Bihar Election 2020 NDA, RJD, Congress, LJP, BSP

 Bihar Election 2020 बिहार चुनाव में जनता का ब्रेन वाश 

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बिहार में विधानसभा चुनाव तीन चरणों में 28 अक्टूबर (71 सीटों), 3 नवंबर (94 सीटों) और 7 नवंबर (78 सीटों) होगा। मतगणना 10 नवंबर को होगी। बिहार चुनाव आते ही हमारी राजनितिक पार्टियों के साथ साथ नेताओ ने अपने रंग बदल लिए। अब सारे नेता दयालु और जनता की हर बात सुनने को तैयार है। बस एक शर्त है उनकी पार्टी को वोट दो ताकि उनकी पार्टी का नेता बिहार की मुख्य मंत्री की कुर्सी पर बैठे। और जनता भी नेताओ से फुल मजे ले रही है। गली गली में नेता घूम घूम कर वोट मांग रहे हैं। बिहार उन राज्यों में से एक है जो केंद्र की सरकार पर बहुत बड़ा असर डालते हैं। इसलिए अभी बिहार चुनाव सुर्खियों में है पिछले कई सालो से बिहार में NDA की सरकार है। और नितीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं। जनता कह रही है की कई सालो से बिहार में कोई काम नहीं हुआ। NDA  की विरोधी पार्टिया भी अभी जनता के बोल बोल रहीं हैं। पर NDA का कहना है जितना विकास उनकी पार्टी ने किया इतना कभी नहीं हुआ। 

बिहार चुनाव के मैदान की मुख्य पार्टियाँ

1- NDA  (National Democratic Alaynce बीजेपी+29 अन्य पार्टियां =NDA)

2- RJD  (राष्ट्रीय जनता दल)

3- Congress

4- LJP  (लोक जन शक्ति पार्टी )

5- BSP (बहुजन समाजवादी पार्टी ) 

6- अन्य पार्टियां /निर्दलीय दल

NDA 

एक गठबन्दन है जिसका नेतृत्व नरेंद्र मोदी के हाथ में है।  बीजेपी और अन्य 29 पार्टियों के गठबन्दन से NDA बन कर तयार हुयी है पिछले कई सालो से NDA का शासन बिहार पे रहा है 

RJD

लालू यादव जो अभी जेल में हैं उनके नेतृत्व में RJD ने भी बिहार पे खूब शासन किया है।  इस बार लालू के लाल तेजस्वी यादव पार्टी की कमान संभाले दिखाई पड़ रहे है। 

Congress

कांग्रेस बिहार में RJD के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस बिहार चुनाव से बहुत उम्मीदे लगाए बैठी हुई। 

LJP 

लोक जनशक्ति पार्टी राम विलास पासवान इस पार्टी का नेतृत्व करते थे। उनकी हाल में ही मृत्यु हो गयी तब से इसकी कमान रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के हाथ में है।  

BSP 

 बहुजन समाज वादी पार्टी इसकी मुखिया मायावती जी हैं इनकी पार्टी भी यहाँ कुछ सीटों पर चुनाव लड़ती है। बाकि निर्दलीय व् अन्य उम्मीदवार भी बिहार चुनाव में अपना दम दिखाते  हैं। 

बिहार की हालत 

बिहार का इतिहास रहा है की कुर्सी पर जादा पढ़े लिखे लोग नहीं बैठे। यही कारण है की बिहार हमेशा से पिछड़ा रहा है चाहे वो शिक्षा का छेत्र हो या रोजगार का। यंहा की जनता भोली है साल भर बाढ़ का पानी अपने घर से निकलती रहती है और बेरोजगारी की वजह से कितने घर में चूल्हा नहीं भी जलता। अगर घर में कोई बीमार हो तो अच्छी सरकारी स्वास्थ सेवाएं भी नहीं। इस परेशानी को दूर कोई नहीं करता हैं राजनीती करने के मुद्दे जरूर बन जाते हैं। अगर मुद्दे नहीं रहे तो राजनीती भी खतम यही कारण है की सरकार बनती है पर जनता के लिए नहीं अपनी जेब भरने के लिए। बिहार में आज तक जितने भी चुनाव हुए वो जनता की भलाई के लिए नहीं कुर्सी और  पावर के लिए हुए हैं। ना बिहार में भुकमरी खतम हो रही है ना ही बेरोजगारी ऊपर से प्राकृतिक आपदायें बिहार की जनता को तोड़ कर रख देती है। 

बिहार के झूठे चुनावी वादे

बिहार में जब तक चुनाव का रिजल्ट नहीं आता तब तक जनता को खुश रखने की भरपूर कोशिस हो रही है। बिहार की जनता अच्छी तरह जानती है की ये झूठे वादे पूरे नहीं होंगे पर उन को सुन कर तो दिल बहला  सकते हैं। हमारे देश की राजनीती  इतनी गन्दी हो चुकी है जिसका अनुमान भी नहीं लग सकता। कोरोना के चलते बिहार में इलेक्शन हो रहे हैं रैलियों में भीड़ जुटायी जा रही है। और बेहूदा वादे किये जा रहे हैं  BJP की केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एलान किया है की कोरोना की वैक्सीन सबसे पहले बिहार के हर नागरिक को निशुल्क दी जायगी। भला ये मजाक करने की क्या जरूरत थी जो चीज है नहीं उसको देने की बात भी चुनाव प्रचार में की जा रही है। NDA  कह रही है की हम 19 लाख नौकरी देंगे वंही दूसरी तरफ लालू के लाल तेजस्वी यादव का कहना है की वो सरकार में आने के पहले दिन ही 10 लाख सरकारी नौकरी बिहार की जनता को दिलवाएंगे। इनको कोई बताये नौकरी किसी पेड़ पर नहीं लगती जिसके बाग़ लगा कर ये लोगो को नौकरी दे देंगे। नौकरी तो तब बनेगी जब ये लोग बिहार में नए उद्योग धंदे लगाएंगे। इनके झूंठ को जनता जानती है पर क्या करे।

बिहार में अलग स्तर की राजनीती 

बिहार का कोई नेता कुरता फाड़ के प्रतिजा ले रहा है तो कोई टिकट ना मिलने से बच्चे की तरह रो रहा है। हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्रमोदी भी एक्शन में आ गए 23 October को नरेंद्र मोदी बिहार में कई रैली कर रहे है। एक तरफ मोदी जी कहते हैं 2 गज दूरी बनाये कोरोना को हराएँ। दूसरी तरफ चुनावी रैलियां कर रहे हैं क्या एसा हो सकता है की रैलियों में २ गज की दूरी का पालन हो ? तो फिर क्यों फर्जी भाषण दिए जातें हैं। उधर कांग्रेस जो की सभी राज्यों से लगभग अपना बिस्तर समेट चुकी है उसको बिहार में कुछ उम्मीद दिखाई दे रही है। तेजस्वी यादव कांग्रेस के साथ मिल कर बिहार में चुनाव लड़ रहे है। और तेजस्वी यादव की रैलियों में बेतहासा भीड़ उमड़ रही है।  लगता है की लोगो को उनकी बाते अच्छी लग रही है। रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान नितीश कुमार के पैर छूते दिखे इससे साफ़ था की वो किसका समर्थन करेंगे। 

मुँह से नेताओ की जूतम पैजार (अपशब्द) शुरू

जब तेजस्वी यादव ने कहा की वो 10 लाख नौकरी देंगे तो इसके विरोध  में नीतश ने कहा तन्खा देने के लिए पैसा जेल से आएगा क्या। बिहार के काराकाट में रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी अध्यक्ष  ने कहा  भाषण देना बहुत आसान होता है।  कोई भी नेता बड़े बड़े वादे कर सकता है 

अब वक्त बताएगा किसके वादे सच्चे थे और किसके झूंठे। क्या बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी,भूँके को रोटी मिलेगी,अनपढ़ को शिक्षा मिलेगी। 

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