राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद की पूरी कहानी 2019

राम मंदिर अयोध्या विवाद

राम मंदिर अयोध्या  6 दिसंबर 1992 ये एक ऐसा दिन जब कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे देश को हिला दिया, और उस दिन पूरा अयोध्या श्री राम के नारों से गूंज रहा था। सैकड़ों साल पुरानी बाबरी मस्जिद पर चोट करती ठक ठक की आवाज हर तरफ सुनाई दे रही थी।

फिर आया अगला दिन यानी 7 दिसंबर जब आवाजें खामोश हो चुकी थी, और देश में आने वाले तूफान का संकेत देने लगी थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ था कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को कार सेवकों ने एक सपाट मैदान में बदल दिया था।

राम मंदिर का इतिहास

राम मंदिर का इतिहास जानने के लिए हमें 490 साल पहले जाना पड़ेगा। 1528 बाबर ने एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसे नाम दिया गया बाबरी मस्जिद

लेकिन हिंदू ऐसा मानते हैं कि इस जगह भगवान श्रीराम का मंदिर था और यहीं पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। बाबर ने 1853 में  राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था।

1859 में ब्रिटिश सरकार ने विवादित ढांचे के चारों तार की एक बाढ़ खड़ी करके विवादित ढांचे के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुसलमानों और हिंदुओं को अलग अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी।

राम की मूर्ति की स्थापना

1885 में राम मंदिर का मामला पहली बार अदालत में पहुंचा, जब महंत रघुवर दास ने फैज़ाबाद अदालत में बाहरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर कर दी। 23 दिसंबर 1949 को करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रखती है।

इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज़ पढ़ना बंद कर दिया। 16 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह बिसारत ने फ़ैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा अर्चना की विशेष इजाजत मांग ली।

1 फरवरी 1986 को फैज़ाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दे दी, और ताले दोबारा खोले गए।

राम मंदिर विवाद की शुरुआत

1 फरवरी 1986 को फैज़ाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दे दी, ताले दोबारा खोले गए और नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन टीम का गठन कर दिया।

जून 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने BHP को औपचारिक समर्थन देना शुरू कर दिया और राम मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया।

लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा

BHP के हौसले और बुलंद हो गए। 25 सितंबर 1990 को बीजेपी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक राम मंदिर रथ यात्रा निकाली

साम्प्रदायिक दंगे

जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे शुरू हो गए और 1990 में बिहार के समस्तीपुर से आठ वाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे शुरू हो गए और 1990 में बिहार के समस्तीपुर से आठ वाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

बाबरी मस्जिद तोडी गयी

6 दिसंबर 1992 को हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुँचकर बाबरी मस्जिद को तहस नहस कर दिया। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गए। जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर का निर्माण भी करा दिया गया।

जनवरी 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में एक अयोध्या विभाग भी शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदू और मुस्लिमों से बातचीत करना था।

राम मंदिर विवादित स्थल पर मालिकाना हक

अप्रैल 2002 में अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की। 

मार्च 2003 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई शुरू कर दी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था की और बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं।

राम मंदिर विवादित जमीन के तीन हिस्से

30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया, जिसमें एक हिस्सा था राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़ा।

21 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही और 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित BJP और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ़ आपराधिक केस चलाने का आदेश दे दिया।

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद पर कोर्ट का फैसला

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और 5 जजों की बेंच ने 9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर और बाबरी मस्ज़िद पर फैसला दिया। फैसले के मुताकिब

  • 2.77 एकड़ जमीन को राम मंदिर के निर्माण के लिए दिया गया।
  • मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन किसी अन्य स्थान पर दिए जाने का फैसला सुनाया।
  • तीन महीने में केंद्र सकरार को मंदिर बनवाने के लिए एक कमेटी बनाने की आज्ञा दी।
  • कोर्ट के अनुसार बाबरी मजीद खाली जमीन पर नहीं बनायीं गयी इसके निचे मंदिर के अवशेष के मिलने को सच बताया।

राम मंदिर बनने की शुरुआत

भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना हुई है जब आयोध्या में भगवान श्रीराम के प्रस्तावित मंदिर की शुरुआत हुई। यह घटना 5 अगस्त 2020 को हुई और इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन से राम मंदिर की नींव रखी।

राम मंदिर का निर्माण भारतीय समाज में एक दीर्घकालिक विवाद का समापन करने का प्रयास है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय, जो नवम्बर 2019 में आया था, ने मंदिर निर्माण की योजना को समर्थन दिया और मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर मस्जिद बनाने का आदान-प्रदान किया।

भारतीय समाज ने इस घटना को एक ऐतिहासिक पल के रूप में देखा और इसे समर्पित भावना के साथ स्वीकार किया है, जिससे भगवान राम के भक्तों के लिए एक नया धारोहर बनता है।

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