अघोरी (Aghoris) कैसे होते हैं और अपना जीवन कैसे बिताते हैं
आदि न अंत हूँ,
शिव का मैं अंश हूँ,
कुम्भ की मैं शान हूँ,
शिव के बदन की राख हूँ,
काल भी जिसके अधीन हो,
ऐसे महाकाल का भक्त हूँ ।
अघोरी (Aghoris) और अघोरपंत को जानने की लालसा हमेसा इंसानो में बनी रही, आप भी इनके बारे में जानना जरूर चाहते होंगे। पर अघोरी के बारे कोई सही सही नहीं बता पता है। क्न्योकि ये खुद नहीं चाहते की दूसरो को इनके बारे में पता चल पाए,अघोरी खुद ही एक रहस्य हैं।
अघोरी का नाम सुनते ही एक भयानक व्यक्तित्व सामने आता है, जो इंसानी मांस खता है चिता की राख शरीर पर लगता है और मदिरा का सेवन करता है। ये सच है की अघोरी एक ऐसा जीवन जीते हैं जो एक आम आदमी सुन कर ही डर जाता है, और अघोरी (Aghoris) को घृणा से देखता है।
अघोरी (Aghoris) मानते हैं की वे इंसान का कच्चा मांस खाते है और शवों के साथ सम्भोग भी करते हैं। लेकिन आज तक इन बातो का साक्ष किसी के पास नहीं है सिर्फ कुछ अघोरी इन बातो को सच बताते हैं। तो आज इनके बारे में कुछ जानकारियाँ मेरे द्वारा एकत्र की गयी हैं वे मैं आपके सामने रख रहा हूँ।
दक्ष प्रजापति का शिव जी को दिया गया श्राप
निराकार शिव के बारे में सब जानते हैं, क्या आप शिव के अघोरी (Aghoris) रूप का सच जानते हैं। अगर नहीं तो आपको जरूर जानना चाहिए तो पोस्ट पूरी पढियेगा जिससे आप शिव जी के अघोरी रूप का सच जान पाएंगे। शिव पुराण में मिलने वाली एक कथा के अनुसार, शिव जी के सशुर दक्ष प्रजापति एक सभा में गए वंहा एक यज्ञ किया जा रहा था।
शिव जी के सशुर दक्ष प्रजापति को देख वंहा उपस्तिथ सभी देव गण उनके आदर में खड़े हो गए। इस सभा में ब्रम्हा और शिव जी भी थे जो खड़े नहीं हुए, इस पर दक्ष प्रजापति को बहुत क्रोध आया।
उन्होंने सोचा ब्रह्मा जी तो मेरे पिता तुल्य हैं, पर शिव तो मेरे दामाद हो कर भी मेरा निरादर कर रहे हैं। शिव जी से क्रोधित हो कर दक्ष प्रजापति ने हाँथ में जल ले लेकर शिव जी को श्राप दिया।
दक्ष प्रजापति ने कहा की आज से शिव किसी यज्ञ के भागी नहीं होंगे यह कह कर दक्ष प्रजापति सभा से चले गए। ये सुन शिव जी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा पर नंदी जी बहुत क्रोधित हो गए। नंदी ने कहा दक्ष प्रजापति जी ने तो शिव को साधारण मनुष्य समझ कर श्राप दिया है,और आप लोग खड़े होकर शांति से यह सुनते रहे।
तब नंदी ने कहा दक्ष प्रजापति के श्राप को सुनने वाले सभी ब्राह्मणो को मैं श्राप देता हूँ, की आप सभी ज्ञान रहित हो जायेंगे और अपनी भूख मिटने के लिए घर घर भिक्षा मांगनी होगी।
ऋषि भृगु का श्राप
नंदी ने जब ब्राह्मणो को श्राप दिया तब भृगु ऋषि भी क्रोधित हो गए। और उन्होंने भी श्राप देते हुए ये कहा की जो भी शिव का व्रत और पूजन करेगा वो धर्म और वेद शास्त्र के विपरीत चलने वाले पाखंडी कहलायेंगे, और जटा धारण करेंगे।
शिव भक्त शरीर में भस्म लगाएंगे और मांस मदिरा का सेवन करेंगे और इनका निवास स्थान समशान होगा। और ऋषि भृगु के श्राप के कारण शिव के भक्तो का अघोरी रूप सबके सामने आया।
अघोरी कौन होते हैं ?
ऋषि भृगु के श्राप के कारण शिव के परम भक्त अघोरी के रूप में सामने आये।अघोरी खुद को महाकाल शिव का दूत और परम भक्त मानते है। इनको शिव का पांचवा रूप भी कहा जाता हैं,अघोरी खुद को ब्रहम्मा ,विष्णु और महेश का भी अंश मानते है।
हिन्दू धर्म कई प्रकार के साधु और बाबा पाए जाते हैं, जिनमे अघोरी का स्थान सबसे अलग है। इनमे महिला भी होती जो अघोर पंत के नियमो का पालन करती देखी जाती हैं। अघोरी नागा साधु नहीं होते इनकी सिर्फ वेशभूषा अघोरी की तरह होती है। पुरुष अघोरी सामान्यतः काले वस्त्र पहनते हैं और महिला अघोरी भगवा वस्त्र धारण करती हैं।
जंहा सभी बाबा और साधु एक साथ रहते हैं और इनके गुरु इनकी परीक्षा लेकर ही इनको बाबा या साधु का दर्जा देते हैं। इसके विपरीत अघोरी एकांत में रहते हैं, और इनका कोई गुरु नहीं होता। अघोरी अपने आप को इस दुनिया से अलग रखते हैं और आम आदमी का इनको देख पाना कठिन है। अघोरी ऐसी जगहों पर रहते हैं जंहा एक आम नागरिक जाने डरता है।
ये समसान जैसी खतरनाक जगह या जंगलो में बिना डरे रहते हैं।अघोरी के बारे में कहा जाता है,की डर खुद इन से डरता है। कुम्भ के मेले में ये आपको आसानी से मिल जायेंगे, कुम्भ मेला शुरू होने पर सारे अघोरी एक साथ अपना डेरा जमाते हैं। अघोरी अपने बदन पर चिता की राख को लगाते हैं और बालो की जटाओ को रखते हैं।
अघोरी (Aghoris) शिव के रूद्र रूप और पारवती के काली रूप की उपासना करते हैं, जो एक आम उपसा से अलग और अघोरपंत के नियमानुसार होती है।
अघोरी का जीवन कैसा होता है ?
एक अघोरी (Aghoris) इस दुनिया को त्याग कर अकेले शमसान में रहते हैं,और उपासना या साधना के साथ साथ तंत्र मंत्र भी करते हैं। इनकी ये क्रियाएँ रात में ही होती हैं, ये नहीं चाहते की इनकी तपस्या में कोई बाधा डाले इसलिए ये समसान को चुनते हैं और वंही रहते हैं। अघोरी (Aghoris) बताते हैं की इनके दिल में किसी भी चीज को लेकर घृणा नहीं होती।
अपनी घृणा को दूर करने के लिए ये इंसानी मास को खाते है, ये सड़े मास तक को खा लेते हैं। कुछ अघोरी घृणा को दूर करने के लिए अपने मल मूत्र का सेवन भी करते हैं, ऐसा करने की वजह हर वस्तु के लिए अपने मन से घृणा को निकल देना होता है। ये शिव जी की उपासना के साथ साथ तंत्र मंत्र भी करते हैं इस तंत्र मंत्र से वे अपनी उपासना को सरल बनाते हैं।
अघोरी (Aghoris) की साधना
अघोरी (Aghoris) तीन तरह की उपासना करते हैं।
शव साधना
शिव साधना
श्मशान साधना
इनकी उपासना रात में ही होती है इस उपासना में ये जलती चिता से शव को निकाल कर खाया करते हैं। कुछ अघोरी ये भी बताते हैं की वे ताजा लाश के साथ सम्भोग भी करते हैं। इन सभी कार्यों को वे अपनी साधना का हिस्सा बताते हैं, ये सभी कार्य इनको एक आम इंसान से बिलकुल अलग करती हैं।
अघोरी (Aghoris) बताते हैं की वे सिर्फ एक अघोरी (Aghoris) की लाश को छोड़ कर किसी भी मांस को खा लेते हैं। इन्ही वजह से आम लोग अघोरी से डरते हैं और उनसे घृणा करते हैं।
रोचक जानकारी
Amazing knowledge
thnk..