भगवान शिव और सावन माह
महाकाल यानी की भगवान शिव जो सत्य भी है, सुंदर भी हैं, उन्हें क्रोध भी आता है, वो भक्तों के लिए भोलेनाथ भी है। इसलिए जब भी सावन का महीना आता है तो वे अपने भक्तों को कुछ ना कुछ देकर ही जाते हैं और इस बार भगवान शिव ऐसा ही कुछ करने वाले हैं।
इस बार भगवान शिव का यह 19 साल बाद सावन 59 दिनों का बड़ा ही पावन है।
इस बार भगवान शिव का यह सावन का महीना बड़ा ही पावन है। क्योंकि 19 साल बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है कि सावन एक नहीं बल्कि दो महीने का होने जा रहा है। मतलब की अब महादेव की कृपा आप पर दो महीने तक बरसेगी।
क्योंकि इस बार सावन का महीना 4 जुलाई 2023 से शुरुआत करके 31 अगस्त 2023 तक रहने वाला है। यानी कि इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलने वाले है।
अकाल मृत्यु वो मरे जो करे काम करे चांडाल का
काल भी उसका क्या करे जो भक्त हैं महाकाल का
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
सावन में सभी आठ सोमवार कब कब पड़ रहे है?
सावन सोमवार की तिथियां
- पहला सोमवार – 10 जुलाई
- दूसरा सोमवार-17 जुलाई
- तीसरा सोमवार – 24 जुलाई
- चौथा सोमवार – 31 जुलाई
- पांचवा सोमवार – 07 अगस्त
- छठा सोमवार -14 अगस्त
- सातवां सोमवार – 21 अगस्त
- आठवां सोमवार -28 अगस्त
भगवन शिव का सावन 58 दिन का क्यों हो रहा है?
सावन को भगवन शिव का माह माना जाता जब वे भक्तो पर कृपा करते हैं। पर इस वर्ष सावन 58 दिन का क्यों हो रहा है इसको जानते हैं। देखिये वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है।
चंद्रमास 354 दिनों का होता है और सौरमास 365 दिन का होता है। ऐसे में 11 दिन का अंतर आ जाता है।
चंद्र मास और सौर मास में समाजस्य बनाने के लिए ये दिन एक महीने के सामान जोड़े जाते हैं। इसलिए हम इसे अधिक मास बोलते है। बस इसी वजह से इस साल सावन में एक महीना जुड़ गया है।
इसी वजह से अब सावन दो महीने तक चलेगा। यानी इस बार भगवान शिव के भक्तों को उपासना करने के लिए चार नहीं आठ सोमवार मिलेंगे।
भगवन शिव और सावन महीने का महत्त्व क्या है?
कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसकी वैवाहिक जीवन में खुशियां ही खुशियां हो जाती है। जिनका विवाह नहीं हुआ है।
उन्हें भगवान शिव की कृपा से मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है। इतना ही नहीं, जिस भक्त पर भगवान शिव की कृपा हो जाए उसके जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कोई कमी नहीं आती।
इसलिए लोग सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र, चावल, चंदन और शहद चढ़ाकर उनकी आराधना उनकी पूजा करते हैं। अब ऐसा नहीं है कि भगवान भोलेनाथ की भक्ति सिर्फ सावन के महीने में ही होती है।
वैसे तो आप कभी भी भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं। लेकिन मान्यता है कि सावन के महीने में की गई पूजा भगवान शिव तक जल्दी पहुंचती है और भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
सावन का सोमवार का व्रत जो भी रखता है उसकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही साथ सुवास्थ भी बहुत अच्छा हो जाता है और जिनको सुवास्थ की समस्या हो उन्हें भी सावन के सोमवार का व्रत जरूर रखना चाहिए।
भगवान शिव का जल अभिषेक क्यों किया जाता है ?
अब सावन के महीने में भगवान शिव का अभिषेक का भी बड़ा महत्त्व है। दरअसल, हमारे हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था।
इसमें हलाहल विष निकला था और उस हलाहल विष को दुनिया में फैलने से रोकने के लिए दुनिया को बचाने के लिए भगवान शिव ने उसको पीकर अपने कंठ में रोक लिया था।
तभी से भगवान शिव नीलकंठ भी कहलाए हैं हलाहल विष पीने के बाद भगवान शिव का बदन बहुत गर्म हो गया था। आग से दहक रहे शिव के शरीर को देख देवी देवताओं ने उनका धन्यवाद करने के लिए और उनकी यह जलन मिटाने के लिए उन्हें ठंडा करने के लिए उनका जल से अभिषेक किया।
किसी ने दूध से जल अभिषेक किया किसी ने घी से अभिषेक किया और यहाँ से सावन के महीनों की महिमा शुरुआत हो जाती है।
देवी पारवती ने भगवान् शिव को पाने के लिए सावन में किया तप
सावन माह भगवान शिव का बहुत प्रिय महीना माना जाता है। और ऐसी मान्यता है कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई हजारों साल तक तपस्या करके हिमालय राज़ के घर में माता पार्वती के रूप में जन्म लिया था।
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन के महीनों में ही कठोर तप किया था। जिससे खुश होकर भगवान शिव ने अपना वैरागी जीवन त्यागकर गृहस्त जीवन अपनाया था। और माता पार्वती की कामना पूरी की थी।
इसीलिए कहा जाता है कोई भी पुत्री माता पार्वती की तरह व्रत रख कर भगवान शिव (God Shiv) की तरह अच्छा वर प्राप्त कर सकती है।
सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने की पूजा विधि
चलिए अब बात करते है पूजा विधि की कि कैसे आपको सावन में भोलेनाथ भगवान शिव को प्रसन्न करना है। सबसे पहले तो आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना है।
घर के आस पास के किसी भी शिव मंदिर में जाकर या घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर गंगा जल या दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, धतूरा, गंगाचरण और दूध जरूर शामिल करें।
सावन के महीने में शिवजी के जलाभिषेक के दौरान ओम नमः शिवाय इस मंत्र का जाप करें। जब आप इस मन्त्र का जाप करें तो याद रखिए बहुत जल्दबाजी और हड़बड़ी ना करें।
आराम से सहज रूप से ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करिए। शिव चालीसा का भी पाठ कर सकते हैं और पूजा के अंत में आपने सभी तरह की जो भी आपकी मनोकामनाएं हैं। वो सच्चे दिल से भगवान शिव के समक्ष रख दीजिए।
भगवान शिव से कोई सौदेबाजी मत करिए कि ये दे देंगे तो मैं वो दूंगा, वो कर देंगे तो मैं ये दूंगा। इस तरह की कोई सौदेबाजी आप भोलेनाथ के सामने मत करिएगा।
सावन के महीने में विश्व का पालन करने की जिम्मेदारी
यह भी माना जाता है कि सावन के महीने में विश्व का पालन करने की जिम्मेदारी वैसे तो विष्णु जी की होती है। सावन माह में विष्णुजी यह जिम्मेदारी भगवान शिव को दे देते हैं।
और वो है तो भोले भंडारी सबकी मनोकामना पूरी करते हैं सच्चे दिल से सावन के महीने में जो भी मांगा जाता है, व्यक्ति को जरूर मिलता है।
नमः शिवाय का महत्व व अर्थ
इसका सामान्य अर्थ स्वयंभू भगवान शिव जी को मेरा प्रणाम है। नमः शिवाय में नमः शिवाय पांच तत्त्व जिस से संसार बना है उन पाँच तत्वों को दर्शाता है।
- “न” ध्वनि से पृथ्वी का बोध होता है।
- “मः” ध्वनि से पानी का का बोध होता है।
- “शि” ध्वनि से अग्नि का का बोध होता है।
- “वा” ध्वनि से प्राणिक वायु का का बोध होता है।
- “य” ध्वनि से आकाश का का बोध होता है।
- यह दर्शाता है की संसार की चेतना एक है।
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हर हर महादेव !
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