शैतान द्वारा लिखी गयी किताब Codex Gigas or Devil’s Bible
Codex Gigas ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं है वास्तविक और सच है, जिसको आज भी आप एक पुस्तकालय में देख सकते हैं । कुछ बातें ऐसी होती हैं जो हमेशा इतिहास में एक आश्चर्य बनी रहती हैं, आज हम ऐसी ही शैतानी और शापित पुस्तक Codex Gigas पर बात करेंगे।
शैतान की किताब Codex Gigas or Devil’s Bible.
किताबे हम सभी ने ही पढ़ी हैं और क्या आप जानते हैं, की दुनिया में ऐसी भी है किताब है Codex Gigas जिसको कोई भी पढ़ना नहीं चाहता। ये एक ऐसी किताब है जिसको पढ़ने वाले अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं, इसके साथ साथ इसको पढ़ने वाले के साथ दुखद घटनाये घटने लगती हैं। जब आप इस किताब के बारे में सुनेगे तो आपको विश्वाश नहीं होगा पर ये किताब एक संग्रहालय में रखी गयी है। जब आप इसके बारे में जानेगे तो आप भी अपना मानसिक संतुलन खो सकते हैं।
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इस किताब को Devil’s Bible,इस शैतान की कताब का एक और नाम Codex Gigas भी हैं और शैतान की किताब भी कहा जाता है। इसके पढ़ने वालो के अनुभव के अनुसार, जब उन्होंने इसको पढ़ा तब इसके शब्द आग की तरह हवा में उड़ते हुए दिखे साथ ही उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। इस किताब को शैतान ने लिखा हैं और इसको शैतान की किताब ही कहा जाता हैं। इस किताब में जितना भी पढ़ा गया हैं उसके अनुसार इस किताब में शैतान को अच्छा बताया गया हैं, और शैतान के मार्ग पर चलने को कहा गया हैं। Codex Gigas किताब या शैतान की किताब चेक रिपब्लिक जिसको अब चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovakia ) कहा जाता हैं इस देश के म्युसियम में रखी गयी हैं।
कैसी और कितनी बड़ी हैं शैतान की किताब ?
इसके बारे में कहा जाता हैं की इसको शैतान ने एक ही रात में लिखा हैं। इस किताब में 310 पेज हैं और इसको सामान्य कागज पर नहीं लिखा गया हैं। इस किताब को चमड़े के बने पेज पर लिखा गया हैं और ये चमड़ा गधे की खाल से बना हैं। इस किताब के पेज को बनाने के लिए 107 गधो का इस्तेमाल कर 310 पेज बनाये गए, इसको लिखने में जानवरो के खून का इस्तेमाल भी किया गया हैं। इसकी लिखावट एक सी हैं मतलब इसको किसी एक ही आदमी या शैतान ने लिखा हैं। ये किताब 36 इंच लम्बी और 20 इंच चौड़ी हैं इसकी मोटाई 8.7 इंच मोटी हैं साथ ही इसका वजन 85 किलो हैं। इस किताब को अकेले एक आदमी नहीं उठा सकता इसको उठाने के लिए कम से कम दो ताकतवर इंसानो की जरूरत पड़ती हैं। इस किताब को एक रात में लिखना किसी इंसान का काम नही हो सकता। वैज्ञानिक अध्ययन में बताया गया हैं अगर आज इस तरह की कोई किताब लिखी जाये तो इसको लिखने में करीब 30 से 35 सालो का समय लगेगा।
ये किताब कब और कैसे लिखी गयी ?
13 वीं शदी में एक सन्यासी (मोंक) थे जो एक मठ में रहा करते थे और पूजा पाठ और अद्यात्म में लीन रहा करते थे। पर कुछ समय बाद वो सन्यासी अपने मठ धर्म और मठ के नयमो का उल्लंघन करने लगे। उस सन्यासी की ये बाते चारो तरफ फैलने लगी की एक सन्यासी कुछ गलत काम करने लगा हैं। सन्यासी की मठ धर्म का उलघन करने की बात जब उस समय वंहा के राजा को पता चली तो उसको राजा के सामने ले जाया गया। इस सन्यासी की वजह से मठ के धर्म और नियमो का उल्ल्घन हुआ जो उस समय ये एक जुर्म था। राजा ने सारी बाते और जुर्म को सुना तो ये निष्कर्ष निकला गया की इस सन्यासी ने सन्यास के नियमो और मठ के धर्मो का उलंग्घन किया हैं, जिसकी वजह से सन्यासी धर्म और मठ की बेज्जती हुयी हैं।
राजा ने इन सभी आरोपों को देखते हुए सन्यासी को दीवार में जिन्दा चुनवाने या लकड़ी के ताबूत में जिन्दा बंद करने की सजा सुनाई। इस सजा को सुनने के बाद वो सन्यासी घबरा गया और राजा से माफ़ी मांगने लगा राजा ने उसको माफ़ नहीं किया। तब सन्यासी ने राजा के सामने एक प्रस्ताव रखा की वो एक ऐसी प्रख्यात किताब लिखेगा जिससे सन्यासी और मठ की जो निंदा हुयी है लोग उसको भुला देंगे। राजा सन्यासी की बात सुन कर तैयार हो गया पर उसने सन्यासी के सामने एक सर्त रख, की उसको ये किताब एक रात में ही लिखनी होगी। क्न्योकि राजा जानते थे की सन्यासी (मोंक) इस किताब को एक रात में नहीं लिख पायेगा। राजा के कहने पर सन्यासी (मोंक) तैयार हो, गया सन्यासी उसी मठ में गया और रात में किताब लिखने लगा। पर आधी रात तक वो आधी किताब भी नहीं लिख पाया और सोच में पड़ गया, उसको लगा उसका मरना तय है।
वह शैतान की उपासना करता था इसलिए उसने सोचा अगर वह अपनी आत्मा शैतान को सौंप दे तो वह शैतान के रूप में जीवित रह सकता है। तब उपासना के जरिये उसने शैतान को इस किताब लिखने के लिए प्रकट किया। शैतान जब प्रकट हुआ तब सन्याशी ने उससे कहा की अगर तुम ये किताब एक रात में लिख कर मुझे दोगे तो मै अपनी आत्मा तुमको सौंप दूंगा। शैतान इस प्रस्ताव को मान गया और शैतान ने अपनी शैतानी शक्तिओ के जरिये इस किताब को एक ही रात में लिख डाला।
किताब लिख जाने के बाद क्या हुआ ?
शैतान ने जब इस शैतानी किताब को एक ही रात में लिख दिया, तब शर्त अनुसार सन्याशी ने अपनी आत्मा उस शैतान को सौंप दी। आत्मा शैतान को सौंपने के बाद सन्यासी का मृत शरीर उसी मठ में रह गया। सुबह जब राजा के सैनिक सन्यासी से उस किताब को लेने मठ पहुंचे तब सन्यासी उन्हें मृत अवस्था में मिला। और उस मृत शरीर के पास वही शैतानी किताब मिली। जब सैनिको ने इस किताब को देखा तो वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे, राजा ने अन्य सैनिको को उस सन्यासी के पास भेजा सभी सैनिको का हाल वही हुआ सभी पागलो की तरह व्यव्हार करने लगे थे। जब राजा को इस किताब के बारे में पता चला तो कुछ विद्वान लोगो से विचार विमर्श करने के बाद इस किताब को उसी मठ में बंद करवा दिया गया।
सालो तक यह किताब इसी मठ में बंद पड़ी रही उसके बाद कई शासक आये और कई विद्वानों ने इस शैतान की किताब को पढ़ने की कोशिश की। जिसने भी इस किताब को पढ़ने की कोशिश की उसके साथ कुछ न कुछ अपशगुन होने लगे। समय बीतता गया और इस किताब को कोई पढ़ नहीं सका। आगे चल कर कुछ और लोगो ने भी कोशिश की और जिनके हाथो में ये किताब गयी या तो उनकी मृत्यु हो गयी या कोई अपसगुन उनके साथ हुआ।
आज ये किताब किस जगह राखी गयी है ?
फिलहाल इस किताब को वर्तमान में स्वीडन की एक लाइब्रेरी के सुरछित रखा गया है, और लोग इसको देखने आते हैं इसको छूना मना है। इस किताब को लेकर आज भी शोध जारी हैं पर आज की आधुनिक विज्ञान भी इस किताब को देख अचम्भित रह जाती है। किसने इसको लिखा और किस लिए लिखा एक आम आम आदमी इसको पढ़ कर कैसे अपना मानसिक संतुलन खो देता है।
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