Albert Einstein दुनिया के महान वैज्ञानिक का जीवन
मैं शुक्रगुजार हूँ उन लोगो का जिन लोगो ने मुझे मना किया मेरी सहायता नहीं की और मुझे बुरा कहा ये शब्द है दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein ) हैं।
दुनिया में अगर Genius Scientist की बात हो तो Albert Einstein का नाम पहले पायदान पे ही आता है। ये एक ऐसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे जिनकी कही बाते आज तक सच साबित होती हैं। इन्होने Physics और Math में जो योगदान दिया वो सारी दुनिया जानती है।
(E=mc2) Formula
इस महान वैज्ञानिक ने दुनिया को एक Formula दिया (E=mc2) जिसने दुनिया को बदल कर रख दिया, इस को जान वैज्ञानिक आज भी हैरान है। यही वह Formula है जिसकी वजह से हम Albert Einstein को जानते हैं आज भी वैज्ञानिक इस पर रिसर्च करते हैं। Albert Einstein के फिजिक्स और math में दिए गए योगदान की वजह से 1921 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने 300 से अधिक रिसर्च पेपर वैज्ञानिक शोधपत्रों को प्रकाशित करवाया थाकरवाए थे। सन 1899 में दुनिया की विख्यात मैगजीन TIME ने 20 वीं शताब्दी के 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगो की लिस्ट जारी की जिसमे Albert Einstein को शताब्दी पुरुष (Person of the Century) घोषित किया।
अल्बर्टआइंस्टाईन जर्मनी में पैदा हुए थे लेकिन हिटलर के डर से उन्हें अमेरिका जाना पड़ा। अमेरिका में भी FBI उनके पीछे 20 सालो तक पड़ी रही FBI उन्हें हिटलर का एजेंट मानती थी। इनके मरने के बाद भी इनके मष्तिस्क पर तरह तरह के रिसर्च किये जाते रहे।
Albert Einstein के साथ ये सब कब और कैसे हुआ ?
Albert Einstein के बारे में जानने के लिए हमें लगभग 150 पीछे जाना होगा। उस समय जर्मनी के शहरो में सूरज डूबते ही अँधेरे का राज हो जाता था, इस वक्त बिजली की खोज नहीं हुयी थी। कुछ समय बाद Thomas Edison के DC करेंट ने जर्मनी के शहरो को कुछ रौशनी दी।
जर्मनी का एक छोटा सा शहर था ULM जंहा 14 मार्च 1879 को Albert Einstein का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम हरमन आइंस्टाईन और मां का नाम पोलिना आइंस्टाईन था। अल्बर्ट आइंस्टीन के पिता एक इंजीनिअर थे जो लोगो को बिजली के उपकरण सप्लाई करते थे। जब अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ तब उनका सर सामान्य आकार से बड़ा था ये देख उनके माता पिता घबरा गए थे। लेकिन समय के साथ साथ उनके सर का आकर ठीक होता गया वे एक सामान्य बालक से अलग थे। उनके माता पिता सोचते थे की उनका बच्चा एक मंद बुद्धि बच्चा तो नहीं है,बचपन में वे ठीक से बोल नहीं पाते थे एक बात को बोलने के लिए वे उसको दोहराते रह्ते थे। लगभग पांच वर्ष की उम्र में उन्होंने बोलना शुरू किया और सबसे पहला शब्द “Soup is too hot “ जो उन्होंने बोला था। 9 साल के बाद ही आइंस्टाइन ठीक से बोलना शुरू कर पाए थे। उनकी एक छोटी बहन भी थी जिसका नाम था MAJA 1880 उनके माता पिता Munich गए जंहा उनके पिता और चाचा ने एक कम्पनी बनाई जिसमे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनते थे।
आइंस्टाइन शांत स्वभाव के थे बचपन में जब वो सैनिको को देखते थे तो पिता से कहते थे की वो सैनिक नहीं बनेगा। पिता के कारण पूछने पर उन्होंने कहा सैनिको को आजादी से जीने नहीं दिया जाता वे एक मशीन की तरह काम करते हैं और युद्ध होने पर मर जाते हैं। उनको प्रकृति से प्यार था और आसमान को देख उनके दिमाग में बहुत से सवाल आते थे।
उनके पिता ने उनके जन्म दिन पर उनको एक कम्पास दिया जिससे उनको बहुत खुसी हुयी। पर साथ ही उनके दिमाग में ये सवाल आने लगा की कम्पास की सुई हमेशा उत्तर और दक्षिण में ही क्यों रहती हैं ?
पांच साल की उम्र में उनका दाखिला Munich के एक कैथलिक स्कूल में करवा दिया गया। पढाई के साथ उनकी मां को संगीत से बहुत प्रेम था वे चाहती की उनका बेटा वायलिन बजाना सीखे। इसलिए उन्होंने वायलिन बजाना सीखा और अपने वायलिन का नाम रखा लीना उन्होंने कई गाने लिखे और उनको गया भी।
8 साल की उम्र में उन्हें Munich के (Luitpold Gymnasium) स्कूल में भेजा गया। आज इस स्कूल का नाम Albert Einstein Gymnasium रख दिया गया है। स्कूल जाना Einstein को अच्छा नहीं लगता था वो उनको कैद खाना समझते थे। जंहा जबरदस्ती किताबो को रटना सिखाते थे। आइंस्टीन बिना देखे और बिना प्रयोग के किसी भी बात को सच नहीं मानना चाहते थे। उनके सवालों के जवाब टीचर्स नहीं दे पाते थे और इसके बदले उनको शांत करा दिया जाता था। उनको एक बेफकूफ बच्चा माना जाता था पर उनके नंबर हमेशा अच्छे ही आते थे।
आइंस्टीन का परिवार यहूदी था और जर्मनी में ईसाई अधिकता में थे। स्कूल में ईसाई बच्चे अधिक थे और उनका मजाक बनाया करते थे इसलिए भी आइंस्टीन स्कूल जाना नहीं चाहते थे। उसी समय उनका एक दोस्त बना जिसका नाम था Max Talmey जो उनको पढ़ता भी था। Max Talmey ने बताया की 12 साल की उम्र में वो गणित और भौतकी को बहुत जल्दी समझ लेते थे। Max ने बताया की कुछ ही समय में वो मुझ से भी आगे निकल गए।
उस दौर में ब्रह्माण्ड के बारे में जादा जानकारी नहीं थी और आइंस्टीन के दिमाग में ब्रह्माण्ड को लेकर कई सवाल उठते थे। उनके इन सवालों का जवाब सिर्फ गणित और भौतकी ही दे सकते थे। वे जान गए थे की ब्रह्माण्ड को गणित और भौतकी के बिना समझ पाना असंभव है। उसी समय 12 की उम्र में आइंस्टाइन ने Calculusऔर Integral calculus में महारत हसिल की। साथ ही पाइथागोरस के फॉर्मूले की मूल प्रमाणिकता सिद्ध की Geometry और Algebra को समझने में उन्हें ज्यादा समय नही लगा।
अल्बर्ट आइंस्टीन के चाचा भी उनके साथ रहा करते थे जो एक इंजीनियर थे वो उनकी गणित पढ़ने में मदद करते थे।
साल 1894 13 साल के हो चुके आइंस्टीन के पिता और चाचा की कम्पनी को बहुत नुकसान हुआ, और कम्पनी को बंद करना पड़ा। नए व्यवसाय के लिए उनका परिवार इटली के मिलान शहर चला गया। पर कुछ ही समय बाद वे इटली के पाविआ चले गए। पर आइंस्टीन को Munich में ही रुक कर अपनी पढाई पूरी करनी पड़ी। आइंस्टीन को Munich में अकेले थे और तबियत खराब हो जाने बहाना बना कर वे भी अपने परिवार के पास चले गए। आइंस्टीन को इटली बहुत अच्छा लगा उनको यंहा पढ़ने और सोचने के लिए बहुत कुछ मिला।
आइंस्टीन ने 1894 में अपना पहला रिसर्च पेपर लिखा उस समय वे 15 साल के थे। जब वे 16 साल के हुए तो उनके परिवार ने कहा तुम बड़े हो गए हो और अपने भविष्य के बारे में सोचो। वे इटली के Swiss Federal Polytechnic में इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए परीक्षा के लिए बैठे पर वे फेल हो गए। लेकिन उनके गणित और भौतकी में बहुत अच्छे अंक मिले वंहा के प्रिंसिपल ने उनसे एक साल बाद इस परीक्षा को दुबारा देने को कहा। इसके बाद आइंस्टीन AARAU चले गए और एक अध्यापक के यंहा रह कर पढ़ने लगे। अपने अध्यापक के घर में रहते हुए उन्हें अध्यापक की बेटी Marie Winteler से प्यार हो गया। अल्बर्ट आइंस्टीन के परिवार और Marie Winteler के परिवारों में अच्छी दोस्ती हो गयी और दोनों परिवारों में रिस्तेदारी भी हो गयी। आइंस्टीन की शादी Marie Winteler से नहीं हुयी पर उनकी बहन की सदी Marie Winteler के भाई पौल से हो गयी।
इसके बाद उनका ध्यान Physics को लेकर और बढ़ गया, यहाँ उनको अच्छे टीचर मिले और प्रयोगशाला में उन्होंने बहुत से प्रयोग किये। वे सोचते थे की क्या प्रकाश की किरण को पकड़ा जा सकता है। और इसी विचार के कारण उन्होंने थ्योरी ऑफ रीलेटिविटी के सिद्धांत को जन्म दिया। 1896 में उन्होंने अपने पिता को बता कर जर्मनी की नागरिकता छोड़ दी जिससे उन्हें सेना मे ना भेज दिया जाए।
वे वापस Swiss Federal Polytechnic आये जहाँ वे पहले प्रवेश परीक्षा में फेल हो गये थे। दुबारा exam दिया और पास हो कर वंहा प्रवेश लिया और अपनी पढाई पूरी की।
उस समय बैज्ञानिक मानते थे की बृह्मांड में एक द्रव इथर फैला हुआ है लेकिन वे इसको साबित नही कर पाए। आइंस्टाइन इस बात को नहीं मानते थे साल 1900 में आइंस्टाइन ने Federal Polytechnic teaching डिप्लोमा पास किया। इसी साल उनका एक रिसर्च पेपर (Conclusions drawn from the phenomena of capillarity) publish हुआ। डिप्लोमा करने के बाद वे Teacher बनना चाहते थे और वे अपने तरीके से पढ़ाना चाहते थे जो किसी को मंजूर नही था। और उस समय वे Teacher नहीं बन सके उन्होंने दो साल तक Teacher की नौकरी की तलाश की।
साल 1901 में उन्हे स्विस की नागरिकता मिल गयी इसके बाद उन्हें स्विस मे पेटेंट ऑफिस में नौकरी मिल गयी। इस नौकरी मे उनके पास बहुत समय था जिसका उपयोग उन्होंने Research Paper लिखने और उन्हें Publish करने में किया।
पेटेंट कार्यालय में कार्य करते समय उन्होंने डॉक्ट्रेट की डिग्री की तैयारी की और 30 अप्रैल 1905 में University of Zurich से डॉक्ट्रेट की डिग्री प्राप्त की। Zurich में पढाई करते समय उनकी मुलाकात Mileva Maric से हुयी कहा जाता है की आइंस्टीन की सफलता के पीछे Mileva Maric ही थी। आइंस्टीन को Mileva Maric से प्यार हुआ और उन दोनों ने 1903 में Bern Switzerland में सादी कर ली। बताया जाता है Mileva Maric और Albert Einstein दोनों की शादी से पहले ही एक बेटी थी। किसी बीमारी से उसकी मृत्यु हो गयी इसका जिक्र हर जगह नहीं मिलता। 1904 में उनका एक बेटा हुआ जिसका नाम Hans Albert था।
Albert Einstein सोचते थे की यदि इंसान प्रकाश की किरणों के ऊपर बैठ कर यात्रा करे तो वह कितनी तेज यात्रा कर पायेगा। ऐसी सोंच और कई प्रश्नो के जबाब पाने के लिए उन्होंने गहराई से फिजिक्स पढ़ी उस समय कई वैज्ञानिक प्रकाश की रफ़्तार जानने के लिए प्रयोग कर रहे थे। कोई भी वैज्ञानिक प्रकाश की गति को नापने में सफल नहीं हुए।
Theory of relativity
Albert Einstein ने बताया प्रकाश की गति एक समान रहती है और दुनिया की सभी चीजें उसके सापेक्ष होती हैं। इसका मतलब भी उन्होंने समझाया यदि आप एक प्लेटफॉर्म पर खड़े हो कर जब 100 km/hr की रफ़्तार से चलती ट्रेन को देखेंगे तो वो आपको बहुत तेज चलती दिखाई देगी। अगर आप 130 km/hr की रफ़्तार से चलती ट्रेन में बैठ कर उस 100 km/hr रफ़्तार से चलती ट्रेन को देखेंगे तो वह आपको आपसे धीरे चलती हुयी दिखाई देगी।यही थी आइंस्टीन की (Theory of relativity) सापेक्षता सिद्धांत। इस थ्योरी ने विज्ञान के लिए नयी सोच के बहुत सारे दरवाजे खोल दिए। Sir Isaac Newton एक बहुत बड़े वज्ञानिक थे उन्होंने कहा था की समय हमेशा एक सा रहता है। पर आइंस्टीन ने बताया की समय दूसरी वस्तुओ के सापेक्ष है इस सिद्धांत ने समय,अंतरिक्ष,गति और ग्रेविटी से जुड़े नए विचार दिए। इन सिधान्तो ने वैज्ञानिको की सोच ही बदल दी इसी सिद्धांत के द्वारा आइंस्टीन ने E = mc² फार्मूला दुनिया को दिया। इसी फॉर्मूले ने परमाणु बम बनाने की तकनीक दी इसके साथ आज ना जाने कितने अविष्कारों में इसको इस्तेमाल किया गया। 1908 तक Albert Einsteen एक महान वैज्ञानिक बन चुके थे।
1909 में Albert Einsteen Zurich लौट गए जंहा उनको university of Zurich में प्रोफेसर बनाया गया। 1910 में उनका दूसरा बेटा Eduard Ainsteen हुआ। 1911 में वे Prague चले गए जहां उन्होंने Charles Ferdinand यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर की नौकरी की। 1912 एक बार फिर वे Zurich चले गए। इसके बाद 2014 में Albert Einsteen Barlin चले गए
Albert Einsteen की शादी
बार बार जगह बदलने और कुछ अन्य करने की वजह से उनकी शादी में दरार आने लगी। 1914 में Mileva Maric दोनों बेटो के साथ उनसे अलग हो गई 1919 में दोनों का तलाक हो गया।
Albert Einsteen का नोबेल पुरूस्कार
तलाक के बाद आइंस्टीन ने दूसरी शादी Elsa से की कहा जाता है की Elsa उनकी कजिन थी। 2 अप्रैल 1921 में पहली बार आइंस्टीन ने अमेरिका के New York में कदम रखा। अमेरिका के New York में उन्होंने कई प्रसिद्द यूनिवर्सिटी में पढ़ाया 2022 में उन्हें नोबेल पुरूस्कार मिला। नोबेल पुरूस्कार में मिले पैसो को उन्होंने अपनी पहली पत्नी और दोनों बेटो को दे दिया।
हिटलर आइंस्टीन से करता था नफरत
1933 आने तक जर्मनी पर हिटलर का राज हो गया था वह आइंस्टीन को पसंद नहीं करता था। हिटलर ने आइंस्टीन को पकड़ने के लिए अमेरिका के बर्लिन में कई बार कोशिस की। ना मिलने पर हिटलर के नाजिओ ने आइंस्टीन की फोटो को जगह जगह लगा दिया, और उन को पकड़ने वाले को 5 हजार डॉलर का इनाम रख दिया। नाजिओ ने ये भी लिखा की ये वह आदमी है जिसको अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सका है। आइंस्टीन यहूदी थे और उस समय किसी भी यहूदी को सरकारी नौकरी नहीं दी जाती थी और वे किसी यूनिवर्सिटी में भी नहीं पढ़ा सकते थे। एक यहूदी का प्रसिद्द होना जर्मनी के हिटलर और नजीओ को पसंद नहीं था। यहूदी जर्मनी छोड़ रहे थे उसी समय अमेरिका की तरफ से उन्हें अमेरिका में रहने का प्रस्ताव मिला।
1933 में आइंस्टाइन ने जर्मनी छोड़ दी थी अमेरिका में भी FBI उनके पीछे रही FBI उनको जर्मनी का एजेंट मानती थी। FBI ने आइंस्टीन के ऊपर 170 पेजो की एक रिपोर्ट लोगो के सामने रखी इसके अनुसार आइंस्टीन एक खतरनाक व्यक्ति हो सकते हैं।