उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वे
मदरसे क्या हैं ?
मदरसा एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ स्कूल,विद्यालय है जहां शिक्षा दी जाती है। मदरसे को मदरसा, मेडरेसा, मदरज़ा, मेडरेस नामो से भी जाना जाता है। मदरसे मुस्लिम धर्म से संबंध रखने वाले विद्यालय या स्कूल होते हैं। जहां सिर्फ मुस्लिम धर्म के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। भारत के मदरसों में कुछ हिन्दू विद्यार्थी भी पढ़ते है पर इनकी संख्या ना मात्रा है। मदरसों को एक धार्मिक शिक्षा देनी वाली जगह की तरह जाना जाता है। मदरसों में मुस्लिम धर्म के बारे में शिक्षा दी जाती है मदरसों में हर उम्र के विद्यार्थी एक साथ पढ़ते हैं। सामन्यतः मदरसो में गरीब बच्चे पढ़ते हैं और कुछ मदरसो में बच्चे मदरसों में रह कर ही पढाई करते हैं।
मदरसों का इतिहास
मदरसों के बारे एक निश्चित इतिहास नहीं मिलता मदरसों से पहले मस्जिद ही शिक्षा देने का कार्य करती थी। मदरसों को इस्लामिक धर्म के प्रचार प्रसार के लिए बनाया गया था। पहला मदरसा ज़ैद बिन अरकम ने सफा नामक पहाड़ी के पास बनवाया था। इस मदरसे में कुरान, हदीस, फ़राइज़ इस्लामिक धर्म की शिक्षा दी जाती थी। कुछ विद्वानों द्वारा मोरक्को में पहला मदरसा स्थापित किया गया था जिसे दुनिया का सबसे पुराना इस्लामिक मदरसा कहा जाता है। जिसका निर्माण एक व्यपारी की बेटी फ़ैमाह अल-फ़िहरी करवाया था ।
मदरसों में दी जानेवाली शिक्षा
जैसा आपको बताया गया मदरसों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। इनमे उर्दू ,फ़ारसी भाषाओ के साथ साथ इस्लामिक धर्म की पुस्तकों को पढ़ाया जाता है। इसका उदेस्य विद्यार्थीओ को इस्लाम की शिक्षा देना है। मदरसों में सामान्यतः दो तरह की शिक्षा दी जाती है जिसमे पहला हिफ़्ज़ और दूसरा अलीम है। जो विद्यार्थी हिफ़्ज़ को पढ़ते हैं उनको हाफिज की उपाधि दी जाती है जबकि अलीम को पढ़ने वालो को इस्लाम धर्म का विद्वान् मना जाता है। मुख्य रूप से मदरसों में शरिआ, तहसिर, मंताक, व् हदीस विषयो को पढ़ाया जाता है। इन विषयो के अनुसार शरिआ विषय में इस्लामिक कानून को पढ़ाया जाता है। तहसिर विषय में कुरआन के बारे में पढ़ाया जाता है मंताक में इस्लाम धर्म के बारे में पढ़ाया जाता है और हदीस में मुहम्मद साहब के दिए गए उपदेश और ज्ञान के बारे में पढ़ाया जाता है। अब कुछ मदरसों में गणित ,विज्ञान के साथ कुछ अन्य विषयो का ज्ञान भी दिया जा रहा है पर ये नाम मात्रा है और बहुत कम मदरसों में हो रहा है। दी गयी जानकारी के अनुसार भारत में चार तरह के इस्लामिक शिक्षण संस्थान
मकतब
दारुल कुरान
मदरसा
जामिआ
इन संस्थानों में इस्लामिक धर्म की शिक्षा के साथ गणित ,विज्ञान ,अद्यात्म ,की शिक्षा दी जाती है।
मदरसों को फण्ड कौन देता है
अभी तक दी गयी जानकारी के अनुसार देश में मदरसो की संख्या 1 लाख से अधिक है। जिसमे हमारे देश की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 19132 और बाकि फर्जी मदरसे चलाये जा रहे हैं। सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसों को राज्य सरकार धन मुहयिया कराती हैं। जबकि फर्जी मदरसों को किसके पैसो से चलाया जा रहा है इसका कोई रिकॉर्ड नहीं दिया जाता। कुछ मदरसों के प्रबंधक बताते हैं की हम जकात, दान और चंदे की मदद से इन मदरसों को चला रहे हैं। वे बताते हैं की हर मुस्लिम अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा मदरसों को जकात,दान के रूप में देता है जिससे इन मदरसों को चलाया जाता है। कुछ सूत्र बताते हैं की इन मदरसो की फंडिग अरब देशो से भी होती है जिसकी जानकारी सरकार को नहीं दी जाती। कुछ मदरसों को आतंकवादी संगठन भी फंडिंग करते पाए गए हैं।
- मदरसों के विकाश के लिए सरकार द्वारा उठाये गए कदम
- सरकार ने मदरसों के विकाश के लिए “नई मंजिल” नाम की योजना चालू की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थीओ के एक हाँथ में कुरान और दूसरे में लैपटॉप होना चाहिए
- मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थीओ की संख्या अच्छी खासी है जिनको धार्मिक शिक्षा के साथ साथ वैज्ञानिक और व्यवाहरिक शिक्षा देने पर इनका विकास तेजी से होगा और ये देश के विकाश में भी हाथ बटा पाएंगे।
- उत्तरप्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने मदरसों को बोर्ड का दर्जा देने की बात की है। मदरसों में माध्यमिक स्तर पर गणित, विज्ञान एवं कंप्यूटर की शिक्षा देना अनिवार्य कर दिया है
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