INDIA MEI HUINDU MUSLIM DANGGE KNYO BADHE KYAA HAI ISKA KARAN

इंडिया में हिन्दू मुस्लिम सांप्रदायिक (Communal Riots) दंगे में किसका नुक्सान और किसका फायदा कौन है इसके पीछे ?

HUINDU MUSLIM
Communal Riots

मैं इस लेख में किसी भी धर्म विशेष का पक्ष नहीं ले रहा सभी धर्म समान है। पर सच जानना जरूरी है हमारे देश में हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक दंगो (Communal Riots) का एक सिलसिला चलता रहता है। जो ख़त्म होने का नाम नहीं लेता देश के बटवारे से शुरू हुयी ये लड़ाई अपना रूप तो बदलती है पर ख़त्म नहीं होती। हुंदु मुस्लिम दंगो को भड़का कर राजनितिक पार्टियां अपनी रोटियां सेकती तो दिखती है पर इसकी रोक थाम के लिए कोई कदम नहीं उठती। हमारे देश का ये एक प्रमुख मुद्दा बना रहता है चाहे वो राजनीती हो या इलेक्शन। हिंदू, मुस्लिम धर्मो की लड़ाई को मुद्दा बनाकर कर नेता  वोट मांगते दिखाई `देते है। आप ने कभी ये सोचा है की हिंदू मुस्लिम दंगो में नुक्सान किसका होता है। अगर आप गौर करे तो आप पाएंगे की पत्थर मारने वाले और खुले में तलवार चलाने वाले लोग निम्न वर्गीय परिवार के ही होते हैं।ये बेरोजगार युवा  होते हैं या छोटा मोटा काम या  मजदूरी करने वाले जिनको कुछ लालच देकर आपस में भिड़ा दिया जाता है। क्या आपने कभी एक बड़े हिन्दू या मुस्लिम व्यवसायी के हाथो में डण्डे या तलवार देखी है। किस बड़े हिन्दू या मुस्लिम नेता को सड़क पर लड़ते देखा है। नहीं देखा होगा ये परदे के पीछे ही रह कर इन दंगो को भड़काने का काम करते हैं। हिन्दू,मुस्लिम दंगो में आपने कभी बड़े नेता या उसके बच्चे को मरते देखा है ? इनके घर आग के हवाले होते देखे हैं ? नहीं इन दंगो में मरने वाले साधारण व्यक्ति ही होते और आग के हवाले किये जाने वाले घर भी साधारण इंसानो के ही होते हैं। इन साधारण लोगो के दिमागों में जहर भर कर आपस में लड़वा दिया जाता। जिससे नेताओ को राजनीतिक मुद्दे मिल सके और उनकी राजनितिक रोटियां सिकती रहे।  

सांप्रदायिक दंगो (Communal Riots) में पिसता आम आदमी 

हमारे देश में जब भी कोई सांप्रदायिक दंगा (Communal Riots) होता है तो अधिकांश उसके पीछे हिन्दू और मुस्लिम धर्म के लोगो को कारण माना जाता है। ये कितना सही है इसका अंदाजा आप हाल में हुए दंगो से लगा सकते है। हाल में रामनवमी और हनुमान जयंती और ईद के बीच हुए दंगो में भी ये दो धर्म आपस में भिड़े। ये दंगे देश में किसी एक शहर में नहीं हुए बल्कि पूरे देश में जगह जगह हुए। उत्तर में  दिल्ली की जंहागीर पूरी से लेकर दछिण के बंगलौर तक ये दंगे होते दिखाई दिए। छोटे छोटे कारणो की वजह से बड़े बड़े दंगे होने लगते हैं। इन दंगो के पीछे कौन है ये पता सभी को होता है। अचानक लोगो के हाथो में तलवारें और बन्दूक आ जाती हैं। आम आदमी के साथ साथ हमारे पुलिस के जवान भी घायल होते हैं ये दंगे पहले से ही सुनिश्चित होते हैं।और इन दंगो में नुकसान छोटे आदमी का होता है जो एक आम नौकरी करके अपना परिवार पालता है। जिनको इन दंगो से कोई लेना देना नहीं होता उनके घर जला दिए जाते हैं इनके घरो को लूट लिया जाता है। इन दंगो में मारे भी आम इंसान ही जाते हैं। क्यों किसी नेता या इन दंगो के ठेकेदार को गोली नहीं लगती ना ही इनके घर जलते हैं। कोई भी आम इंसान नहीं चाहेगा की दंगे हो और किसी को नुक्सान पहुंचे। इसके बाद भी इनके साथ गलत होता है इनको मारा जाता है घरो को जलाया जाता है। दंगो के बाद पुलिस सीधे साधे लोगो को पकड़ कर जेल में डाल देती है। पुलिस को भी एसा इसलिए करना होता है की उनके ऊपर उन्ही सांप्रदायिक दंगो (Communal Riots) को भड़काने वालो का दवाब होता है।   

किसका भला छुपा है इसके पीछे 

हमारे देश की राजनीती भी दो मुँह वाले सांप की तरह है जिसका एक मुँह हिन्दुओ की तरफ और दूसरा मुस्लिम समाज की तरफ रहता है। इन दंगो (Communal Riots) का सहारा ले कर लोग अपनी राजनीती चमकाते है। और इन लोगो द्वारा ही ये दंगे करवाए जाते हैं इनको इस से कोई मतलब नहीं की कौन मर रहा और कौन इसमें अपना सब कुछ लुटा देता है। अगर हमारे देश में ये दंगे ना हों तो घटिया राजनीती संकट में पड़ जाती है। ये लोग आम हिन्दू और मुसलमान के दिमागों में जहर भरने का काम करते हैं। इन लोगो को तरह तरह के लालच दिए जाते हैं और एक सीधा सादा आदमी इनकी बातो में आ कर फस जाता है। आम आदमी हमेसा राजनीती और दंगा भड़काने वालो का मोहरा बने हैं। ये वो लोग हैं जो अनपढ़ हैं या पढ़ लिख कर भी बेरोजगार हैं। इनके मां बाप ने अपनी कमाई इनकी तरक्की के लिए लगा दी। इन युवाओ को पैसो का लालच दिया जाता है और मज़बूरी में इनको बात माननी पड़ती है। और एक इसारे पर ये इन लोगो के लिए कुछ भी करने को तयार हो जाते हैं। 

सांप्रदायिक दंगा (Communal Riots) करने वालो का धर्म 

दंगा करने वाले किसी धर्म के नहीं होते वे सिर्फ इंसानियत के दुश्मन होते हैं। उन्हें किसी की मौत और बर्बादी से कोई लेना देना नहीं होता। इन दंगो को रोकने वाला अगर कोई है तो वो हैं वे लोग जो इनके लालच में आकर तलवारे ,पत्थर और बन्दूक उठा लेते हैं। और एसा तब तक होता रहेगा जब तक इनके लिए सरकार रोजी रोटी और नौकरी का इंतजाम नहीं करती। 

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