसका बाजार पर बुरा असर हो सकता है।
बजट का बनते समय लीक होना देश के लिए खतरनाक हो सकता है। इस कारण से जिन लोगो ने इस बजट पर काम किया होता उस विभाग को ताले में रखा जाता है वे किसी बाहरी व्यक्ति से संपर्क में नहीं रहते। जब बजट सभी के सामने आ जाता है तभी उनको खोला जाता है।
बजट के मुख्य बिंदु
हर साल 1 फरवरी को बजट (Budget) पेश किया जाता है। लेकिन उस से एक दिन पहले 31 जनवरी को ये देखा जाता है की पिछले साल भारत की Economy कैसी रही और बाजार में हो क्या रहा है।
पिछले वर्ष की ये बातें भी लोगो के सामने राखी जाती है, जैसे पिछले साल मुद्रा स्फ़ीति की दर (Inflation) क्या रही, विदेश व्यापार (Foreign Trade) कितना था, देश ने कितना Loan लिया ये सभी बाते लोगो को बताई जाती हैं। इस इकोनॉमिक सर्वे को indiabudget.gov.in/economicsurvey इस लिंक पर आप भी देख सकते हैं।
1 फरवरी को हमारे वर्तमान वित्तमंत्री इस बजट को सासंद में पेश करते हैं इसके दो भाग होते हैं।
- पहला भाग होता है (Budget Speech and Announcement)
- दूसरा भाग होता है हिसाब किताब (Accounts )
पहले भाग में बजट का एक खाका (Map) बताया जाता है की किस तरह और किन कारणों से इस बजट को बनाया गया है।
इसके भी दो भाग होते हैं
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आम कारण (General Cause)
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विशिष्ट कारण (Specific Cause)
आम कारण (General Cause) का उधारण
जैसे पिछले वर्ष सरकार ने सभी गावों में Broadband Internet पहुंचने का वादा किया था। जिसमे ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुँचाने का काम शुरू हो चूका है और भारत चाहता है 2025 तक सभी गाँवो में इंटरनेट सेवा पहुंचा दी जाएगी। इसके साथ भारत Solar Power Energy में सबसे आगे रहना चाहता है। और 2030 तक 280 गीगा वाट की Power Energy के उत्पादन करने की बात कहता है। इसको पूरा करने के लिए भारत ने 19500 करोड़ रूपये पिछले वर्ष के बजट में दिए।
विशिष्ट कारण (Specific) का उधारण
दूसरा भाग जिस पर हर आदमी की नजर होती है और इसका सीधा असर हम पर पड़ता है जैसे क्या Tax कम हुए, Tax बचाने के नए तरीके मिले, क्या सस्ता हुआ, क्या महंगा हुआ ये सभी बातें वित्तमंत्री अपने 1 फरवरी के भाषण में बताते है।
इसके अलावा दो मुख्य बातें भारत कितना कमाने वाला है? और कितना खर्च करने वाला है? इसका असर हमारे दिए जाने वाले टैक्स पर पड़ता है। इन दो कारणों से सरकार हम पर पड़ने वाले Tax को निर्धारित करती है। बजट के Account वाले भाग में इन्ही सवालों की वजह से तीन ड्राफ्ट तैयार किये जाते हैं।
1-Receipt Budget रसीद बजट
2-Expenditure Budget व्यय बजट
3-Demands for Grants of Central Government केंद्र सरकार से अनुदान की मांग
इन तीनो को समझने से पहले हमें ये पता होना चाहिए की पूंजी (Capital) और राजस्व (Revenue) में अंतर क्या है? ये शब्द कठिन लग सकते हैं पर उद्धरण द्वारा आसानी से समझ आ जायेंगे।
पूंजीगत व्यय (Capital Expenses )
यदि सरकार कोई बड़ा अस्पताल बनवा रही है तो उसका खर्चा सिर्फ एक बार होगा एक बार खर्च किये जाने वाला धन को पूंजीगत व्यय कहते हैं।
पूंजी प्राप्तियां (Capital Receipts) – यदि सरकार किसी दूसरे देश से लोन ले रही है तो तो वह एक बार लिया जायेगा हर महीने नहीं। तो इस धन को यह पूंजी प्राप्तियां कहा जायेगा।
राजस्व (Revenue Receipts) – इसका सबसे सरल उदहारण है बिजली का बिल आप पिछले महीने का बिल जमा कर चुके हो और इस महीने का नया बिल फिर से आने वाला है।
राजस्व व्यय (Revenue Expenses ) – इसका उदहारण सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली तन्खा से समझ सकते हैं। एक महीने की तन्खा देने के बाद सरकार को अगले महीने की तन्खा फिर से देनी होती है।
राजस्व प्राप्तियां (Revenue Receipts ) – सरकार हर महीने के हिसाब से Tax लेती है तो यह सरकार की राजस्व प्राप्तियां हुयीं।
अब आते हैं मुख्य तीन बिन्दुओ पर
1- रसीद बजट (Receipt Budget) -इसमें एक देखा जाता है साल भर में देश को किन किन जगह से पैसा मिलेगा जैसे Income Tax , GST , Customs Fees ,Penalty Loans आदि।
2-व्यय बजट (Expenditure Budget)- इसमें देखा जाता है देश का पैसा कहाँ कहाँ खर्च होने वाला है
3-केंद्र सरकार से अनुदान की मांग (Demands for Grants of Central Government) – इसमें तय होता है किस मंत्रालय ने किस कम के लिए कितने पैसे मांगे।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs) -यह मंत्रालय गरीबो को बहुत ही काम दामों 1 या 2 रूपये किलो पर अनाज देता है। पर यह अनाज किसानो से MSP (Minimum Support Price) पर ख़रीदा जाता है। जो रकम जादा होती है यानि हमारे टैक्स का पैसा दो जगह सरकार खर्च करती है। आने वाले साल 2023 में सरकार 80 करोड़ लोगो को मुफ्त में अनाज देगी इसके लिए 2 लाख करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे। इसी तरह अन्य मंत्रालयों को भी पैसा दिया जाता है इन सभी टैक्स को जोड़ कर एक बिल बनता है जिसको संसद में वित्तमंत्री द्वारा पेश किया जाता है। सरकार संसद के बिना आज्ञा के हमारा पैसा खर्च नहीं कर सकती। जब तक संसद इसको पास नहीं करती तब तक इसको खर्च नहीं किया जा सकता।
बजट इतना महत्वपूर्ण क्यों है ?
लोग कहते हैं मैं टैक्स देता हूँ और GST भी पर इस पैसे का होता क्या है ? अच्छी सड़के क्यों नहीं बनती आर्थिक तंगी दूर क्यों नहीं होती। अगर हम समझ सके तो इन सभी सवालों का जवाब हमें बजट के द्वारा ही मिल पता है। बजट से ही पता चलता है की सबसे जादा पैसा कहाँ खर्च हो रहा है सच यह है की भारत का बजट हमेशा घाटे में बनता है। हमारे भारत के खर्चे हमारे भारत की कमाई से जादा हैं और इसको पूरा करने के लिए सरकार Loan लेती है। और हर साल इस Loan पर हमें एक बड़ा ब्याज भी देना पड़ता है। इतना Tax देने के बाद भी हमारे देश को जितना पैसा चाहिए उतना पैसा देश के पास नहीं है।
सरकार को Loan क्यों लेती है?
हमारी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में बताया। हम 2023 का सारा बजट देखे तो टैक्स और अन्य साधनो से सरकार को 35 लाख करोड़ रुपया मिलेगा, और हमारे सभी खर्चे 45 लाख करोड़ के होंगे। इतना रुपया तो हमारे देश के पास है नहीं तो जो बाकि पैसा 10 लाख करोड़ हम लोन लेके खर्च करेंगे।
इन सभी का कारण यह है की भारत को 2% लोग ही Tax देते हैं विश्व में टैक्स देने के आधार पर देखे तो हमारा देश 116 वें स्थान पर आता है। अगर दूसरे देशो को देखे तो चाइना में 15% लोग टैक्स देते हैं वंही अमेरिका में 80% लोग टैक्स देते हैं। इन आकड़ो को देखा जाये तो हमारे देश के लोग चाहे तो देश तरक्की कर सकता है।
इसको देख कर लगता है हमारे देश में कमाने वाले हाथ कम हैं और खाने वाले मुँह जादा हैं। इस वजह से हमारे देश की सरकार को Loan लेना पड़ता है।
अब सच क्या है? ये कुछ बातें देश को नहीं बताई जाती की सरकार कब,क्यों और कैसे इस देश की अर्थव्यवस्था को चलाने वाली है। बस हमको सरकार पर भरोसा करने के अलावा कोई चारा नहीं।