धनुर्वेद पार्ट 2 युद्ध (War) की रड़नीतियाँ और नियम
जिस प्रकार आपने महाभारत (Mahabharata) में धनुर्वेद के प्रथम भाग को आपने खूब पसंद किया इसलिए के दूसरे भाग को हम आप के लिए लेकर आ गए हैं। इस भाग में हम धनुर्वेद से जुडी आगे की अनसुनी बातो को जानेंगे।
पहले भाग में हमने जाना था की प्राचीन भारत में महाभारत (Mahabharata) में धनुर्वेद की सहयता से युद्ध (War) लड़े जाते थे। धनुर्वेद यजुर्वेद का उपवेद है जिसको हमारे पूर्वजो ने छुपा कर रखा जिससे ये किसी ऐसे हातो में ना पड़ जाये जो इसका दुरूपयोग करे। लेकिन कुछ वेदो और शास्त्रों में धनुर्वेद के बारे में जानकारियां आज भी मिलती हैं।
धनुर्वेद में बताये गए अलग अलग तरह के अस्त्र शस्त्र का उपयोग करके हमारे देश में कई युद्ध (War) हुए थे। महाभारत (Mahabharata) में धनुर्वेद की सहयता से अस्त्र शस्त्रों का उपयोग हुआ और ये सारे अस्त्र शस्त्र का का विस्तार पूर्वक वर्णन हमने प्रथम भाग में किया था। विशेष रूप से धनुष और बाण के आकर प्रकार और उसके उपयोग को विस्तार से बताया गया था।
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तो अब हम महाभारत (Mahabharata) में धनुर्वेद के आगे की बाते जानते हैं प्राचीन युग में सेना को बहुत सुव्यवस्थित ढ़ग से तैयार किया जाता था। इस भाग में सेना का निर्माण किस प्रकार किया जाता था वह विस्तार से जानेगे। महाभारत (Mahabharata) में युद्ध (War) के धर्म और नियमो को भी जानेगे। महाभारत में किन दिव्य अस्त्रों का उपयोग किसने और कब किया यह भी जानेगे।
महाभारत (Mahabharata) में सेना के प्रकार
सेना में एक पैदल सैनिक को पदाति कहते थे
12 पदाति - सैनिको का नेतृत्व एकअश्वरोहि करता था। 12 अश्वरोहि- घुड़सवारो का नेतृत्व एक अश्वरोहि करता था। 12 सैनिक 12 घुड़सवार और 1 घुड़सवार का नेतृत्व एक अर्धरथी करता था। 12 अर्धरथी का नेतृत्व 1 रथी करता था। 12 रथी का नेतृत्व एक अतिरथी करता था। 12 अतिरथी का नेतृत्व एक महारथी करता था। 12 महारथी एक अतिमहारथी के नेतृत्व में युद्ध करते थे। 24 अतिमाहारथी एक महामहारथी के नेतृत्व में युद्ध करते थे।
महाभारत (Mahabharata) में किस प्रकार के योद्धा थे।
महाभारत (Mahabharata) में अर्धरथी किसे कहा जाता था ?
एक अर्धरथी सभी प्रकार के अस्त्र शस्त्र को चलाने और उनके सही उपयोग में निपुण होता था। महाभारत (Mahabharata) में एक अर्धरथी अकेले ही 2500 सशस्त्र सैनिको का सामना कर उन पर विजय प्राप्त कर सकता था। महाभारत में अनेको अर्धरथी थे।
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रथी योद्धा किसे कहा जाता था ?
महाभारत (Mahabharata) मेंएक रथी योद्धा भी सभी तरह के अस्त्र शस्त्र चलाने और उनके उपयोग में अर्धरथी से अधिक निपुण होता था। एक अकेला रथी योद्धा 2 अर्धरथी के साथ 5000 सशस्त्र सैनिको का सामना अकेले कर उन पर विजय प्राप्त कर सकता था। महाभारत के अनुशार सभी कौरव रथी योद्धा थे पांडवो में अर्जुन और भीम को छोड़ कर युधिस्ठिर ,नकुल ,सहदेव ,शकुनि शकुनि के तीनो पुत्र ,शिशुपाल के सभी पुत्र ,कर्ण के पुत्र उत्तमौजा ,सुषम्रा ,युधामन्यु ,जरासंघ के पुत्र सहदेव ,बाह्लीक का पुत्र सोमदत्त ,कंस ,अलम्बुष ,बृहदबल आदि रथी के रूप में जाने जाते थे।
ये भी कहा जाता है की दुर्योधन में 8 रथी के बराबर बल था।
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महाभारत (Mahabharata) में अतिरथी योद्धा कौन होता है ?
अतिरथी एक सामान्य योद्धा नहीं होता था यह सामान्य अस्त्रों शस्त्रों के साथ साथ दिव्य अस्त्रों को भी चलाने और उनका सही उपयोग करना जनता था। एक अतिरथी युद्ध में अकेले ही 12 रथियों यानि 60,000 सशस्त्र सैनिको का सामना कर उन पर विजय हाशिल कर सकता था। महाभारत के युद्ध में ऐसे योद्धा बहुत कम संख्या में थे जैसे दुर्योधन ,भीम जरासंघ ,घृष्टघुम्न ,कृतवर्मा ,शल्य ,भरिश्रवा ,द्रुपद ,घटोत्कच ,साहितकी ,बाह्लीक ,नरकासुर ,कीचक अदि अतिरथी थे।
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महाभारत (Mahabharata) में महारथी योद्धा कौन होते थे ?
महारथी एक ऐसा योद्धा होता था जिसको सम्मान की नजरो से देखा जाता था ये वीर योद्धा होते थे। ये विश्वप्रसिध्द योद्धा होते थे जिन से अच्छे अच्छे योद्धा भयभीत रहते थे। महारथी योद्धा एक ऐसा योद्धा होता था जो लगभग सभी दिव्यास्त्र और अस्त्र शस्त्र के उपयोग करने में नपुण होते थे। इनके द्वारा उपयोग किये गए अस्त्र शस्त्र अभेद होते थे। एक महारथी 7 लाख 20 हजार योद्धाओं का अकेले सामना कर उनको पराजित कर सकने की क्षमता रखता था। इसके साथ महारथी योद्धा ब्रह्मास्त्र का ज्ञान रखते थे इस तरह के योद्धा बहुत ही कम होते थे।
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महाभारत (Mahabharata) में अतिमहारथी कौन हुआ करते थे ?
अतिमहारथी बहुत ही दुर्लभ योद्धा हुआ करते थे जो 12 महारथियों और 26 लाख सशस्त्र सैनिको का सामना कर सकने में प्रवीण हुआ करते थे। महाभारत (Mahabharata) में इस प्रकार के योद्धा दिव्य शस्त्रों के साथ दैवीय शक्तियां भी रखते थे। महाभारत में सिर्फ श्री कृष्ण ही अतिमहारथी की श्रेणी में आते थे।
श्री कृष्ण के साथ साथ रामायण में भगवान राम ,मेघनाथ भी अतिमहारथी थे। मेघनाथ को तीनो दिव्य अस्त्रों ब्रह्ममास्त्र ,नरायणस्त्र ,पशुपतत्रअस्त्र का ज्ञान था। इसके आलावा कई अन्य देवी देवता इस श्रेणी में आते हैं जैसे
कार्तिकेय
गणेश
भगवान् इन्द्र
सूर्य
वरुण
को भी अतिमारथी माना जाता है।
इनके साथ साथ नवदुर्गा ,आदिशक्ति ,रूद्र अवतार ,वीरभद्र ,और भैरव को भी अतिमहारथी श्रेणी में रखा गया है।
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महाभारत (Mahabharata) में महामहारथी कौन से योद्धा थे ?
ये योद्धा 24 अतिमहारथी का सामना कर सकते थे और सभी दैवीय शक्तियां इनके साथ होती हैं। महामहारथी योद्धा को कोई भी नहीं हरा सकता हैं इसका कारण यह है की आज तक 24 अतिमहारथी किसी भी काल में नहीं हुए हैं।
त्रिदेवो ब्रहम्मा ,विष्णु और महेश को महामहारथी माना जाता है।
महाभारत (Mahabharata) में युद्ध की रणनीति कैसे बनायीं जयति थी ?
महाभारत में चक्रव्यूह का नाम सभी ने सुना है ये सेनाओ द्वारा दुशमन सेना के अनुसार बनाये जाते थे। एक छोटी सेना भी बड़ी सेना को व्यूह बना कर पराजित कर सकती थी पहले दुशमन सेना की कमजोरी ,बल और संख्या को देखा जाता था उसके बाद ही व्यूह की रचना होती थी।
महाभारत (Mahabharata) में धनुर्वेद के कई प्रकार के व्यूह रचनाओं को बताया गया है
- चक्रव्यूह
- दंडव्यूह
- शकट व्यूह
- मत्स्य व्यूह
- वराह व्यूह
- पद्म व्यूह
- सूचीमुख व्यूह
- गरुड़ व्यूह
- चक्रव्यूह
- दंडव्यूह
- शकट व्यूह
- मत्स्य व्यूह
- वराह व्यूह
- पद्म व्यूह
- सूचीमुख व्यूह
- गरुड़ व्यूह
महाभारत में कौन से अस्त्र से किस योद्धा का वध किया गया था?
गुरु द्रोणाचार्य का वध धृष्टद्युम्न ने किया था
जब द्रोणाचार्य को पता चला की उनके पुत्र अश्वथामा का वध हो गया है तो वे अपने रथ दुखी होकर बैठ गए और अपने अस्त्र शस्त्र हातो से छोड़ दिए थे। उसी समय धृष्टद्युम्न ने खडग से उनका वध कर दिया था।
जयद्रथ का वध अर्जुन ने किया था
जयद्रथ का वध किस अस्त्र से किया गया इसका सही सही वर्णन नहीं मिलता। कहा जाता है अर्जुन ने जयद्रथ का वध करने के लिए एक दिव्य अस्त्र का आवाहन किया जो इन्द्र के वज्र के सामान था। इस अस्त्र से अर्जुन ने जयद्रथ का सर धड़ से अलग किया था और जयद्रथ का सर उसके पिता की गोद में गिरा था।
राजा भगदत्त का वध अर्जुन ने किया था
राजा भगदत्त का वध एक अर्ध चन्द्राकार बाण से किया यह बाण राजा भगदत्त के वछ स्थल पर लगा और वही से भगदत्त का शरीर दो टुकड़ो में बंट गया था।
अभिमानु का वध दुर्मासन ने किया था
अभिमानु जो की अर्जुन का पुत्र था की मृत्यु चक्रवयूह में नहीं हुयी वह चक्रवयूह भेदने के बाद लगातार कौरव सेना से लड़ता रहा। अंत में दुःशासन पुत्र दुर्मासन ने अभिमन्यु के सर पर गदा से वार किया जिससे वह वीरगति को प्राप्त हुआ।
घटोत्कच का का वध कर्ण ने किया था
भीम पुत्र घटोत्कच का कर्ण के साथ कई दिनों तक महासंग्राम हुआ था जिसके बाद कर्ण ने इन्द्र से प्राप्त दिव्यास्त्र से घटोत्कच का वध कर दिया।
कर्ण का वध अर्जुन ने किया था
युद्ध के 17 वें दिन दोनों पराक्रमी योद्धाओ के बीच महायुद्ध हुआ। एक लंम्बे युद्ध में दोनों ने एक दुषरे पर बड़े प्रहार किये पर अंत में अर्जुन ने अंजिलिका नामक दिव्यास्त्र से कर्ण का वध कर दिया था।
दुर्योधन का वध भीम ने किया था
भीम ने दुर्योधन की जंघा पर गदा से प्रहार किया जिससे वह घायल हो गया और इन्ही घावों की वजह से दुर्योधन की मृत्यु हुयी।
धनुर्वेद के अनुशार युद्ध की कुछ नैतिकता भी बताई गयी हैं जिनका पालन एक योद्धा को करना चाइये।
युद्ध के समय नियमो के अनुसार ऐसे लोगो को युद्ध का भागी नहीं माना जाता था जैसे।
गहरी नींद में सोते हुए को
नशे का सेवन किये हुए को
जिस योद्धा के वस्त्र खुल गए हों
जिस योद्धा के पास हतियार न हो
12 से कम उम्र के बालक को
सज्जन स्त्री को
जो छमा मांगता हो
रण छोड़ कर भागते हुए को
इन लोगो पर एक योग्य योद्धा हमला नहीं कर सकता था।
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