मजबूरी में मांसाहारी (Non Vegetarian) आहार करना
इस धरती पर लगभग 190 + देश हैं जहाँ तरह तरह के लोग रहते है और सभी का आहार एक दूसरे से भिन्न है। कुछ लोग मजबूरी में मांसाहारी (Non Vegetarian) आहार करते है वही कुछ लोग इसको अपना भोजन मान लेते हैं। विज्ञान की द्रष्टि से और और धर्म की दृष्टि के मांसाहारी (Non Vegetarian) आहार करने का क्या प्रभाव पड़ता है आज आप यह जानेंगे।
आप ऐसे कई मुस्लिम देशो के बारे में जानते होंगे जंहा शाकाहारी फसल ना के बराबर होती है। इन देशो में चारो और रेत ही रेत और बंजर भूमि है जिस वजह से वहाँ फैसले नहीं हो पाती हैं। अब उन देशो में अनाज नहीं उगाया जा सकता तब उन देशो के लोगो के सामने भुखमरी की समस्या सामने आयी।
अब भुखमरी से बचने के लिए और अपने प्राण बचाने के लिए, उन लोगो ने जानवरो को मार कर मांसाहारी (Non Vegetarian) आहार किया। और आज यह एक प्रथा बन चुकी है।
अब कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको सभी शाकाहारी (Vegetarian) भोजन आसानी से उपलब्ध है उसके बाद भी वे मांशाहारी (Non Vegetarian) बन चुके हैं। ये कितना सही और कितना गलत है। आप किसी असहाय प्राणी को मार कर उसको अपना भोजन बनाते हैं।
भगवान् श्री कृष्ण की एक कथा बताती है की मांशाहार (Non Vegetarian) आहार पाप है या पुण्य
एक समय जब भगवान कृष्ण बचपन में एक वन में अपनी मधुर वांसुरी बजा रहे थे। उसी समय एक हिरन भागते हुए भगवान् श्री कृष्ण के पीछे आकर छुप गया। भगवान् कृष्ण ने जब उस हिरन को देखा तो वह हिरन थका हुआ और डरा हुआ था। उसके कुछ समय बाद एक शिकारी भी भगवान् कृष्ण के पास आया जो उस हिरन का शिकार कर रहा था।
हिरन और शिकारी
जब कृष्ण हिरन को उस शिकारी से बचने लगे तब उस शिकारी ने भगवान् कृष्ण से कहा यह मेरा शिकार है। आप मुझे इसका शिकार करने दे, जिससे मैं इसको मार कर इसके मांश (Non Vegetarian) आहार को अपना भोजन बनाकर अपनी भूँक शांत कर सकू। तब भगवान् कृष्ण ने उसको रोकते हुए उस शिकारी से कहा की तुम क्न्यो किसी असहाय जीव को मार कर उसको खाना चाहते हो। क्या तुम्हारे पास अपना पेट भरने के लिए कोई और साधन नहीं।
इस वन में तरह तरह के फल वृक्षो पर लगे हैं उनको खा कर भी तुम अपनी भूँक शांत कर सकते हो। जिससे एक जीव की हत्या भी नहीं होगी और तुम्हारा पेट भी भर जायेगा। क्या तुमको पता नहीं की जीव हत्या पाप है। यह सब सुन शिकारी कृष्ण से बोला मैं तुम्हारी तरह ज्ञानी नही हूँ। लेकिन यह जनता हूँ की यदि मैं इस हिरन को मारूंगा तो यह हिरन अपनी पशु योनि के जन्म से मुक्त हो जायेगा।
मैं इस हिरन को मार कर इस हिरन को पशु योनि से मुक्त कर रहा हु तो मुझे पाप नहीं लगेगा। भगवान् कृष्ण ने कहा तुमको ये अधिकार किसने दिया की तुम जिस जीव को मरोगे वह उस योनि से मुक्त हो जायेगा।
शिकारी को सही या गलत का ज्ञान नहीं था तब भगवान् कृष्ण ने शिकारी के सामने एक शर्त राखी। उन्होंने शिकारी से कहा की तुम मेरी एक कथा सुनो उसके बाद तुम इस हिरन का वध कर सकते हो।
शिकारी ने सोचा चलो कथा सुन लेते हैं जिससे उसका मनोरंजन भी हो जायेगा, और उसके बाद में वह हिरन का वध भी कर लेगा।
भगवान् कृष्ण ने शिकारी को कथा सुनना शुरू किया। उन्होंने बताया प्राचीन समय में मगध के एक राजा के राज्य में बारिश न होने की वजह से घोर सूखा पड़ा।
जिससे राज्य में उस वर्ष कोई भी फसल नहीं हुयी जिससे राज्य में खाद्य सामग्री की बहुत कमी हो गयी। राजा ने सोचा अगर खाद्य सामग्री की कमी को पूरा नहीं किया गया तो प्रजा भूंखी मरने लगेगी। राज्य के खाद्य भंडार भी इस कमी को पूरा नहीं कर सकते थे।
खाद्य सामग्री की समस्या का हल
तब राजा ने इस समस्या के हल के लिए एक सभा बुलाई। इस सभा में राज्य के महामंत्री के साथ साथ प्रमुख सामंत भी आये। राजा ने राज्य की प्रजा के भोजन की व्यवस्था को हल के लिए सबसे अपने विचार रखने को कहा।
उस सभा में एक सामंत ने राजा के सामने एक उपाय रखा। सामंत ने कहा की एक विधि है यदि राज्य की प्रजा जीवो को मार कर उनके मांस (Non Vegetarian) आहार का इस्तेमाल भोजन के रूप में करे तो इसका हल हो जायेगा।
इस तरह राज्य का धन भी खर्च होने से बच जायेगा और भुखमरी भी नहीं रहेगी। वह सामंत एक मांशाहारी (Non Vegetarian) व्यक्ति था इसलिए उसके दिमाग में यह विचार आया।
मांशाहारी सामंत
उसकी बात सुन कर कई सामंत उसका समर्थन करने लगे। पर राज्य के महामंत्री जो एक धार्मिक और अहिंशा प्रेमी थे उनको यह सलाह अछि नहीं लगी। राजा ने महामंत्री से पूछा की आप की क्या राय है जल्द ही बताएं क्न्योकि मैं नहीं चाहता की मेरी प्रजा भूखी मरे।
तब महामंत्री ने राजा से कुछ समय माँगा राजा ने महामंत्री को समय दिया और इसका हल जल्द ही निकलने का आग्रह किया। संकट बड़ा था पर महामंत्री नहीं चाहते थे की किसी जीव को मार कर राज्य की प्रजा इस भुखमरी से बचे।
महामंत्री ने निकाला हल
महामंत्री देर रात उस सामंत के घर गए जिसने जानवरो के मांस को खाने के लिए सुझाव दिया था। रात में सामंत महामंत्री को देख अचंभित हुआ। उसने महामंत्री से पूछा आप इतनी रात में मेरे घर आये इसकी वजह क्या है ?
तब महामंत्री ने सामंत से कहा की हमारे राजा का स्वास्थ अचानक बिगड़ गया है। उनको देखने आये राज्य वैध ने कहा है की राजा को 2 तोला मनुष्य के ह्रदय के मास से राजा के प्राण बचाये जा सकते हैं।
और राज्य वैध ने मुझे आपके पास भेजा है आप का शरीर राजा से मिलता जुलता है। और आप के ह्रदय के मांस से ही राजा के प्राण बचाये जा सकते हैं आप अपने ह्रदय के दो तोला मांस को राजा को दें। इसके बदले आपको 1 लाख सोने की मुद्राएं और कोई भी नगर दिया जायेगा।
सामंत का डर
यह सुन सामंत महामंत्री के पैरो पर गिर पड़ा और कहा की मुझे कुछ नहीं चाहिए। जब मै जीवित ही नहीं रहूँगा तो इसका क्या करूँगा मुझे माफ़ कीजिये। सामंत बोलै आप को मै अपने पास से 1 लाख स्वर्ण मुद्राएं दूंगा आप मुझे छोड़ दीजिये।
किसी अन्य सामंत से आप ह्रदय का 2 तोला मांस लें। और मै आज रात ही इस राज्य को छोड़ कर चला जाऊंगा। सामंत वंहा से अपने घोड़े पर सवार हो कर भागने लगा, तब महामंत्री ने कहा तुम अपने परिवार को क्यों छोड़ कर भाग रहे हो।
सामंत ने कहा जब प्राण ही नहीं बचेंगे तो मै इस परिवार का क्या करूँगा जीवन बचेगा तो अपना परिवार पा सकूंगा। यह कह कर वह सामंत घोड़े पर सवार होकर भाग गया।
अब महामंत्री उन सभी सामंतो के पास गए जो प्रजा को मांस खाने के लिए सहमत थे। वे सभी अपने प्राण को बचाने के लिए लाखो स्वर्ण मुद्राये देने लगे। इस प्रकार महामंत्री ने इतना धन एकत्रित कर लिया जिससे वे किसी दूसरे राज्य से प्रजा के लिए भोजन खरीद सकते थे।
इसके बाद महामंत्री ने राजा से आग्रह किया की वे एक सभा में दुबारा सभी सामंतो को बुलाये। राजा ने दुबारा सभा बुलाई और सभी सामंत दुबारा सभा में बुलाये गए।
कुछ समय बाद राजा अपने सामान्य रूप से सभा में आये। यह देख सभी सामंत हैरान हुए क्न्योकि उनको लगा था की राजा तो बीमार थे।
प्राण की कीमत
महामंत्री ने उन से झूंट बोला था तभी महामंत्री ने 1 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं को राजा के सामने रख दिया। राजा ने हैरानी से पूछा इतनी सारी स्वर्ण मुद्राएं कंहा से आयी हैं। तब महामंत्री ने कहा दो तोले मांस के लिए इतनी स्वर्ण मुद्राये दी गयी हैं पर तब भी दो तोला मांस नहीं मिला।
राज्य के सभी सामंतो ने अपनी जान बचाने के लिए ये स्वर्ण मुद्राये दी हैं। अब आप यह समझ सकते हैं की मांस (Non Vegetarian) आहार की कीमत कितनी है राजा को सारी बात समझ आ गयी।
अब इस धन को प्रजा के भोजन की कमी को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया गया। राज्य की प्रजा इस बुरे समय में भी इस धन की वजह से अपना भोजन जुटाने में समर्थ रहे। उन्होंने इस धन से शाकाहारी फसल और सब्जियां उगाई और वह बुरा समय गुजर गया।
इस कहानी की सहायता से भगवान् श्री कृष्ण ने यह ज्ञान दिया की किसी भी जीव के लिए अपने प्राण कितने प्रिय हैं। यदि किसी की हत्या कर उसको इस संसार के चक्र से मुक्त किया जा सकता है। तो अत्याचारी द्वारा किया गया नरसंहार भी उचित माना जाना चाहिए।
वे अत्याचारी भी यह कह सकते हैं की वे हत्या नहीं करते बल्कि मनुष्य को इस संसार से मुक्ति दिला रहे हैं। अगर किसी भी जीव को अपना जीवन बोझ लगता तो वह अपने जीवन को बचाने के लिए संघर्ष नहीं करता। किसी मनुष्य की हत्या करना या रक्त बहाना ही बर्बरता नहीं।
यदि आप किसी जींव की हत्या अपने स्वार्थ के लिए करते या करवाते हैं वह भी एक महा पाप है। मनुष्य जीवन भर पाप ना करने के लिए अच्छे कार्य और सुकर्म करते हैं। पर मनुष्य यह भूल जाते हैं की जब भी कोई जीव उनके लिए काटा गया या तड़पाया गया। तो उस जीव की हत्त्या का पाप हमें इस जीवन के साथ साथ अन्य जन्मो में भी चुकाना पड़ता है।
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भगवान् श्री कृष्ण के ज्ञान का असर
श्री कृष्ण से यह ज्ञान पाकर वह शिकारी अपनी गलती को समझ गया। वह समझ गया की महानता जीवन लेने में नहीं जीवन देने में हैं। उस शिकारी को अपनी गलती का अहसास हो गया उसने भगवान् कृष्ण से माफ़ी मांगी और कभी भी मांशाहार (Non Vegetarian) आहार ना करने का प्रण लिया।
मांसाहारी (Non Vegetarian) आहार के कुछ मुख्य नुकसान
मांशाहार, जैसे मांस, मुर्गे, मछली, अंडे, आदि से बने आहार हैं। इनकी वजह से आपके शरीर पर कई दुष्प्रभाव पड़ते हैं।
वजन वृद्धि –
आहार में अधिक मात्रा में मांस मांसाहार (Non Veg) खाना बहुत अधिक कोलस्ट्रोल बनाता है। जो आपके वजन में वृद्धि का कारण बनता है और ओबेसिटी से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा सकता है।
हृदय रोग-
मांसाहारी (Non Vegetarian) आहार में अधिक मात्रा में सेचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है, जो हृदय रोगों की आशंका को बढ़ाता है। ये तत्व खून में आराम से जमा हो जाते हैं और हृदय से सम्बन्घित समस्याएं पैदा करते हैं।
अधिक उच्च रक्तचाप-
मांसाहारी (Non Vegetarian) आहार में उच्च मात्रा में नमक होता है। यह नमक आपको उच्च रक्तचाप की बीमारी भी प्रदान करता है।
रोगों का बढ़ना-
अधिक मांस (Non Veg) का सेवन करने से रोगों का जोखिम बढ़ सकता है। यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर, और मोटापा जैसी समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है।
पचन संबंधी समस्याएं-
मांस को पचाने के लिए शरीर को अधिक प्रयास करना पड़ता है। जिससे पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे जी मिचलाना, अपच, और एसिडिटी।
पोषक तत्वों की कमी-
मांस (Non Veg) अकेले में कई पोषक तत्वों का अच्छा स्त्रोत होता है, जैसे प्रोटीन, विटामिन बी12, आयरन, और जिंक। पशुओं के मांस में विटामिन सी की कमी होती है, जो इम्यून सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण होता है।
सांस और हृदय स्वास्थ्य-
कुछ शोधों ने मांसाहारी (Non Vegetarian) आहार के उपयोग से हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है।
कैंसर-
कुछ शोधों में मांसाहार (Non Veg) का अधिक सेवन करने से कैंसर तक हो सकता है।
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