Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता क्या है?
2019 में कश्मीर में धारा 370 दी गयी और 2024 में राम मंदिर भी बन जाएगा। इतनी तेजी से ये असंभव कार्य किये गए जो दशकों से अटके पड़े थे। अब ऐसा लगता है कि 2024 के चुनाव से पहले देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) भी लागू हो जाएगा।
Uniform Civil Code एक ऐसा कानून जिसका देश को 75 साल से इंतजार था। एक ऐसा कानून समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) जिसके आने के बाद हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, लड़का, लड़की सबको बराबर के अधिकार मिल जायेंगे। खासकर लड़कियों और औरतों के साथ हो रहा भेदभाव हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगा।
कैसे एक ख़ास वर्ग का अपना खुद का शरीयत लॉ (मुस्लिम पर्सनल लॉ) बना
आजादी के बाद जब इंडिया का कॉन्स्टिट्यूशन बना तो हिंदू, सिख, बुद्धिस्ट उज्जैन के लिए तो लॉ आ गया। मगर उस वक्त की सरकार ने मुस्लिमों को इसमें शामिल नहीं किया। मुस्लिमों को शादी, तलाक, उत्तराधिकार के मामले अपने मजहब के हिसाब से तय करने का हक दे दिया गया।
इसको उस समय पर्सनल लॉ का नाम दिया गया जिसको शरीयत कहा जाता है। जिसमे मुस्लिमो के अपने खुद के कानून बने। जिस पर उस वक्त कांग्रेस के बड़े नेता काफी नाराज हुए। उस समय नेहरू जी के विरोध के फैसले को सांप्रदायिक तक कह दिया।
उस समय कहा गया की ऐसा लगता है कि नेहरू सरकार मुस्लिम महिलाओं की स्थिति सुधारना ही नहीं चाहती। नेहरू जी ने उस वक्त कॉमन सिविल कोड लाने की बात की उस समय बीजेपी नाम की कोई पार्टी ही नहीं थी।
शाह बानो का तलाक केश 23 अप्रैल 1985
23 April 1985 में कांग्रेस सरकार में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के विरुद्ध जाकर, शाह बानो के पति को तलाक के बाद उसे गुज़ारा भत्ता देने को कहा था।
मगर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने (Uniform Civil Code) के खिलाफ जाकर सरकार पर इतना दबाव बनाया कि उस समय की सरकार ने नया कानून लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही बदल दिया।
मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार कोई भी मुस्लिम रीतिरिवाज़ से सदी करता है। तो यह जरुरी नहीं की वह आदमी तलाक के बाद बीबी को गुज़ारा भत्ता दे।
ये फैसला पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की सरकार द्वारा लिया गया था। जिसको आज तक मुस्लिम समुदाय की महिलाएं ढ़ोती आ रही हैं। क्न्योकि ये फैसला पर्सनल लॉ के खिलाफ था।
इस मामले पर बहुत राजनीति हुयी मगर इस बीच लगातार अदालतें भी सरकार को कह रही थी। की सरकार को सबके लिए एक कॉमन सिविल कोड (Uniform Civil Code) लाना चाहिए।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का विरोध क्यों हो रहा है?
कुछ लोग उसके आने की बात सुनकर गन्दी राजनीती करने लगे हैं। आइए आज हम इसी पर बात करते हैं। समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) क्या है और इतने वक्त से उसकी डिमांड क्यों की जा रही थी? इसको समझने से पहले हमें कुछ पीछे जाना होगा
सामान्यतः तीन तरह के कानून होते हैं एक होता है क्रिमिनल लॉ, दूसरा कमर्शल लॉ, तीसरा सिविल लॉ।
जब अंग्रेज भारत पर राज़ करते थे तो उनकी दो ही चीजों में दिलचस्पी थी। पहली कि वो भारत को कैसे ज्यादा से ज्यादा लूटे। इसलिए उन्होंने कमर्शल लॉ बनाएँ और उसे सब के लिए एक जैसे रखा। उन्होंने क्रिमिनल लॉ भी सबके लिए एक जैसे रखा। मगर अंग्रेजो ने सिविल लॉ को कोई महत्त्व नहीं दिया।
- क्रिमिनल लॉ – इस लॉ में आपराधिक मामलो को कैसे नियंत्रित किया जाये। साथ ही अपराधी को क्या सजा दी जाये इसका उल्लेख है इससे सम्बंधित कानून बनाये गए। इसमें अंग्रेजो ने अपने फायदे के हिसाब से नियम में फेरबदल किये थे।
- कमर्शल लॉ – व्यापार और खरीद फरोख्त से सम्बंधित कानून इस लॉ के अंतर्गत आते हैं। अब अंग्रेज भारत को लूटने आये तो आप समझ सकते हैं ये कानून किस हिसाब से बने होंगे
- सिविल लॉ – सिविल लॉ और क्रिमनल लॉ दोनों में बहुत कम अंतर होता है। क्रिमिनल लॉ के तहत अपराधी को जेल की सजा और जुरमाना भी लगता है। पर सिविल लॉ में किसी को जेल नहीं होती सिर्फ जुरमाना भरने की सजा हो सकती है।
भारतीय जनता पार्टी (B.J.P) सरकार का उदय
समय गुजरने के साथ देश में भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ है। बीजेपी ने इस मुददे को भी अपना प्रमुख मुद्दा बनाया। इतिहास गवाह है की बीजेपी ने जो मुद्दे उठाये जैसे कश्मीर से धारा 370 हटाने, अयोध्या में राम मंदिर बनाने के मुद्दे उनको पूरा भी किया। अब लगता है कि इतने सालों बाद आखिरकार समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) आ ही जायेगा।
Uniform Civil Code आया तो इससे क्या फर्क पड़ेगा?
जब भी कॉमन सिविल कोड लागू होने की बात होती है तो बहुत सारे लोग इसका विरोध करते है। कहा जाता है की यह मुसलमानों के खिलाफ़ हैं, उनके खिलाफ़ कोई ड़ी साजिश है।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करके उनसे उनकी पहचान छीन ली जाएगी। पर असलियत यह है की अगर कॉमन सिविल कोड लागू होता है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा मुस्लिम महिलाओं और बच्चियों को ही होगा।
हिंदू महिलाओं को तो आज भी बहुत सारे हक मौजूदा कानून से मिले ही हुए हैं। मगर समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) आया तो उससे मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी पूरी तरह बदल जाएगी।
इसके आने के बाद सभी की शादी की एक उम्र तय कर दी जाएगी। लड़के, लड़कियों सभी की फिर किसी भी धर्म का शख्स उस उम्र से पहले बच्चे की शादी नहीं कर पायेगा।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का फायदा
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागु होने पर लड़कों के साथ लड़कियां भी कम से कम ग्रैजुएशन तो कर ही पाएंगी। ट्रिपल तलाक भले ही खत्म कर दिया हो मगर ये भी सच है कि अभी भी ऐसे कई तरीके हैं।
जिससे मुस्लिम महिलाओं को तलाक दे दिया जाता है और वो कुछ नहीं कर पाती। मगर कॉमन सिविल कोड आने के बाद तलाक लेने का तरीका सभी के लिए एक जैसा हो जाएगा और हर किसी को उसे मानना ही होगा।
मुस्लिम महिलाओं को भी तलाक के बाद अपने पति से गुज़ारा भत्ता पाने का हक मिल जाएगा। इस कानून के लागु होने के बाद मुस्लिम महिला भी बच्चा गॉड ले पाएंगी। जबकि मुस्लिम पर्सनल लॉ में मुस्लिम महिलाओं को बच्चा अडॉप्ट करने का हक नहीं है।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागु होने पर मुस्लिम मर्द भी एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे। यहाँ तक की बेटे की तरह बेटियों को भी माँ बाप की संपत्ति में प्रॉपर्टी में बराबर का हक मिलने लगेगा।
अब समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) से एक वर्ग की इतनी महिलाओं को उनका हक मिले और उन्हें बराबर का दर्जा मिले तो इसका बहिष्कार नहीं है।
मेरा मानना तो यह है की हमें इसका पूरी तरह समर्थन करना चाहिए। इसक कानून को तो बहुत पहले है बन जाना चाहिए था। लेकिन भद्दी राजनीती की वजह से इसे किसी खास कौम के खिलाफ़ साजिश बताकर अपनी राजनीती चमकाई जा रही।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का विरोध करने वाले लोगो में या तो दिमाग नहीं या इनको पैसा देकर खरीद लिया जाता है जो इसका बिना तर्क के विरोध करते हैं।
समान नागरिक संहिता (UCC) विरोध करने की कोई जायज वजह नहीं
मगर जो भी लोग समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का विरोध करते हैं उनके पास विरोध करने की कोई जायज वजह नहीं है। उनका बस इतना कहना है कि जो भी चीज़ शरीयत के हिसाब से उसमें बदलाव नहीं होना चाहिए।
वो इस पर बात करने को तैयार ही नहीं होते कि क्या आधुनिक समाज में वक्त के साथ बदलाव होना चाहिए या नहीं? वो इस पर भी कुछ नहीं कह पाते कि जब इतने सारे मुस्लिम देश आधुनिक समाज के तौर तरीकों पर बराबरी के आधार पर कानून बना सकते हैं तो हम क्यों नहीं?
शरियत के अनुसार चोरी करने पर हाथ काट दिए जाते हैं, शराब पीने पर कोड़े मारे जाते हैं, बाकी अपराधों पर पत्थर तक मारे जाते हैं।
अगर सच में आपको इस कानून की इतनी परवाह है तो मर्दो पर शरीयत क्यों लागू नहीं होता मगर उस पर कोई कुछ नहीं बोलता। लेकिन जहाँ औरतों के हक की बात आती है, उनकी बराबरी की बात आती है। वहाँ एक वर्ग किसी भी तरह के बदलाव के एकदम खिलाफ़ हो जाता है।
इससे ऐसा लगता है कि आपको अपने लिए तो बराबरी और सुविधा चाहिए, मगर महिलाओं के लिए नहीं।
ये बीजेपी का चुनावी मुद्दा नहीं है।
बीजेपी (B.J.P ) को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) से जोड़ना गलत है। तकरीबन एक दर्जन मौकों पर हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक अलग अलग सरकारों से कह चूके हैं कि वो जल्द से जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) लाए।
2017 में सायरा बानो के केस में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है की जल्द से जल्द समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू की जाए।
इसी तरह 2021 के एक मामले में तो हिंदू कपल के तलाक पर दिल्ली हाइकोर्ट ने Uniform Civil Code लाने की बात की थी। इस मामले में मीना जाति का एक लड़का हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत अपनी पत्नी से तलाक चाहता था।
मगर उसकी पत्नी का कहना था कि मीना जाति पर हिंदू मैरिज एक्ट लागू नहीं होता इसलिए वो तलाक नहीं देगी। इस मामले में अदालत ने भी माना कि पति पत्नी दोनों अपनी जगह ठीक है।
मगर साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि आज का हिंदुस्तान धर्म और जाति के बंधन से ऊपर उठ चुका है। आज के युवाओं को शादी और तलाक में किसी तरह की दिक्कत ना आए इसलिए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लाया जाए।
मगर कुछ लोग अदालत की ऐसी महत्वपूर्ण टिप्पणियों को भी नहीं मानते, ना उनके लिए अदालत की ऐसी बात मायने रखती है।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को सांप्रदायिक विरोध बताने वाले
पुराने कानूनों की वजह से बच्चे और महिलाओं को हो रही दिक्कतें महत्वपूर्ण है। पर ऐसे किसी भी समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) कानून का ये कहकर विरोध करने लगते हैं की भैया बीजेपी का इसके पीछे सांप्रदायिक एजेंडा है।
हैरानी ये है की जो लोग समान कानून को सांप्रदायिक बताते हैं। ये वही लोग हैं जो हर बात पर सरकार को संविधान का सम्मान करने की सीख देते हैं।
ये वही लोग हैं जो हर वक्त इस बात की दुहाई देते हैं कि भारत एक सेक्युलर देश है। यहाँ हर कोई बराबर है कोई ऊँच नीच नहीं होनी चाहिए।
सरकार जब सच में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के जरिए ऐसा कानून लाने की कोशिश कर रही है। जो हर तरह का भेदभाव खत्म कर देगा तो यही लोग सबसे ज्यादा चिल्ला रहे हैं। ये चाहते हैं की कुछ लोगों को खुश करने के लिए देश आज भी 150 साल पुराने वक्त में जीता रहे।
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