CAA (Citizen Amendment Act)
मोदी सरकार ने पहले 370 हटया उसके बाद ट्रिपल तलाक फिर राम मंदिर बनवाने के लिए कोर्ट की मदद से रास्ता साफ किया। और अब देश में CAA (Citizen Amendment Act) लागू करना यह मोदी सरकार का चौथा बड़ा कदम है यही वजह है की नरेंद्र मोदी सरकार और CAA (Citizen Amendment Act) को लेकर चर्चाएं लगातार हो रही हैं।
CAA के नियम अनुसार भारत की नागरिकता अब Online Portal पर ही की जा सकती। जिसका Link भारत की नागरिकता Online Portal
क्या है CAA (Citizen Amendment Act)?
एक आम आदमी के दिमाग में इसको लेकर उलझन बनी हुई है यह CCA क्या है? इससे किसको लाभ होगा या किसको हानि होगी? ऐसे बहुत सारे सवाल हैं तो आपकी उत्सुकता और जानकारी बढ़ने के मकशद से आज हम आपको बताएँगे की आखिर यह CAA (Citizen Amendment Act) क्या ?
इससे क्या होने वाला है क्या इससे देश के मुसलमानों को डरने की जरूरत है? इस देश में किन नागरिकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी क्यों CAA को लेकर एक गलत जानकारी फैली हुई है क्या इससे किसी की नागरिकता छीनी जाएगी ऐसे भी सवाल उठाये जा रहे हैं।
CAA को साधारण तरह समझें तो CAA यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट वो एक्ट है,जो भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान,बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यक लोग जिसमें कि हिंदू सिख जैन पारसी और ईसाई समुदाय के लोग हैं। यदि वे धार्मिक रूप से प्रताडिक किये जाने पर अपनी सुरक्षा के लिए 31 दिशंबर 2014 से पहले से भारत में शरणार्थी बन कर रह रहे।
CCA अमेंडमेंट एक्ट उनको इंडिया में रहने की नागरिकता देता है। मतलब हिंदू सिख जैन पारसी और ईसाई समुदाय के धार्मिक रूप से प्रताड़ित लोग जो 31 दिसंबर 2014 के पहले इंडिया में आए थे अब CAA (Citizen Amendment Act) उनको भारत की नागरिकता देने के साथ भारतीय नागरिक की तरह सारे अधिकार दिए जायेंगे।
CCA अमेंडमेंट एक्ट के नियम मात्र पाकिस्तान, बांग्लादेश,अफगानिस्तान से आये खास धर्म विशेष के लोगो पर लागू हो सकेगा।
CAA (Citizen Amendment Act) का विरोध
हमारे देश में कुछ मुट्ठी भर लोग CAA का विरोध करते नजर आ रहे हैं और लोगो में अफवाह फैला रहे हैं की ये CAA बिल मुसलमानो की नागरिकता को छीन लेगा।
साथ में कहा जा रहा है की CAA में मुसलमानों को शामिल क्यों नहीं किया गया है।जिसके जरिये मुसलमानो को भड़काने की कोशिस की जा रही है। भारत के किसी भी मुसलमान की नागरिकता पर CCA का कोई असर नहीं पड़ेगा।
CAA में मुसलमानो को शामिल ना करने का कारण
बीते 4 सालों से यह मामला अटका क्यों पड़ा था यह भी आपको समझ आएगा कुछ सरारती तत्थ्य इसको मुसलमान विरोधी बता रहे हैं।
जबकि ये बिलकुल गलत है देश के किसी भी मुसलमान की नागरिकता का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और न ही उनकी नागरिकता छीनी जा रही है।
जब देश आजाद हुआ था तब पकिस्तान और बंगला देश का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ था जिसमे मुसलमानो ने अपने अलग देश की मांग की तब पाकिस्तान और बांग्लादेश को स्वतन्त्र मुस्लिम देश बनाया गया था।
प्राचीन अखंड भारत की सीमाएं भी अफगानिस्तान तक खुली हुयी थी। देश के बटवारे के समय मुसलमानो को अपना खुद का देश दिया गया पर हिंदू सिख जैन पारसी और ईसाई समुदाय के लोग भारत नहीं आये वे इन्ही मुस्लिम देशो में रुक गए।
अल्प संख्यक लोगो पर प्रताड़ना
कुछ समय बाद पकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में इन समुदाय के लोगो के साथ मुसलमानो ने अत्याचार करना शुरू कर दिया।
उनकी बहन बेटिओ को उठा लिया लिया गया इन सब से बचने के लिए इन धर्मो के लोगो ने भारत में शरण ली और उनको लंम्बे समय तक भारत में शरणार्थी बनकर रहने के बाद भी भारत की नागरिकता नहीं मिल सकी।
अब CCA के अनुसार 31 दिसंबर 2014 से पहले इंडिया में आए हुए हिंदू सिख जैन पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत नागरिकता दी जायगी।
पाकिस्तान,अफगानिस्तान,बांग्लादेश से आये शरणार्थी
पाकिस्तान,अफगानिस्तान,बांग्लादेश ये हमारे देश भारत में हुआ करते थे इनकी सीमाएं भी खुली हुई थी और हम सब एक ही हुआ करते थे ऐसे में वो तमाम नागरिक जो यहां पर रहते हैं।
इन तीन देशों में अगर वह अपने देश में खुश नहीं थे और प्रताड़ित थे या किसी और वजह से इंडिया की तरफ शिफ्ट कर गए थे चाहे वे लीगल शरणार्थी बनके या फिर छिप कर अपनी सुरक्षा के लिए देश में रहने लगे थे।
उन हिंदू, सिख जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग यहां पर इस CCA एक्ट की मदद से अब सम्मान जनक रूप से नागरिकता पा सकेंगे यानी कि इज्जत के साथ उनको अब भारत की नागरिकता दी जाएगी।
नागरिकता के बाद अधिकार
उनको इंडिया में फिर से जीवन जीने का मौका मिलेगा इंडिया की तमाम कानूनी बाधाओं को हटाकर दशकों से जो शरणार्थी थे उनको सम्मान जनक भारत की नागरिकता दी जाएगी।
क्योंकि आप शरणार्थी होते हैं तो आपके पास बहुत सारे राइट्स नहीं होते हैं। अब जब आप इंडिया के नागरिक बन जाएंगे तो इन तमाम देशों से उनके नागरिक अधिकार की सुरक्षा होगी उनके सांस्कृतिक उनकी भाषिक उनकी सामाजिक पहचान की सुरक्षा होगी। और यह उनके लिए और उससे ज्यादा उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए फायदेमंद होगा जिसमें वो बिजनेस कर सकते हैं घूम सकते हैं प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं।
मुसलमानों का डर
भारत में जो मुस्लिम्स रहते हैं उनका इससे कोई लेना देना नहीं है। अब सबसे पहला सवाल है कि क्या इससे देश के मुसलमानों को डरना चाहिए। इसका जवाब है नहीं इसलिए क्योंकि सीएए से जो जानकारी आई है उसके मुताबिक सीएए से किसी की नागरिकता जाने वाली नहीं है।
ये नागरिकता रहेगी छीनी नहीं जाएगी। दूसरा और महत्त्वपूर्ण सवाल यह है कि इसमें मुस्लिम धर्म को क्यों नहीं जोड़ा गया मुसलमानों को मौका क्यों नहीं दिया गया है।
तो इसका जवाब जो सरकार की तरफ से दिया गया है उसके हिसाब से कहा गया है कि बांग्लादेश अफगानिस्तान और पाकिस्तान ये तीनों मुस्लिम कंट्रीज हैं।। राइट्स हम उनको दे रहे हैं जो इन तीनों देश में प्रताड़ित लोग हैं
हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई जिनका मुस्लिम धर्म नहीं है तीनों पड़ोसी देश जो वो मुस्लिम कंट्रीज हैं। ऐसे में मुस्लिम कंट्रीज में मुस्लिमों के साथ उनके राइट्स छीने जाएं यह पॉसिबल नहीं है हां अगर उनमें से भी कोई इंडिया आना चाहता है।
तो जैसे अदनान सामी एक दूसरे प्रोसेस के जरिए आए थे वैसे इंडिया में आकर वो लोग भी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। CCA किसी के इंडियन राइट्स को छीनने वाला नहीं है मतलब भारत में जो मुस्लिम्स रहते हैं उनका इससे कोई लेना देना नहीं है
CCA की तयारी
इससे पहले भी CCA लागू करने की बात कही गई थी लेकिन बीच में कोविड आ गया और CAA ठन्डे बस्ते मे चला गया
CCA का विरोध क्यों
इसको लेके इतना प्रोटेस्ट क्यों है CCA का प्रोटेस्ट कई हिस्सों में हो रहा है। 2019 में जब CCA लागू हुआ था तब दिल्ली में जामिया इस्लामिया इसके अलावा शाहीन बाग लखनऊ से लेकर असम तक काफी प्रोटेस्ट हुआ था।
अब प्रोटेस्ट में भी दो कहानी है एक कहानी है यह है कि हमारी कांस्टिट्यूशन राइट चले जाएंगे। नागरिकता छीनी जाएगी पर नागरिकता वाली कहानी जो है वह NRC में है CCA में नहीं है।
नॉर्थ ईस्ट के लोगो का CAA से भय
नॉर्थ ईस्ट स्टेट के लोगों का डर ये है कि अगर एक्स्ट्रा लोग हमारे स्टेट में आते हैं तो रोजगार में कमी आएगी और हमारी संस्कृति को धक्का लगेगा या संस्कृति मिक्स हो जाएगी।
इसी वजह से असम में खास तौर पर इसको लेकर काफी प्रोटेस्ट हुआ था दूसरा उन्हें अपनी नागरिकता जाने का डर था जिसमें NRC का मामला है लेकिन इस बार जो लागू हुआ है वो NRC नहीं है वो CAA है सीए और NRC में बहुत अंतर है।
CAA और NRC में अन्तर
NRC की बात करें तो भारत में बहुत बड़ी संख्या में बांग्लादेश से अवैध रूप से लोग आए थे और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया उन्हीं की पहचान करके उन्हें बाहर भेजना चाहती है। अब भारत सरकार का अगला स्टेप क्या हो सकता है यह समय ही बताएगा।
मुस्लिम समुदाय का ऐसा मानना है कि CAA जब लागू हो जाएगा। उसके बाद गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का नेक्स्ट स्टेप NRC लागू करना होगा। NRC जब लाया जाएगा तब उसमें यह पहचान की जाएगी कि इंडिया में कौन-कौन अवैध रूप से रह रहा है तो जो अवैध रूप से लोग रह रहे होंगे उनको डर होगा
10th ऑफ दिसंबर 2019 को लोकसभा में और अगले दिन राज्यसभा में इसे पास किया गया था। राष्ट्रपति से मंजूरी मिली थी।
फिर बीच में काफी प्रोटेस्ट हुआ और अब 11th ऑफ मार्च 2024 को केंद्र सरकार ने CAA (Citizen Amendment Act) की अधिसूचना जारी करते हुए CAA लागू कर दिया है
नागरिकता के लिए कौन आवेदन कर सकता है
भारत में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से 30th ऑफ दिसंबर 2014 से पहले आने वाले हिंदू सिख बौद्ध जैन ईसाई धर्म के शरणार्थी लोग भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदव कर सकते हैं।
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