Article 370 in Jammu Kashmir
जम्मू कश्मीर का इतिहास
हमारे देश में आजादी से पहले छोटे बड़े बहुत से राजघराने थे जो राज्यों पे शासन करते थे। राजाओ की बड़ी बड़ी रियासतें थी। लेकिन आजादी की लड़ाई सबने मिल कर लड़ी और परिणाम स्वरूप स्वतंत्रता प्राप्त की।
आजादी के बाद जब देश का बटवारा हुआ तो जिन्ना ने मुसलमानो के लिए अलग देश पकिस्तान की मांग की और पकिस्तान भारत से अलग हो गया। जबकि भारत के अन्य छोटी बड़ी रियासतों ने भारत के साथ जाना उचित समझा और इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन पर हस्ताछर कर दिए।
25 जुलाई 1947 में गवर्नर माउंटबेटन की निगरानी में सभी रियासतों को बुलाया गया। और सभी रियासतों को एक पत्र दिया गया जिसमे उनसे कहा गया की वे अपनी इच्छा से भारत या पकिस्तान में अपना विलय कर सकते है।
ये उन रियासतों के ऊपर छोड़ दिया गया की वो किस के साथ जाना चाहते है। भारत की कुछ रियासतों को छोड़ बाकि सभी ने भारत के साथ विलय को अपनाया।
इधर जम्मू कश्मीर के राजा हरी सिंह स्वतंत्र रहना चाते थे और उन्होंने पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों से अलग ही रहने की बात कहि वे अपनी रियासत को विलय करना नहीं चाहते थे। 15 अगस्त से पहले महात्मा गाँधी और लार्ड माउंटबेटन ने राजा हरी सिंह से जम्मू कश्मीर जा कर बात की।
सारी वार्ता निरर्थक रही। पर पकिस्तान जबरदस्ती जम्मू कश्मीर को हतयाना चाहता था। उसने चोरी से जम्मूकश्मीर पर हमला करने की साजिस की। जम्मू कश्मीर पर कबीलाई लोगो ने आक्रमण शुरू कर दिए जिन्हे पकिस्तान का समर्थन प्राप्त था। अपने रियासत को खतरे में देख राजा हरिसिंह ने भारत से सहायता मांगी।
उस समय माउन्ट बेटन ने राजा हरी सिंह की मदद से पहले विलय संधि पर हस्ताछर करवाने की बात कही। अपने राज्य की सुरछा के लिए राजा हरि सिंह ने विलय संधि पर हस्ताछर कर दिए और जम्मू कश्मीर का विलय भारत में हो गया।
विलय संधि के आलावा भी कुछ अन्य कानून पर भी हस्ताछर होने थे जो की सभी राजघराने और रियासतें चुके थे। पर जम्मू कश्मीर की स्तिथि की वजह से कुछ औपचारिकताये टाल दी गयी जो आगे चल कर Article 370 की वजह बनी।
संधि पर हस्ताछर होने के बाद भारत की सेना जम्मू कश्मीर में कबीलाई लोगो से लोहा लेने पहुंच गयी। भारतीय सेना ने कबीलाई आक्रमणकारिओं को खदेड़ दिया।इससे साफ़ हो गया था की जम्मू कश्मीर के साथ संधि के लिए सहमत हो गया था।
Article 370 और आर्टिकल 335 A में विशेष अधिकार दिए गए।
- Jammu Kashmir का अपना अलग झंडा था ।
- यंहा के लोगो पर दोहरी नागरिकता होगी।
- भारतीय ध्वज का अपमान सजा नहीं होगी।
- बहार का कोई व्यक्ति Jammu Kashmir में जमीन नहीं खरीद सकता।
- अगर महिला भारत में शादी करेगी तो उसकी नागरिकता भारतीय हो जाएगी।
- Jammu Kashmir में अगर कोई पाकिस्तानी है तो उसको भारत की नागरिकता भी मिल सकती थी।
- Jammu Kashmir में पंचायतो का कोई महत्व नहीं।
- हिन्दू और सिखों को आरछण नहीं दिया जाता था
- विधान सभा 6 वर्ष की होती थी।
भारत सरकार को कोई क़ानून बनाने के लिए राज्य सरकार की सहमति लेनी होती थी।
जवाहर लाल नेहरू के समय से चली आ रही Article 370 का विरोध शुरुआत से होने लगा था। नेहरू की केबिनट में मंत्री रहे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसका कड़ा विरोध किया “एक देश में दो निसान दो प्रधान ‘नहीं चलेगा का नारा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी दिया।
उनकी बात न सुनी जाने की वजह से उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और एक नयी पार्टी बना ली।
स्तानीय पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा फैसले का विरोध
Jammu Kashmir से Article 370 हटाए जाने का विरोध वंहा की स्थानीय पार्टीयो द्वारा किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ल्हा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इसका कड़ा विरोध किया है।
उमर अब्दुल्ल्हा ने कहा की भारत सरकार ने कश्मीरियो के साथ धोका किया है। और आम कश्मीरिओ के अधिकार को छीना है। महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट कर कहा की Article 370 हटाए जाने वाला दिन भारतीय लोकतंत्र का सबसे कला दिन है।
1947 में Jammu Kashmir का भारत में विलय का फैसला आज गलत साबित हो रहा है। अमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती के साथ वहां के स्थानीय नेता शुरू से ही केंद्र सरकार के हर कदम को गलत बताते रहे हैं। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती पर देश के खिलाफ ब्यान के चलते देश द्रोह का मुकदद्मा दर्ज किया गया है और इनको नजर बंद कर दिया गया है।
कुछ ऐसी रियासते जिन्होंने विलय होने से किया इंकार
ये उन रियासतों में से थी जिसने भारत में विलय होने से मन कर दिया था। और कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल खड़े किये। त्रावणकोर ने UK से गुप्त संधि कर ली थी और UK की सरकार ने भरोसा दिया था। त्रावणकोर में कुछ एसे खनिज थे जिनकी जरूरत UK को थी। बाद में कुछ संघर्स के बाद त्रावणकोर 30 जुलाई 1947 को भारत में शामिल हुआ।
जोधपुर
जोधपुर में राजपूत रियासत थी इसमें ज्यादातर हिन्दू लोग थे। पर अनुभवहीन शासन का झुकाव पकिस्तान की तरफ था उसका सोचना था की उसकी सीमा पकिस्तान से लगती है जिससे व्यापर करने में उसको लाभ होगा एसा सोचना था। पर कुछ समय बाद 11 अगस्त 1947 को जोधपुर भारत में विलय हो गया।
भोपाल
भोपाल एक मुस्लिम बाहुल्य रियासत था वो मुस्लिम लीग का समर्थक था। ये कांग्रेस का धुर विरोधी था इन्होने स्वतंत्र रहने की इच्छा माउंटबेटन के सामने रखी। पर माउंटबेटन के समझाने के बाद भोपाल ने भी विलय पत्र पर हस्ताछर कर दिए।
हैदराबाद
हैदराबाद एक एसी रियासत थी जिस पर किसी का दवाब काम नहीं आया। हैदराबाद ने भी स्वतंत्र रहने का एलान किया। भोपाल को पकिस्तान से समर्थन मिल रहा था
इनको बहुत समझाया गया पर ये विलय होना नहीं चाहते थे। 13 सितम्बर 1948 को operation पोलो के तहत भारतीय सैनिको को हदराबाद भेजा गया और 4 दिन के संघर्ष के बाद हैदराबाद ने भी विलय संधि पर हस्ताछर कर दिए।