भगवान राम का अयोध्या में स्वागत | Lord Ram welcomed in Ayodhya
भगवान राम लक्ष्मण और सीता के साथ त्रेता युग में, कार्तिक मास की अमावस्या को अयोध्या लौटे तो नगर वासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया. इसी उपलक्ष्य में दीवाली मनाई जाती है. पर आज हम जानेगे की जब राम लक्ष्मण और सीता वापस अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उनके आगमन पर उनका भव्य स्वागत किस तरह किया। दीपावली का पर्व को प्रकाश का पर्व और विजय का पर्व है, दीपावाली का पर्व भारतवर्ष की आस्था का का प्रतीक है। दीपावली का पहला पर्व अयोध्या नगरी में तब मनाया गया था
भगवान राम जब त्रेतायुग में अपने चौदह वर्षों का वनवास पूर्ण कर व रावण का वध कर वापस अयोध्या लौटे थे। मान जाता है की राम रावण के वध के 20 दिन बाद अयोध्या पहुंचे थे इसलिए दशहरे के 20 दिन बाद दीवाली का पर्व मनाया जाता है। इस पावन कार्तिक महीने में ही समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी ने भी अवतार लिया था. इसीलिए कार्तिक महीने में मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
दशहरे के 20 दिन बाद क्यों होती है दीवाली ?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण के वध के बाद, भगवान राम ने रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बनाया। रावण वध के बाद वनवास खत्म होने में अभी भी कुछ दिन शेष बचे थे। फिर चौदह वर्ष के वनवास के बाद जब श्री राम अयोध्या आने लगे तो विभीषण ने उन्हें कुबेर के पुष्पक विमान में अयोध्या विदा किया। लौटते समय रास्ते में भगवान राम उन सभी लोगों से मिले, जिन लोगो ने वनवास के दौरान उनकी किसी न किसी रूप में मदद की थी।
भरत मिलाप
भगवान राम जब वनवास के लिए अयोध्या से गए थे। तब उनके प्रिय भाई भरत ने वचन लिया था की जब तक आपका चौदह वर्ष का वनवास रहेगा तब तक मैं आपकी कुशलता के लिए चौदह वर्षों तक अयोध्या के नंदीग्राम में रह कर तप करूंगा। यदि आप चौदह वर्ष के वनवास के अंतिम दिन अयोध्या नहीं आए तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगा।
तब भगवान राम ने भी अपने छोटे भाई भारत को अपने हृदय से लगाया कर कहा था की मैं वचन देता हूं कि पिता के द्वारा दिए गए आदेश चौदह वर्ष के वनवास के पूर्ण होते ही अयोध्या आऊंगा। इसलिए जब भगवान राम वनवास पूर्ण करके अयोध्या आये थे तो सबसे पहले अपने भाई भरत से मिले और उनको हृदय से लगाया और या पल भरत मिलाप कहलाया।
भगवान राम के अयोध्या लौटने पर हुआ था भव्य स्वागत
जब चौदह वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद राम अयोध्या लौटे थे तक अयोधवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया था। अयोध्या वासियों को राम के अयोध्या लौटने का इन्तजार चौदह वर्षो से था जब राम अयोध्या लौटे थे तब अयोध्या वासियों ने उनके आने वाले मार्ग पर पुष्प बिछा दिए थे, दीपों की पंक्तियां जगह-जगह लगा दी थी। उस समय अयोध्या नगरी संपूर्ण सृष्टि में सभी स्थानों से अधिक दिव्यमान प्रतीत हो रही थी। देवता पु्ष्प की वर्षा कर रहे थे। उस समय अयोध्या नगरी के आगे स्वर्ग भी फीका पड़ गया था। वो क्षण देखने योग्य था, ये सारी वातें रामचरितमानस में वर्णित हैं।
राम के आने पर किस तरह सजाया गया अयोध्या को ?
उस समय अयोध्यावासियों ने सोने के कलशों को मणि व रत्नो से सजाया कर अपने-अपने दरवाजों पर रख लिया था। सभी लोगों ने राम के स्वागत में अपने घरो पर ध्वजा और पताकाएं लगाईं हुई थीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीराम के अयोध्या में स्वागत के लिए स्त्रियों ने दही, दूब, फल, फूल ,तुलसी आदि वस्तुएँ सोने की थालों में सजा ली थी और वे गीत गाती पूरी अयोध्या भर में घूम रही थीं।
श्रीराम को आते देखकर पूरी अयोध्या नगरी स्वर्ग के सामान प्रतीत हो रही थी। बताया जाता है जब भगवान राम लछ्मण और सीता जी अयोध्या को छोड़ सरयू नदी पार कर वनवास गए थे तब से सरयू नदी का पानी सूखने लगा था, और उसका जल भी गन्दा हो गया था जब भगवान राम वापस अयोध्या लौटे थे उस दिन सरयू नदी अपने पुराने रूप में बहने लगी और उसका जल निर्मल हो गया था।
ऋषियों द्वारा अनेक अनुष्ठान किये गए अनुष्ठान
रामचरितमानस के उत्तरकांड के अनुसार भगवान राम के आगमन पर ऋषियों द्वारा अनेक अनुष्ठान किये जा रहे थे। चारो ओर नगाड़े बजाये जा रहे थे, इन नगाड़ो की ध्वनियाँ सारे आकाश में गूज रही थीं। इसी ध्वनि, और लोगो के बीच से होते हुए भगवान राम राज महल को चले।
अयोध्या में किस तरह की गयी सजावट ?
रामचरितमानस के उत्तरकांड के अनुसार भगवान राम के आगमन पर ऋषियों द्वारा अनेक अनुष्ठान किये जा रहे थे। चारो ओर नगाड़े बजाये जा रहे थे, इन नगाड़ो की ध्वनियाँ सारे आकाश में गूज रही थीं। इसी ध्वनि, और लोगो के बीच से होते हुए भगवान राम राज महल को चले। इस सुभ अवशर पर अयोध्या की सारी गलियाँ सुगंध से महक रही थी। अयोध्या वासियों द्वारा बहुत से स्वागत गीत गाये गए चारो और सजावट की गयी थी हर घर सजा हुआ था। हर घर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सभी घरो को भगवान राम के स्वागत के लिए सजाया गया हो। सभी गालियाँ व घर घी के दियो से प्रकाशित कर दिए गए थे। बहुत-से लोग प्रसन्न होकर डंके बजा रहे थे।
भगवान श्री राम का अयोध्या में स्वागत
गुरू वशिष्ठ, छोटे भाई शत्रुघ्न, माँ कौशल्या तथा बहुत से ब्राह्मणों के समूह के साथ भरत श्रीराम के स्वागत में राज महल के बाहर खड़े थे। अयोध्या की बहुत सी महिलाएं छत पर चढ़कर आकाश में पुष्पक विमान को देख रही थीं और स्वागत गीत भी गा रही थीं।
जब भगवान राम महल को चले तो आकाश से फूलों की वृष्टि प्रारम्भ हो गई।अयोध्यावासी छतो पर चढ़कर अपने प्रभु श्री राम के दर्शन कर रहे थे।
अयोध्या का प्रत्येक नागरिक भगवान राम की एक झलक पाने को व्याकुल था। जो जिस दशा में था वो उसी दशा से दौड़ा चला आ रहा था। सभी भगवान राम की पहली छवि निहारने के इच्छुक थे इसमें बच्चे और बूढ़े सभी शामिल थे। इसमें अयोध्या के बहार से भी लोग भगवान राम को देखने आये थे।
भगवान राम के अयोध्या आगमन पर भगवान् शिव ने की स्तुति
शास्त्रों में कहा जाता है कि भगवान राम शिव का जाप करते थे और शिव राम का जब भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास काल समाप्त करने के बाद अयोध्या आए तब शिव जी ने प्रसन्न हो कर उनके स्वागत में स्तुति गाई थी। यह स्तुति रामचरितमानस में भी वर्णित है।
निष्कर्ष
जिस तरह अयोध्या वासिओं को भगवान राम को 14 वर्ष बाद देख प्रसन्न थे, उससे कंही अधिक प्रसन्नता भगवान राम को भी थी। वे भी 14 वर्षो बाद अपने जन्म स्थान अयोध्या लौटे थे। अयोध्या वासिओं ने भगवान राम के वनवास से लौटने पर उनका स्वागत एक पर्व के रूप में किया था, इसलिए इस दिन को दीवाली पर्व मानते हैं।