मुहम्मद अली जिन्ना | Muhammad Ali Jinnah -1947 भारत के बटवारे का खलनायक

देश का बटवारा कराने वाला मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) 

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) और भारतीय कट्टर मुसलमानो की अलग देश की मांग के कारण दुनिया का सबसे बड़ा कत्लेआम हुआ। कहते हैं कि बंटवारा किसी मुल्क के सिर्फ जमीन का ही नहीं होता। बटवारा लोगों की भावनाओं का भी होता है। 

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एक रिपोर्ट के अनुशार बटवारे के समय लगभग 10 लाख हिन्दू और मुस्लमानो का क़त्ल हुआ। साथ ही इस बटवारे में 1 करोड़ लोग बेघर हुए। मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) की जिद ने भारत से अलग होकर पाकिस्तान देश की मांग की थी।

  • अंग्रेजो की नीति फूट डालो राज करो के अनुसार 30/12/1906 में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना कर दी थी।

1947 हिन्दू मुसलमान दंगे कराने वाला मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) 

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) और जवाहर लाल नेहरू घनिष्ट मित्र थे। पर जिन्ना के बटवारे की जिद से नेहरू और जिन्ना के बीच दूरियां बढ़ गयी थी। एक जिन्ना ने अकेले ही देश में हिन्दू मुसलमान दंगे कराकर कांग्रेस सरकार को घुटनो पर ला दिया।

ना चाहते हुए भी देश के दो टुकड़े करने पड़े एक था हिन्दुस्तान और दूसरा पकिस्तान। इस बटवारे में देश की आम जनता को झुलशना पड़ा जिनमे बच्चे और महिलाये सबसे ज्यादा प्रभावित हुंई। हर धर्म की महिलाओ का बलात्कार किया गया और लोगो को अपने घर छोड़ सीमा पर शरणार्थी जीवन जीना पड़ा। 

हिन्दू मुसलमान दंगो के बीच महात्मा गाँधी

3 मार्च 1947 को गाँधी जी ने कहा कि देश का बंटवारा उनकी लाश पर होगा।महात्मा गाँधी देश में हो रहे दंगो को शांत कराने में लगे थे। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी बातो को सारा देश मानता था। उन्होंने देशवासिओ से इन दंगो को रोकने का भरसक प्रयास किया। महात्मा गाँधी को अंग्रेज अफसर ने “जादूगर” और “One Man Army” नाम दिया था। लेकिन ये दंगे किसी एक जगह सिमित नहीं थे पूरा देश इन हिन्दू मुसलमान दंगो से त्रस्त हो चूका था।

महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, शारदार बलभ भाई पटेल ने कभी भी देश के टुकड़े करने के बारे में नहीं सोचा। जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) मुस्लिम लीग के नेता की जिद और दंगो को रोकने के लिए, महात्मा गाँधी ने कहा अगर देशवासी नहीं बचेंगे तो देश भी नहीं बचेगा। और ना चाहते हुए भी देशदेश का विभाजन करना पड़ा। इसका एक बड़ा कारण आखिरी ब्रिटिश वाइसराॅय लुइस माउण्टबैटन का जिन्ना के साथ होना भी था।

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को पकिस्तान में क़ायदे-आज़म और बाबा-ए-क़ौम यानी राष्ट्र पिता के नाम से नवाजा जाता है। 

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) एक हिन्दू था धर्म बदल कर बना मुसलमान 

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) के पूर्वज हिन्दू धर्म के खोजा परिवार से थे खोजा एक कारोबारी समुदाय का नाम था। जिन्ना के दादा और परदादा गुजरात में राजकोट ज़िले के पानेली मोटी गाँव में रहते थे। जिन्ना के दादा का नाम पुंजाभाई ठक्कर था जो एक हिंदू थे।और जिन्ना के पिता का नाम जेनाभाई ठक्कर था वे मछलियों और झींगों को सुखा कर बेचा करते थे।

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) का परिवार मछलियों और झींगों का व्यवसाय करता था। जिसे कुछ शाकाहारी हिन्दू उनके इस काम को अच्छा नहीं बताते थे। और उनके इस व्यवसाय को धर्म विरोधी मानते थे। जिससे जिन्ना के पिता जेनाभाई ठक्कर अपने इसी काम को बढ़ाने के लिए कराची शहर चले गए थे तब कराची भारत में ही था।

जेनाभाई ठक्कर ने अपने व्यवसाय के कारण हिन्दू धर्म छोड़ कर मुस्लिम धर्म शिया समुदाय अपना लिया था। जेनाभाई ठक्कर ने अपनी सन्तानो मुस्लिम नामो पर रखे थे। सन्तानो के नाम मुस्लिम समाज के अनुसार रखे थे इसमें जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) की बहन फ़ातिमा भी थी। 

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) ने अपना नाम बदला

जेनाभाई ठक्कर और उनकी पत्नी मीठीबाई के घर 25 दिसम्बर 1876 में एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया लन्दन जाने से पहले जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) का नाम मेहमद था। जब मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) वकालत के लिए लन्दन गए तब जिन्ना ने अपना नाम मोहम्मद अली जिन्ना रख लिया था। जाने माने इतिहासकार स्टैनली वोलपर्ट ने अपनी किताब (Jinnah of Pakistan) में लिखा है। कि पिता के धर्म परिवर्तन के बाद जिन्ना का जन्म शिया मुस्लिम खोजा परिवार में हुआ था।

  • जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) के धर्म परिवर्तन के बाद भी उसको नवाज़ पढ़ना नहीं आती थी। और न हीं उसने कभी मुस्लिम संस्कृति के रिवाजो को अपनाया इस कारण बहुत से कट्टर मुस्लिम नेता जिन्ना के खिलाफ रहते थे।
  • जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) शराब और सिगरेट पीने के का आदि था मुस्लिम समाज में उस समय शराब पीना हराम था। इस कारण कट्टरपंथी मुस्लिम नेता उनकी खिलाफत करते थे।

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) अली जिन्ना की शादी

 जिन्ना की शादी 16 साल की उम्र हो गयी थी उनकी पत्नी एमीबाई थी। उस समय एमीबाई की उम्र 11 साल ही थी जो पानेली मोटी गाँव की थी। शादी के बाद भी जिन्ना ने अपनी पत्नी एमीबाई को कभी नहीं देखा।

मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) राजनीती में कैसे घुसा

जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) ने लन्दन से वकालत की डिग्री पास की और वकालत करने के लिए भारत के मुंबई शहर में बस गया। इसी समय जिन्ना की मुलाकात मुस्लिम लीग के शीर्ष सदस्यों से हुयी थी। जिन्ना हिन्दू से मुस्लिम धर्म में आ गए थे और जब उनकी मुलाक़ात मुस्लिम लीग के नेताओ से हुयी।

जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah)  मुस्लिम लीग के कट्टर नेताओ के साथ हौ गए और वे वकालत छोड़ मुंबई से दिल्ली आ गए। यही से जिन्ना का राजनितिक सफर शुरू हुआ। जिन्ना एक समय नेहरू के घनिष्ट मित्र थे पर जिन्ना के मुसलमानो के लिए अलग देश की मांग से उनके रिश्ते टूट गए।

हिन्दुस्तान और पकिस्तान का बटवारा कैसे और क्यों हुआ ?

मुस्लिम समुदाय के नेता मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) ने बटवारे की मांग रखी। जिन्ना एक स्वतंत्र मुस्लिम राष्ट्र की मांग करते थे। जो भारत से अलग होगा। वे यह भी दावा करते थे कि हिन्दुओ के साथ रहकर भारत में उनका सम्मान नहीं हो रहा है।

भारत के सामाजिक संरचना और सरकार में शामिल नहीं किया जा रहा था। इसके विपरीत, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता भारत को एक पूर्ण राष्ट्र के रूप में देख रहे थे।

बटवारे का दर्द आम इंसानो ने झेला

15 अगस्त 1947 भारत देश को आजादी मिलने की खुसी में कुछ लोग खुशियां मना रहे थे। दूसरी ओर शरहद पर कुछ लोग बटवारे की वजह से कत्ले आम झेल रहे थे। किसी को नहीं पता था की 14 अगस्त की रात में ही हिंदुस्तान और पकिस्तान बटवारा हो गया था। उनको नहीं पता था की अगली सुबह उन्हें अपना सब छोड़ कर कंही और जाना होगा।

भारत पकिस्तान के बटवारे को देशवासियो से छुपाया गया था। वे इसके लिए तैयार नहीं थे। मुस्लिम बहुल इलाके को पकिस्तान और हिन्दू बहुल इलाके को भारत नाम दिया गया था। भारत की जनता को धर्म के अनुशार अब एक देश को चुनना था। इस बटवारे में 1 करोड़ लोगो को अपना सबकुछ छोड़ दूसरे देश जाना पड़ा। साथ ही 10 लाख लोगो की हत्त्या हुयी थी।

मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) के बटवारे जिद से हुआ दुनिया सबसे बड़ा कत्लेआम

एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 1.4 करोड़ लोग विस्थापित हुए। इसमें 72 लाख से अधिक लोग भारत छोड़ पकिस्तान गए। और करीब 72 लाख लोग पाकिस्तान छोड़ भारत आये थे। इस बटवारे के बाद लाखो लोगो की हत्या हुयी और महिलाओ साथ बलात्कार किया गया था।

13 अगस्त 1947 को लाहौर से अमृतसर की और एक ट्रेन गयी। जब वह ट्रैन स्टेशन पर रुकी तो उसमे एक भी इंसान जिन्दा नहीं था इन सभी की हत्त्या की गयी थी, इस ट्रैन में हिन्दू और सिख परिवार थे। ये द्रस्य इतना भयानक था जिसकी आज कल्पँना भी नहीं की जा सकती है।

इसको देख लगा की बटवारे का फैसला कितना गलत था। एक ट्रैन पर लिखा गया था की नेहरू और गाँधी को बटवारे तोहफा मुबारक हो। वे नहीं जानते थे की इस बटवारे के पीछे जिन्ना का हाँथ था। इसके बाद जितनी भी ट्रैने दोनों देशों के बीच चली उनमे सिर्फ लोगो की लाशें ही एक जगह से दूसरी जगह पहुँची थी।

किसने खींची भारत पर पकिस्तान की सीमा LOC

भारत और पकिस्तान की सीमा LOC को बनाने की जिम्मेदारी अंग्रेजो ने लन्दन के वकील Cyril Radcliffe को दी। Cyril Radcliffe इससे पहले कभी भारत नहीं आया था ना ही उसे भारत का भूगोल के बारे में पता था। Cyril Radcliffe सिर्फ एक नक्से पर लकीर खींचने आया था उसकी खींची गयी लकीर से लाखो लोग बर्बाद हुए।

मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) का पकिस्तान में पहला भाषण

14 अगस्त 1947 को मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) ने भाषण में कहा था की आप स्वतन्त्र हैं पकिस्तान किसी एक धर्म को नहीं मानेगा। सभी लोग अपनी इच्छा अनुशार मंदिर और मस्जिद जा सकते हैं। पाकिस्तान में बचे अलप संख्यक हिन्दुओ को उनकी सुरक्षा का पूरा आश्वासन दिया।

इस भाषण के बाद कट्टर पाकिस्तानी नेताओं को जिन्ना का यह विचार मंजूर नहीं था। पाकिस्तान के मुसलमानो ने जिन्ना से सवाल किया की भारत का बंटवारा फिर किस वजह से करवाया। जिन्ना ने बटवारे के बाद के हालत देख कहा था की भारत और पाकिस्तान के बटवारे का फैसला सही नहीं था।

मुहम्मद अली जिन्ना की दर्दनाक मृत्यु

मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को बटवारे से पहले उसके डॉक्टर (Dr. Jal R. Patel) से पता चला था की उसको टीबी रोग (क्षयरोग) हो गया था। डॉक्टर के अनुशार जिन्ना ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे। ये सुन जिन्ना ने अपने डॉक्टर (Dr. Jal R. Patel) से कहा की इस बात को आप किसी को नहीं बताओगे। जिन्ना अपनी बीमारी लोगो से छिपाना चाहता था।

अगर ये बात लोगो को पता चल जाती तो विभाजन रुक सकता था। जिन्ना की बीमारी के बारे में लॉर्ड माउंटबेटनको पता था भारत के विभाजन की तारीख फरवरी 1948 में तय की गयी थी। 1948 तक मोहम्मद अली मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) का जिन्दा रह पाना मुश्किल था इसलिए जिन्ना के कहने पर विभाजन की यह तारीख 6 महीने अगस्त 1947 कर दी गयी।

फातिमा जिन्ना की किताब माई ब्रदर (My Brother)

जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना ने अपनी किताब माई ब्रदर (My Brother) में इसका उल्लेख किया है 11 सितम्बर 1948 को जिन्ना को एक विमान से क्वेटा से करांची लाया गया। तब तक जिन्ना के फेफड़ो में संक्रमण ने कैंसर का रूप ले लिया था। मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को सांस लेने में बहुत परेशानी हो रही थी। क्वेटा से करांची का सफर 2 घंटे का था इस सफर में उनके साथ डॉ. इलाही बख्स और मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) की बहन फातिमा जिन्ना थीं। पाकिस्तान के कायदेआजम को जब करांची में उतारा गया तो उनको देखने कोई भी सरकारी अफसर नहीं आया था।

एक छोटे पद के अफसर जनरल जेफ्री को ही जिन्ना की मदद के लिए भेजा गया था। उस दिन पाकिस्तान के इतने बड़े नेता जिसे “फादर ऑफ़ पाकिस्तान” से नवाजा गया था उसके मुँह पर मक्खियां लग रही थी। इन मक्खियों   को उनकी बहन फातिमा एक कपडे से उड़ा रही थी।

जनरल जेफ्री के स्टाफ ने मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को उठा कर एक एम्बुलेंस में स्ट्रेचर की मदद से लिटा दिया। यह एम्बुलेंस जब करांची के अस्पताल की और बढ़ी तो कुछ ही किलोमीटर चलने के बाद एम्बुलेंस रूक गयी। एम्बुलेंस के ड्राइवर ने बताया की एम्बुलेंस का तेल ख़तम हो गया है। इस एम्बुलेंस में जिन्ना की बहन और कराची की नर्स और डॉ. इलाही बख्स थे जो जीना की नव्ज देख रहे थे जिसकी गति लगातार कम होती जा रही थी।

यह एम्बुलेंस जंहा रुकी थी उसके दोनों ओर शरणार्थियो के तंम्बू लगे हुए थे जो जिन्ना की वजह से बेघर हुए थे। उस दिन पकिस्तान के “कायदे आजम” मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) अपनी अवाम के बीच बेसुध पड़े थे। 2 घंटे बाद एक दूसरी कार जिन्ना को ले कर अस्पताल पंहुची।

मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) की हालात खराब हो चुकी थी और कुछ घंटो बाद 25 दिसम्बर 1876 को, मुस्लिम लीग का एक प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनी बहन का नाम पुकारा। वो सिर्फ फ़ाति कह पाए और उनका सर एक ओर लुढ़क गया। पकिस्तान का “क़ायदे आजम” और “फादर ऑफ़ पकिस्तान” खुद के बनाये देश की लापरवाही से जान गवा चुका था।

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